Railway Mock Drill: रेलवे में संभावित दुर्घटनाओं के दौरान यात्रियों की सुरक्षा, त्वरित राहत एवं प्रभावी बचाव कार्यों की तैयारियों को परखने के उद्देश्य से लखनऊ यार्ड में एक भव्य मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। यह मॉकड्रिल मण्डल रेल प्रबंधक सुनील कुमार वर्मा की उपस्थिति में तथा मण्डल के संरक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष वरिष्ठ मंडल संरक्षा अधिकारी समर्थ गुप्ता के संयोजन में सम्पन्न हुई। आयोजन स्थल डिवीजनल ऑपरेशनल ट्रेनिंग सेंटर/सेफ्टी कैंप के निकट, आलमबाग थाना के पीछे स्थित लखनऊ यार्ड की पीओएच साइडिंग रहा, जहां वास्तविक परिस्थितियों के अनुरूप पूरे घटनाक्रम को दर्शाया गया।
यात्रा स्पेशल ट्रेन दुर्घटना का यथार्थ प्रदर्शन
मॉक ड्रिल के दौरान एक यात्रा स्पेशल रेलगाड़ी (चंडीगढ़–वाराणसी) के तीन कोचों के दुर्घटनाग्रस्त होने और उनमें आग लगने की काल्पनिक लेकिन यथार्थपरक स्थिति बनाई गई। जैसे ही दुर्घटना की सूचना दी गई, पूरे तंत्र को सक्रिय कर दिया गया। आग की लपटें, धुएं का फैलाव, घायल यात्रियों की चीख-पुकार और अफरातफरी,इन सभी को इस तरह प्रस्तुत किया गया कि मौके पर मौजूद अधिकारी और कर्मचारी वास्तविक आपात स्थिति जैसा अनुभव कर सकें। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य यह देखना था कि दुर्घटना की सूचना मिलते ही विभिन्न विभाग किस तरह समन्वय बनाकर प्रतिक्रिया देते हैं और कितनी तेजी से राहत एवं बचाव कार्य शुरू होते हैं।

राहत एवं बचाव कार्यों की विस्तृत प्रक्रिया
दुर्घटना की सूचना मिलते ही सबसे पहले रेलवे परिचालन विभाग और संरक्षा विभाग ने नियंत्रण कक्ष को सक्रिय किया। इसके तुरंत बाद फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर पहुंचीं और आग पर काबू पाने का कार्य शुरू किया। रेलवे चिकित्सा विभाग ने घायलों को प्राथमिक उपचार देना आरंभ किया। दुर्घटना राहत ट्रेन (ART) और दुर्घटना राहत मेडिकल यान (ARMV) को घटनास्थल पर तैनात किया गया। रेल सुरक्षा बल (RPF) और स्थानीय पुलिस ने सुरक्षा घेरा बनाकर भीड़ नियंत्रण एवं कानून व्यवस्था संभाली। घायल यात्रियों को कोचों से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए विशेष उपकरणों का प्रयोग किया गया। स्ट्रेचर, कटिंग टूल्स और अन्य आधुनिक संसाधनों की मदद से यात्रियों को बाहर लाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया।
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की अहम भूमिका
इस मॉक ड्रिल में नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (NDRF) और स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (SDRF) की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही। दोनों बलों ने संयुक्त रूप से आग से घिरे कोचों में फंसे यात्रियों को रेस्क्यू किया, गंभीर रूप से घायल यात्रियों को प्राथमिक उपचार के बाद मेडिकल टीम को सौंपा, आपदा स्थल पर समन्वय और अनुशासन बनाए रखा। इन बलों की पेशेवर दक्षता और त्वरित प्रतिक्रिया ने यह दिखाया कि किसी बड़े रेल हादसे की स्थिति में किस तरह व्यापक स्तर पर राहत कार्य किए जा सकते हैं।
रेड क्रॉस, स्काउट-गाइड और सिविल डिफेंस का सहयोग
मॉकड्रिल के दौरान रेड क्रॉस सोसायटी, स्काउट एवं गाइड, तथा जिला प्रशासन के सिविल डिफेंस ने भी सक्रिय सहभागिता निभाई। रेड क्रॉस के स्वयंसेवकों ने घायलों की सूची तैयार करने, प्राथमिक सहायता देने और यात्रियों को मानसिक संबल देने का कार्य किया। स्काउट एवं गाइड ने राहत सामग्री वितरण और मार्गदर्शन में सहयोग किया।

घायलों की सूची और सूचना प्रबंधन का परीक्षण
आपदा प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण पहलू सूचना प्रबंधन भी होता है। इस मॉक ड्रिल के दौरान,सभी घायल यात्रियों की एक डमी सूची तैयार की गई। नाम, उम्र, चोट की प्रकृति और उन्हें भेजे गए अस्पताल का विवरण दर्ज किया गया। यह देखा गया कि सूचना कितनी तेजी से उच्च अधिकारियों और संबंधित विभागों तक पहुंचती है। इस प्रक्रिया से यह आकलन किया गया कि वास्तविक दुर्घटना के समय यात्रियों के परिजनों को समय पर सूचना देने की व्यवस्था कितनी कारगर है।
मण्डल रेल प्रबंधक का संदेश
मॉक ड्रिल के समापन पर मण्डल रेल प्रबंधक सुनील कुमार वर्मा ने पूरी टीम की सराहना करते हुए कहा कि यह अभ्यास रेलवे और राज्य प्रशासन के आपसी सहयोग और तालमेल का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की मॉक ड्रिल का उद्देश्य केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी आपात स्थिति में रेलवे कर्मचारी मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह तैयार रहें। जब वास्तविक दुर्घटना होती है, तब समय ही सबसे बड़ा कारक होता है। ऐसे अभ्यासों से प्रतिक्रिया समय कम होता है और यात्रियों की जान बचाने की संभावना बढ़ती है। उन्होंने आगे बताया कि नियमित अंतराल पर इस तरह की गतिविधियों से कर्मचारियों में आत्मविश्वास बढ़ता है और वे दबाव की स्थिति में भी बेहतर निर्णय ले पाते हैं।

आपदा प्रबंधन की दृष्टि से मॉक ड्रिल का महत्व
रेलवे देश की जीवन रेखा है और प्रतिदिन लाखों यात्री सफर करते हैं। ऐसे में किसी भी प्रकार की दुर्घटना की स्थिति में त्वरित निर्णय,संसाधनों का सही उपयोग,विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय बेहद आवश्यक होता है। लखनऊ यार्ड में आयोजित यह मॉकड्रिल इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे भविष्य में किसी भी आपात स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।


