सिवनी की बाघिन से सुधरेगा राजस्थान के बाघों का जीन:पेंच टाइगर रिजर्व से रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में सफल ट्रांसलोकेशन

सिवनी की बाघिन से सुधरेगा राजस्थान के बाघों का जीन:पेंच टाइगर रिजर्व से रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में सफल ट्रांसलोकेशन

सिवनी जिले के पेंच टाइगर रिजर्व से देश के पहले इंटर स्टेट ट्रांसलोकेशन अभियान पूरा किया गया। इसके चलते 3 वर्ष आयु की एक बाघिन का रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में सफलतापूर्वक ट्रांसफर रविवार शाम को किया गया है। यह स्थानांतरण भारतीय वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर से किया। एक माह से चल रहा था अभियान पेंच टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि यह स्थानांतरण अभियान विगत एक माह से योजना और वैज्ञानिक पद्धतियों के तहत हो रहा था। पेंच टाइगर रिजर्व प्रबंधन की ओर से उपयुक्त बाघिन की पहचान कर उसे उन्नत एआई आधारित कैमरा ट्रैप और मोशन सेंसर कैमरों के माध्यम से निरंतर ट्रैक एवं मॉनिटर किया। इस उद्देश्य से क्षेत्र में लगभग 50 कैमरे स्थापित किए गए थे। राजस्थान की टीम भी रही साथ अभियान का समन्वय राजस्थान वन विभाग के साथ निकट सहयोग में किया गया। सुगनाराम जाट, मुख्य वन संरक्षक, राजस्थान और डॉ. तेजिंदर, पशु चिकित्सक, विगत एक माह से इस अभियान का समन्वय कर रहे थे। पिछले 8 दिनों से पेंच टाइगर रिजर्व में उपस्थित रहकर अभियान की सतत निगरानी कर रहे थे। यह स्थानांतरण कार्य फील्ड डायरेक्टर देवप्रसाद जेके सहयोग और उप संचालक रजनीश कुमार सिंह, पेंच टाइगर रिजर्व के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। बाघिन का चेकअप डॉ. अखिलेश मिश्रा और डॉ. प्रशांत द्वारा वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन ट्रस्ट की टीम के साथ और डॉ. काजल और डॉ. अमोल (वेटरनरी कॉलेज, जबलपुर एवं फील्ड बायोलॉजिस्ट अनिमेष चव्हाण के सहयोग से किया गया। पेंच टाइगर रिजर्व सेरामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व स्थानांतरण के दौरान पेंच टाइगर रिजर्व से मिशन लीडर सहायक संचालक गुरलीन कौर (आईएफएस), वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. मिश्रा, पशु चिकित्सक डॉ. प्रशांत देशमुख (वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन ट्रस्ट) और रेंज अधिकारी लोकेश कुमार चौधरी, पेंच टाइगर रिजर्व, सिवनी-राजस्थान के अधिकारियों की टीम के साथ एमआई-17 हेलीकॉप्टर से बाघिन के सुरक्षित स्थानांतरण किया। रोजाना की 12 घंटे तक निगरानी
इस अभियान की सफलता में पेंच टाइगर रिजर्व के कुरई और रुखड़ रेंज के मैदानी अमले का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा। संबंधित कर्मचारियों द्वारा प्रतिदिन प्रातः 6 बजे से शाम 6 बजे तक, दिन में दो बार कैमरा ट्रैप की जांच, नियमित गश्त तथा चिन्हित बाघिन की गतिविधियों के संकेतों की सतत खोज कर अथक प्रयास किए गए। यह सफल स्थानांतरण अंतर-राज्यीय समन्वय, भारतीय वायुसेना के सहयोग और वैज्ञानिक वन्यजीव प्रबंधन के माध्यम से बाघ संरक्षण को सुदृढ़ करने और कई टाइगर लैंडस्केप में आनुवंशिक विविधता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। अभियान की अन्य तस्वीरें…

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