वकील-पुलिस विवाद मामला, हर जिले में बनेगी समन्वय समिति:हाईकोर्ट ने दी दोषी अफसरों पर कार्रवाई व कमेटी गठन के लिए चार सप्ताह की मोहलत

वकील-पुलिस विवाद मामला, हर जिले में बनेगी समन्वय समिति:हाईकोर्ट ने दी दोषी अफसरों पर कार्रवाई व कमेटी गठन के लिए चार सप्ताह की मोहलत

राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए, हाल ही में जोधपुर में वकीलों और पुलिस प्रशासन के बीच हुए विवाद को लेकर राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को रिकॉर्ड पर लिया है। कोर्ट ने अधिकारियों को निलंबित करने और सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग शुरू करने के लिए सरकार की सराहना की। जस्टिस विनीत कुमार माथुर और जस्टिस आनंद शर्मा की खंडपीठ ने सोमवार को इस मामले में राज्य सरकार को सभी जिला स्तर पर समन्वय समितियों (Coordination Committees) के गठन और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का अपडेट देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। दोषी अधिकारियों को निलंबित किया गया कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की ओर से प्रारंभिक जवाब दाखिल किया गया। जिसमें बताया गया कि 2 दिसंबर को कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने के लिए राज्य सरकार ने सभी संभव कदम उठाए हैं। जवाब में कहा गया कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ निलंबन आदेश जारी किए जा चुके हैं और कानून के अनुसार उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी।​ जोधपुर में हो चुकी सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग राज्य सरकार ने जवाब में स्पष्ट किया कि जहां तक “सॉफ्ट स्किल एंड एटीट्यूड ट्रेनिंग” का सवाल है, जोधपुर जिले में यह प्रशिक्षण आयोजित किया जा चुका है। इसी तरह राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर ऐसी घटनाओं से बचने के लिए “सॉफ्ट स्किल एंड एटीट्यूड ट्रेनिंग” आयोजित करने के निर्देश जारी किए गए हैं, जो जोधपुर में हुई थी।​ पुलिस को भविष्य के लिए निर्देश जारी एडिशनल एडवोकेट जनरल ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखते हुए कहा कि सभी पुलिस अधिकारियों को उचित निर्देश जारी किए गए हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाएं कभी न हों और इस प्रकार के मामलों से निपटने के दौरान उचित तंत्र अपनाया जाए। AAG ने कहा कि जहां तक प्रत्येक जिले में “समन्वय समितियों” के गठन का सवाल है, यह मामला उच्चतम स्तर पर विचाराधीन है और इसे शीघ्रता से तय किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हर जिले में “समन्वय समितियों” के गठन के लिए राज्य को कुछ समय दिया जाए, जो कानूनी बिरादरी और प्रशासन के बीच एक सेतु के रूप में काम करेंगी, ताकि जोधपुर में हाल ही में हुई ऐसी घटना से बचा जा सके।​ चार सप्ताह में रिपोर्ट देने का निर्देश कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दाखिल प्रारंभिक जवाब को रिकॉर्ड पर लिया। कोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है कि वह दोषी अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई प्रस्तावित अनुशासनात्मक कार्रवाई और प्रत्येक जिले में “समन्वय समितियों” के गठन की नवीनतम स्थिति प्रस्तुत करे।​ बार काउंसिल को भी सुझाव देने को कहा कोर्ट ने कहा कि बार काउंसिल और बार एसोसिएशन को भी वकीलों के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए समान सुझाव लेकर आना चाहिए, ताकि समुदाय के बड़े लाभ के लिए जोधपुर में हुई घटना राजस्थान राज्य में कहीं भी न हो। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी 2026 के लिए सूचीबद्ध की है।​ पक्षकार और वकील याचिकाकर्ता एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से सीनियर एडवोकेट आनंद पुरोहित (एडवोकेट सुनील पुरोहित की सहायता से), सीनियर एडवोकेट सचिन सारस्वत, एडवोकेट सुशील बिश्नोई, शुभम मोदी, मनीष टाक, अनिता गहलोत, दीपिका सोनी, राजेश परिहार, रतनाराम ठोलिया, क्षमा पुरोहित, दीनदयाल पुरोहित, राकेश कल्ला और जसराज सिंह ने पेश होकर तर्क दिया। प्रतिवादी राजस्थान राज्य की ओर से AAG बीएल भाटी, डॉ. प्रवीण खंडेलवाल के लिए एडवोकेट दीपक चांडक, AAG एनएस राजपुरोहित, AAG महावीर बिश्नोई (एडवोकेट हर्षवर्धन सिंह की सहायता से), AAG राजेश पंवार (एडवोकेट आयुष गहलोत की सहायता से), एडवोकेट मोनल चुग, राकेश शर्मा और मीनल सिंघवी ने पेश होकर तर्क दिया।​

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