जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर एक वायरल वीडियो को लेकर तीखा प्रहार किया, जिसमें कथित तौर पर उन्हें एक महिला का हिजाब हटाने की कोशिश करते हुए दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री को धर्मनिरपेक्ष नेता माना जाता था, लेकिन अब उनका असली चेहरा सामने आ रहा है। मुख्यमंत्री ने इस घटना को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया और कहा कि इस तरह की हरकतें अस्वीकार्य हैं। उन्होंने अतीत में जम्मू और कश्मीर में हुए चुनावों के दौरान हुई इसी तरह की एक घटना का जिक्र किया।
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अब्दुल्ला ने पत्रकारों से कहा कि यहां भी, चुनावों के दौरान, महबूबा मुफ्ती ने मतदान केंद्र पर एक महिला मतदाता का बुर्का हटवाया था। वह भी दुर्भाग्यपूर्ण था, और यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है। पहले नीतीश कुमार को धर्मनिरपेक्ष नेता माना जाता था। अब नीतीश कुमार का असली चेहरा सामने आ रहा है। पटना में एक सरकारी कार्यक्रम का वीडियो वायरल होने के बाद विपक्षी दलों की ओर से इसकी कड़ी आलोचना हो रही है। इस वीडियो में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक महिला को प्रमाण पत्र देते समय उसका हिजाब खींचते हुए नजर आ रहे हैं।
इस वीडियो ने देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया है। वीडियो में यह घटना मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित एक समारोह के दौरान घटी, जहां नए भर्ती हुए आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र वितरित किए जा रहे थे। महिला के कुछ कहने से पहले ही कुमार ने हाथ बढ़ाकर उसका हिजाब नीचे कर दिया, जिससे उसका मुंह और ठोड़ी दिख गई। इस बीच, मंगलवार को पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ्ती ने वायरल वीडियो पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस घटना को बेहद शर्मनाक बताया और नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाया।
इल्तिजा मुफ्ती ने नीतीश कुमार को बुजुर्ग कहा और बताया कि उनके कार्यों से मुस्लिम महिलाओं के प्रति उनकी घोर असंवेदनशीलता झलकती है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “यह बेहद शर्मनाक है। क्या आपको (नीतीश कुमार) यह नहीं पता कि किसी मुस्लिम महिला को इस तरह निर्वस्त्र करने का क्या मतलब होता है? उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ इसलिए कि आप राज्य के मुख्यमंत्री हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि आपको उनका पर्दा खींचने का अधिकार है।” इस घटना की सभी दलों ने निंदा की है।
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समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन ने मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए इस कृत्य को खेदजनक बताया। उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि ऐसा कृत्य राज्य के सर्वोच्च पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा किया गया है। इसलिए इस घटना का व्यापक प्रभाव खतरनाक हो सकता है। हमें मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य की चिंता है, लेकिन मुझे लगता है कि इतने प्रतिष्ठित पद पर रहते हुए उनके कार्यों को किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता, चाहे कारण कुछ भी हो। वहीं समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री जैसे पद पर आसीन व्यक्ति को ऐसा व्यवहार शोभा नहीं देता।


