सीतामढ़ी के मध्य विद्यालय मलहाटोल की शिक्षिका प्रियंका प्रियदर्शनी (प्रियंका कुमारी) ने शिक्षा में नवाचार का एक नया उदाहरण पेश किया है। उन्होंने महंगे संसाधनों के बजाय रचनात्मक सोच का उपयोग करते हुए स्थानीय मिट्टी, कंकड़-पत्थर और प्राकृतिक वस्तुओं से शैक्षणिक सहायक सामग्री (टीएलएम) तैयार किए हैं। टीएलएम से बच्चों के लिए सीखना सरल और रोचक इन टीएलएम से बच्चों के लिए सीखना सरल, रोचक और प्रभावी बन गया है। उनके इस अनूठे प्रयास को राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) ने पीएम ई-विद्या कार्यक्रम में शामिल किया है, जिसके तहत अब उनके बनाए टीएलएम टीवी चैनलों पर प्रसारित हो रहे हैं। खेल-खेल में सीखने की प्रवृत्ति को पढ़ाई का माध्यम बनाया प्रियंका प्रियदर्शनी बताती हैं कि इस नवाचार की प्रेरणा उन्हें अपनी कक्षा एक के विद्यार्थियों से मिली। बच्चों की खेल-खेल में सीखने की प्रवृत्ति को देखते हुए उन्होंने मिट्टी को पढ़ाई का माध्यम बनाया। मिट्टी से बने मॉडल के जरिए बच्चों ने अक्षर, संख्या, आकार और विभिन्न अवधारणाओं को आसानी से समझा। इससे पढ़ाई उनके लिए बोझिल न होकर एक खेल बन गई। धीरे-धीरे उनके इन टीएलएम की चर्चा जिले के अन्य विद्यालयों तक पहुंची और कई शिक्षकों ने इस पद्धति को अपनाया। एफएलएन ग्रेड शिक्षक और डीएलएड के छात्रों के लिए वर्कशॉप प्रियंका के इन्हीं नवाचारों पर आधारित एक कार्यशाला 3 दिसंबर से सीतामढ़ी डायट में आयोजित की जा रही है। इसमें एफएलएन ग्रेड के शिक्षक और डीएलएड अंतिम वर्ष के छात्र भाग ले रहे हैं। इस कार्यशाला में प्रियंका साधनसेवी के रूप में प्रशिक्षण दे रही हैं, जहां वे सीमित संसाधनों का उपयोग करके पाठ्यक्रम से जुड़े प्रभावी टीएलएम तैयार करने के तरीके सिखा रही हैं। नई शिक्षा नीति स्थानीय संसाधनों और बाल-केंद्रित उनका मानना है कि नई शिक्षा नीति स्थानीय संसाधनों और बाल-केंद्रित शिक्षण पर जोर देती है, और उनका यह प्रयोग इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। राजकीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित प्रियंका प्रियदर्शनी के टीएलएम को पीएम ई-विद्या कार्यक्रम के तहत बिहार के डीटीएच चैनलों BR-63 से 67 पर प्रसारित किया जा रहा है। उनके अब तक 10 एपिसोड दिखाए जा चुके हैं। सीतामढ़ी के मध्य विद्यालय मलहाटोल की शिक्षिका प्रियंका प्रियदर्शनी (प्रियंका कुमारी) ने शिक्षा में नवाचार का एक नया उदाहरण पेश किया है। उन्होंने महंगे संसाधनों के बजाय रचनात्मक सोच का उपयोग करते हुए स्थानीय मिट्टी, कंकड़-पत्थर और प्राकृतिक वस्तुओं से शैक्षणिक सहायक सामग्री (टीएलएम) तैयार किए हैं। टीएलएम से बच्चों के लिए सीखना सरल और रोचक इन टीएलएम से बच्चों के लिए सीखना सरल, रोचक और प्रभावी बन गया है। उनके इस अनूठे प्रयास को राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) ने पीएम ई-विद्या कार्यक्रम में शामिल किया है, जिसके तहत अब उनके बनाए टीएलएम टीवी चैनलों पर प्रसारित हो रहे हैं। खेल-खेल में सीखने की प्रवृत्ति को पढ़ाई का माध्यम बनाया प्रियंका प्रियदर्शनी बताती हैं कि इस नवाचार की प्रेरणा उन्हें अपनी कक्षा एक के विद्यार्थियों से मिली। बच्चों की खेल-खेल में सीखने की प्रवृत्ति को देखते हुए उन्होंने मिट्टी को पढ़ाई का माध्यम बनाया। मिट्टी से बने मॉडल के जरिए बच्चों ने अक्षर, संख्या, आकार और विभिन्न अवधारणाओं को आसानी से समझा। इससे पढ़ाई उनके लिए बोझिल न होकर एक खेल बन गई। धीरे-धीरे उनके इन टीएलएम की चर्चा जिले के अन्य विद्यालयों तक पहुंची और कई शिक्षकों ने इस पद्धति को अपनाया। एफएलएन ग्रेड शिक्षक और डीएलएड के छात्रों के लिए वर्कशॉप प्रियंका के इन्हीं नवाचारों पर आधारित एक कार्यशाला 3 दिसंबर से सीतामढ़ी डायट में आयोजित की जा रही है। इसमें एफएलएन ग्रेड के शिक्षक और डीएलएड अंतिम वर्ष के छात्र भाग ले रहे हैं। इस कार्यशाला में प्रियंका साधनसेवी के रूप में प्रशिक्षण दे रही हैं, जहां वे सीमित संसाधनों का उपयोग करके पाठ्यक्रम से जुड़े प्रभावी टीएलएम तैयार करने के तरीके सिखा रही हैं। नई शिक्षा नीति स्थानीय संसाधनों और बाल-केंद्रित उनका मानना है कि नई शिक्षा नीति स्थानीय संसाधनों और बाल-केंद्रित शिक्षण पर जोर देती है, और उनका यह प्रयोग इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। राजकीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित प्रियंका प्रियदर्शनी के टीएलएम को पीएम ई-विद्या कार्यक्रम के तहत बिहार के डीटीएच चैनलों BR-63 से 67 पर प्रसारित किया जा रहा है। उनके अब तक 10 एपिसोड दिखाए जा चुके हैं।


