चिदंबरम बोले-मनरेगा से गांधी नाम हटाना उनकी दोबारा हत्या जैसा:नेहरू-गांधी लोगों के मन में, कोई सरकारी आदेश उन्हें मिटा नहीं सकता

चिदंबरम बोले-मनरेगा से गांधी नाम हटाना उनकी दोबारा हत्या जैसा:नेहरू-गांधी लोगों के मन में, कोई सरकारी आदेश उन्हें मिटा नहीं सकता

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने रविवार को कहा कि मनरेगा (MGNREGA) से महात्मा गांधी का नाम हटाना उनकी दोबारा हत्या करने जैसा है। गांधी जी को एक बार 30 जनवरी, 1948 को मारा गया था। अब उन्हें दोबारा मारा जा रहा है। चेन्नई में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा कि आप (केंद्र सरकार) गांधी और नेहरू को आधिकारिक रिकॉर्ड से मिटाने की कोशिश कर रही है लेकिन वे भारतीय लोगों के मन में बसे हैं, जैसे बुद्ध या यीशु। कोई भी सरकारी आदेश उन्हें मिटा नहीं सकता। दरअसल केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में VB-G-RAM-G बिल लेकर आई थी। 18 दिसंबर को बिल संसद से पास हो गया था। आज रविवार को द्रौपदी मुर्मू ने बिल को मंजूरी दे दी। जिससे यह कानून बन गया। नया कानून मनरेगा की जगह लेगा। 4 पॉइंट, चिदंबरम ने और क्या कहा… VB-G RAM G जैसा नाम दक्षिण भारत के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले भारतीयों की समझ से बाहर हैं। हो सकता है कि कुछ मंत्रियों को भी यह समझ न आए कि इन नामों का क्या मतलब है। कानून अब कहता है कि जब तक राज्य इस सटीक नाम का इस्तेमाल नहीं करेंगे, उन्हें फंड नहीं मिलेगा। मनरेगा योजना जो पहले यूनिवर्सल थी लेकिन नया कानून केंद्र द्वारा चुने गए कुछ जिलों तक ही सीमित रहेगी। यह मनरेगा के मूल ढांचे के विपरीत है जो हर ग्रामीण जिले तक फैला हुआ था। नया वर्जन अब राष्ट्रीय स्तर का नहीं रहा और इसमें शहरी या कस्बों के पंचायत क्षेत्र शामिल नहीं होंगे। नए कानून में फंडिंग की जिम्मेदारी राज्यों पर डाली जा रही है। पहले केंद्र पूरी मजदूरी लागत और 75 प्रतिशत मटेरियल खर्च देता था। अब राज्यों को खर्च में हिस्सेदारी देनी होगी। अगर कोई राज्य कहता है कि उसके पास फंड नहीं है, तो योजना वहां लागू नहीं होगी। चिदंबरम ने भी सरकार के उस दावे को भी खारिज कर दिया कि वे काम के दिनों को बढ़ाकर 125 कर देंगे। दरअसल राष्ट्रीय औसत वर्तमान में 50 दिन है, और केवल कुछ ही मजदूर निर्धारित 100 दिन पूरे कर पाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *