सहरसा शहर के वार्ड संख्या 36, बटराहा स्थित लहटन चौधरी कॉलेज परिसर में आयोजित 9 दिवसीय श्रीराम कथा अपने आठवें दिन आध्यात्मिक शिखर की ओर अग्रसर है। कथा के दौरान भगवान श्रीराम के वनवास प्रसंग का जीवंत वर्णन प्रस्तुत किया गया, जिससे पूरा पंडाल भक्तिमय हो गया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने “जय श्रीराम” के जयघोष से वातावरण को गुंजायमान कर दिया। पूज्य कथावाचक श्री मारुति किंकर जी महाराज ने वनवास प्रसंग के माध्यम से जीवन के गूढ़ संदेशों को सरल शब्दों में समझाया। उन्होंने बताया कि श्रीराम का वनगमन केवल एक घटना नहीं, बल्कि धर्म, कर्तव्य और त्याग का शाश्वत आदर्श है। महाराज ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी संयम, मर्यादा और धर्म का पालन ही ‘रामत्व’ है, जिसने श्रद्धालुओं को आत्ममंथन के लिए प्रेरित किया। आध्यात्मिक शांति का अनुभव कर रहे लोग इस राम कथा को सुनने के लिए सहरसा शहर सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों से प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु, जिनमें महिलाएं, पुरुष और युवा शामिल हैं, कथा स्थल पर पहुंच रहे हैं। यहां भक्ति, श्रद्धा और अनुशासन का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है, जहां हर आयु वर्ग के लोग रामकथा से जुड़कर आध्यात्मिक शांति का अनुभव कर रहे हैं। कथा की शुरुआत प्रतिदिन विधिवत आरती के साथ होती है। इसके बाद भजनों, प्रसंगों और आध्यात्मिक व्याख्यानों के माध्यम से रामकथा का क्रम आगे बढ़ता है। आयोजन समिति द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा, सुरक्षा और व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा जा रहा है, ताकि कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न हो सके। श्रद्धालुओं के लिए खीर-भोजन का आयोजन आयोजन समिति के सदस्य बिट्टू झा और विनोदानंद झा उर्फ बुच्ची बाबू ने बताया कि बुधवार को श्रद्धालुओं के लिए खीर-भोजन का आयोजन किया जाएगा। वहीं, गुरुवार को हवन-पूजन के साथ श्रीराम कथा का विधिवत समापन होगा। उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज में संस्कार, एकता और सद्भाव का संदेश देने का सशक्त माध्यम है। यह आयोजन डिजिटल युग में भी रामकथा के प्रति उमड़ती आस्था को दर्शाता है। यह प्रमाणित करता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्श आज भी जनमानस के हृदय में जीवंत हैं और लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। सहरसा शहर के वार्ड संख्या 36, बटराहा स्थित लहटन चौधरी कॉलेज परिसर में आयोजित 9 दिवसीय श्रीराम कथा अपने आठवें दिन आध्यात्मिक शिखर की ओर अग्रसर है। कथा के दौरान भगवान श्रीराम के वनवास प्रसंग का जीवंत वर्णन प्रस्तुत किया गया, जिससे पूरा पंडाल भक्तिमय हो गया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने “जय श्रीराम” के जयघोष से वातावरण को गुंजायमान कर दिया। पूज्य कथावाचक श्री मारुति किंकर जी महाराज ने वनवास प्रसंग के माध्यम से जीवन के गूढ़ संदेशों को सरल शब्दों में समझाया। उन्होंने बताया कि श्रीराम का वनगमन केवल एक घटना नहीं, बल्कि धर्म, कर्तव्य और त्याग का शाश्वत आदर्श है। महाराज ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी संयम, मर्यादा और धर्म का पालन ही ‘रामत्व’ है, जिसने श्रद्धालुओं को आत्ममंथन के लिए प्रेरित किया। आध्यात्मिक शांति का अनुभव कर रहे लोग इस राम कथा को सुनने के लिए सहरसा शहर सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों से प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु, जिनमें महिलाएं, पुरुष और युवा शामिल हैं, कथा स्थल पर पहुंच रहे हैं। यहां भक्ति, श्रद्धा और अनुशासन का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है, जहां हर आयु वर्ग के लोग रामकथा से जुड़कर आध्यात्मिक शांति का अनुभव कर रहे हैं। कथा की शुरुआत प्रतिदिन विधिवत आरती के साथ होती है। इसके बाद भजनों, प्रसंगों और आध्यात्मिक व्याख्यानों के माध्यम से रामकथा का क्रम आगे बढ़ता है। आयोजन समिति द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा, सुरक्षा और व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा जा रहा है, ताकि कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न हो सके। श्रद्धालुओं के लिए खीर-भोजन का आयोजन आयोजन समिति के सदस्य बिट्टू झा और विनोदानंद झा उर्फ बुच्ची बाबू ने बताया कि बुधवार को श्रद्धालुओं के लिए खीर-भोजन का आयोजन किया जाएगा। वहीं, गुरुवार को हवन-पूजन के साथ श्रीराम कथा का विधिवत समापन होगा। उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज में संस्कार, एकता और सद्भाव का संदेश देने का सशक्त माध्यम है। यह आयोजन डिजिटल युग में भी रामकथा के प्रति उमड़ती आस्था को दर्शाता है। यह प्रमाणित करता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्श आज भी जनमानस के हृदय में जीवंत हैं और लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।


