Karnataka CM controversy: कर्नाटक में सीएम बदलने की अटकलों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नेतृत्व के मुद्दे का भ्रम केवल स्थानीय स्तर पर ही है। हाई कमान के भीतर इसको लेकर कोई भ्रम नहीं है। खरगे ने कहा कि पार्टी आलाकमान ने कोई भ्रम की स्थिति पैदा नहीं की है। यह स्थानीय स्तर पर मौजूद है। उच्च कमान पर दोष मढ़ना कैसे सही हो सकता है?
‘हाई कमान को दोष नहीं देना चाहिए’
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पार्टी में आंतरिक विवादों की जिम्मेदारी स्थानीय नेताओं को लेनी चाहिए, न कि हाई कमान को दोष देना चाहिए। उन्होंने पार्टी नेताओं को चुनावी सफलता का श्रेय लेने के खिलाफ भी आगाह किया।
कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि पार्टी का निर्माण सभी ने मिलकर किया है। यह किसी एक व्यक्ति का प्रयास नहीं है। कांग्रेस का निर्माण पार्टी कार्यकर्ताओं ने किया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हमारा समर्थन किया।
सीएम पद को लेकर चल रहा खींचतान
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का यह बयान ऐसे समय आया है जब सीएम पद के लिए सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच खींचतान चल रही है। वहीं, दोनों नेता कह चुके हैं कि प्रदेश नेतृत्व का निर्णय कांग्रेस आलाकमान पर निर्भर करता है।
इससे पहले डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा था कि पार्टी हाई कमान ने दोनों नेताओं को बता दिया है कि इस मामले पर चर्चा के लिए उन्हें दिल्ली कब बुलाया जाएगा। दोनों नेता आलाकमान के फोन का इंतजार कर रहे हैं।
क्या है कर्नाटक में सत्ता संघर्ष?
बता दें कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार के ढाई साल पूरे हो गए हैं। इसके बाद एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज हो गईं। डिप्टी सीएम गुट के विधायकों ने एक बार फिर शिवकुमार को प्रदेश का मुखिया बनाने की मांग की। यह पहली बार नहीं है कि जब इस तरह की मांग की गई हो; इससे पहले भी डीके को सीएम बनाने की मांग की जा चुकी है।
दरअसल, सत्ता संघर्ष की जड़ें मई 2023 में कर्नाटक में हुए राज्य चुनावों में पार्टी की जीत में निहित हैं, जब सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री और शिवकुमार को उनका उपमुख्यमंत्री बनाया गया था।
दोनों नेताओं के बीच एक अनौपचारिक “ढाई साल का फार्मूला” था – जिसकी कभी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई, लेकिन यह उनके बीच विवाद का एक आवर्ती मुद्दा था।


