Winter Arthritis: सर्दियों में जोड़ों के दर्द से परेशान है तो अब खुश हो जाएं! होम्योपैथिक डॉक्टर ने बताया लोशन

Winter Arthritis: सर्दियों में जोड़ों के दर्द से परेशान है तो अब खुश हो जाएं! होम्योपैथिक डॉक्टर ने बताया लोशन

Winter Arthritis: सर्दियों का मौसम शुरू होते ही एक सबसे आम समस्या बड़े स्तर पर उभरकर सामने आती है और वह है जोड़ों का दर्द। इसे सिर्फ जोड़ों का दर्द कहना अनुचित होगा क्योंकि वास्तव में यह आर्थराइटिस है। आजकल बच्चे हों या बड़े, या फिर आज की नई पीढ़ी के नौजवान, हर कोई इस समस्या का शिकार हो रहा है। इसलिए इसे केवल वृद्धावस्था की बीमारी मानना बिल्कुल गलत होगा। असल में आर्थराइटिस में होता क्या है कि हमारे जोड़ों के जो लिगामेंट्स होते हैं उनमें सूजन आ जाती है और इस कारण बहुत तेज दर्द का सामना करना पड़ता है। सर्दियों में यह समस्या जान की आफत बन जाती है। डॉ. मनोज जांगिड़ का कहना है कि आज के समय में इस बीमारी का अनुपात हर उम्र के लोगों में लगभग बराबर ही है। हम सबको यह तो पता है कि सर्दियों में यह समस्या बढ़ जाती है, आइए अब जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है और इसके बचाव के उपाय क्या हैं।

सर्दियों में क्यों बढ़ जाता है आर्थराइटिस?(winter arthitis cause)

सर्दी के मौसम में ठंड के कारण हम एक तो शारीरिक गतिविधियां कम करते हैं, ऊपर से बाहर कम निकलते हैं। इन दोनों ही बातों का बड़ा योगदान है कि सर्दियों में आर्थराइटिस का खतरा और संकट बढ़ जाता है। ठंड के कारण जोड़ों की सूजन बढ़ती है और जब हम शारीरिक गतिविधि नहीं करते, तो वह सूजन और ज्यादा बढ़ जाती है। यही सूजन दर्द का बड़ा कारण बनती है। सर्दियों में ठंड से रक्त वाहिकाएं भी सिकुड़ जाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है और दर्द बढ़ जाता है। विटामिन डी की कमी भी सर्दियों में आर्थराइटिस बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है।

सर्दियों में आर्थराइटिस के दर्द को कैसे कम करें?(Arthritis treatment)

डॉ. मनोज जांगिड़ का कहना है कि सर्दियों में आर्थराइटिस के बढ़ने को हम पूरी तरह तो नहीं रोक सकते, लेकिन कुछ उपाय अपनाकर इसकी दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है:

  1. एक्टिव रहें– एक्सपर्ट्स शारीरिक मूवमेंट को जोड़ों का ‘लोशन’ कहते हैं। शारीरिक गतिविधियां जोड़ों में साइनोवियल फ्लूइड (Synovial Fluid) को फैलने में मदद करती हैं और यही फ्लूइड जोड़ों को चिकनाई प्रदान करने का काम करता है। इसलिए फिजिकल थेरेपिस्ट ‘मूवमेंट स्नैक्स’ यानी दिनभर में छोटे-छोटे अंतराल पर 5-5 मिनट टहलने या व्यायाम करने पर जोर देते हैं। उनका कहना है कि इससे जोड़ों के दर्द में काफी आराम मिलता है।
  2. एंटी-इंफ्लेमेटरी आहार- एंटी-इंफ्लेमेटरी पोषण का सीधा संबंध अब गट माइक्रोबायोम और जोड़ों की सूजन से जोड़ा जा चुका है। अखरोट, चिया बीज और फैटी मछली में पाया जाने वाला ओमेगा-3 फैटी एसिड और ब्लूबेरी तथा गहरे हरे पत्तेदार सब्जियों में पाए जाने वाले पॉलीफेनोल एंटी-इंफ्लेमेटरी पोषक तत्वों का खजाना होते हैं। यह सूजन कम करने में सहायक हैं।
  3. पर्याप्त विटामिन डी और विटामिन K2 का सेवन- हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि विटामिन D और विटामिन K2 जोड़ों और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य हैं। विटामिन डी कैल्शियम को अवशोषित करने का काम करता है, तो वहीं विटामिन K2 यह निर्धारित करता है कि वह कैल्शियम अपनी सही जगह यानी हड्डियों और दांतों तक ही पहुंचे, न कि शरीर के नरम हिस्सों में जमा हो।

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