सीतामढ़ी में गड्ढे में डूबने से 3 बच्चों की मौत:टिफिन के बाद घर लौटे थे मासूम, स्कूल में होते तो बच जाती जान

सीतामढ़ी में गड्ढे में डूबने से 3 बच्चों की मौत:टिफिन के बाद घर लौटे थे मासूम, स्कूल में होते तो बच जाती जान

सीतामढ़ी के बाजपट्टी थाना क्षेत्र के हसनपुर बड़हरवा गांव में मंगलवार को मिट्टी कटाई से बने एक गड्ढे में डूबने से एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत हो गई। इस घटना से गांव में शोक का माहौल है। मृतकों की पहचान जूही डफाली की बेटी शबनम खातून (कक्षा आठ), बेटे सलाउद्दीन (कक्षा पांच) और पोते एहसान (कक्षा पांच) के रूप में हुई है। ये तीनों उर्दू मध्य विद्यालय हसनपुर बड़हरवा के छात्र थे। ग्रामीणों के अनुसार, बच्चे टिफिन के बाद स्कूल से घर लौटे थे और इसी दौरान सरेह में बने गहरे गड्ढे में चले गए। ग्रामीणों का कहना है कि यदि बच्चे स्कूल में ही रुक गए होते, तो यह हादसा नहीं होता। डॉक्टर परिजनों की हालत पर नजर रख हुए घटना के बाद पीड़ित परिवार गहरे सदमे में है। परिवार के कुछ सदस्यों को संभालने के लिए घर पर ही ग्रामीण चिकित्सक को तैनात किया गया है, जो उनकी स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए हैं। बताया गया है कि मृतक शबनम और सलाउद्दीन जूही डफाली के 11 बच्चों में सबसे छोटे थे। परिवार बेहद गरीब है और बाजारों में मनिहारी (टिकुली, सिंदूर) की दुकान लगाकर अपना जीवनयापन करता है। प्रशासन पर ठोस कदम न उठाने का आरोप इस घटना के बाद गांव और आसपास के इलाके में लोगों में गुस्सा देखा गया। ग्रामीणों ने सरेह में यत्र-तत्र मिट्टी कटाई से बने गड्ढों को हादसों का कारण बताया और खनन विभाग की निष्क्रियता पर सवाल उठाए। ग्रामीणों ने यह भी याद दिलाया कि कुछ महीने पहले पचड़ा निमाही पंचायत के कंचनपुर गांव में भी इसी तरह के गड्ढे में डूबने से तीन बच्चियों की मौत हो चुकी है। पिछले कुछ वर्षों में प्रखंड क्षेत्र में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। सीतामढ़ी के बाजपट्टी थाना क्षेत्र के हसनपुर बड़हरवा गांव में मंगलवार को मिट्टी कटाई से बने एक गड्ढे में डूबने से एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत हो गई। इस घटना से गांव में शोक का माहौल है। मृतकों की पहचान जूही डफाली की बेटी शबनम खातून (कक्षा आठ), बेटे सलाउद्दीन (कक्षा पांच) और पोते एहसान (कक्षा पांच) के रूप में हुई है। ये तीनों उर्दू मध्य विद्यालय हसनपुर बड़हरवा के छात्र थे। ग्रामीणों के अनुसार, बच्चे टिफिन के बाद स्कूल से घर लौटे थे और इसी दौरान सरेह में बने गहरे गड्ढे में चले गए। ग्रामीणों का कहना है कि यदि बच्चे स्कूल में ही रुक गए होते, तो यह हादसा नहीं होता। डॉक्टर परिजनों की हालत पर नजर रख हुए घटना के बाद पीड़ित परिवार गहरे सदमे में है। परिवार के कुछ सदस्यों को संभालने के लिए घर पर ही ग्रामीण चिकित्सक को तैनात किया गया है, जो उनकी स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए हैं। बताया गया है कि मृतक शबनम और सलाउद्दीन जूही डफाली के 11 बच्चों में सबसे छोटे थे। परिवार बेहद गरीब है और बाजारों में मनिहारी (टिकुली, सिंदूर) की दुकान लगाकर अपना जीवनयापन करता है। प्रशासन पर ठोस कदम न उठाने का आरोप इस घटना के बाद गांव और आसपास के इलाके में लोगों में गुस्सा देखा गया। ग्रामीणों ने सरेह में यत्र-तत्र मिट्टी कटाई से बने गड्ढों को हादसों का कारण बताया और खनन विभाग की निष्क्रियता पर सवाल उठाए। ग्रामीणों ने यह भी याद दिलाया कि कुछ महीने पहले पचड़ा निमाही पंचायत के कंचनपुर गांव में भी इसी तरह के गड्ढे में डूबने से तीन बच्चियों की मौत हो चुकी है। पिछले कुछ वर्षों में प्रखंड क्षेत्र में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *