छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला जेल में गुरु घासीदास जयंती मनाई गई। इस अवसर पर जेल के विचाराधीन कैदियों ने पंथी नृत्य प्रस्तुत किया और बाबा गुरु घासीदास के सत्य, अहिंसा, समानता और मानवता के संदेशों का प्रचार-प्रसार किया। बंदियों ने जेल में स्थापित जैतखाम पर श्वेत ध्वजा चढ़ाकर पूजा-अर्चना की। इस दौरान विचाराधीन बंदियों को प्रसाद के रूप में खीर, पूड़ी, हलवा और सब्जी वितरित की गई। जेल के अधिकारी-कर्मचारियों सहित सभी बंदियों ने नशामुक्ति की शपथ ली और गुरु घासीदास के संदेशों पर चलने का संकल्प लिया। सहायक जेल अधीक्षक एन.के. डहरिया ने बताया कि बाबा गुरु घासीदास जयंती के उपलक्ष्य में जेल में विशेष आहार की व्यवस्था की गई थी, जिसमें पूड़ी, सब्जी, हलवा और खीर शामिल थे। उन्होंने बताया कि जयंती शांतिपूर्ण और उत्साहपूर्ण माहौल में संपन्न हुई। जेल में मद्य निषेध दिवस पर दिलाई गई नशामुक्ति की शपथ जयंती समारोह के साथ ही धमतरी जिला जेल में मद्य निषेध दिवस का भी आयोजन किया गया। इस दौरान जेल के अधिकारी-कर्मचारियों और बंदियों ने स्वयं नशा न करने और अपने समुदाय, परिवार और मित्रों को भी नशामुक्त रहने के लिए प्रेरित करने की शपथ ली। इसका उद्देश्य लोगों को शराब और अन्य नशीली दवाओं से दूर रहने के लिए जागरूक करना था। बाबा गुरु घासीदास के संदेशों पर चलने का आह्वान सहायक जेल अधीक्षक एन.के. डहरिया ने बंदियों को संबोधित करते हुए बाबा गुरु घासीदास के सत्य, अहिंसा, समानता और मानवता के मूल्यों पर चलने और नशा से मुक्त रहने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि बाबा जी का संदेश ‘मनखे-मनखे एक बरोबर’ समाज में समानता का संदेश देता है और अंधविश्वास, भेदभाव-जातिवाद के खिलाफ सभी मनुष्यों को जागरूक रहने तथा सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।


