इंदौर शहर के बीच में मेट्रो ट्रेन शुरू करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें सोमवार को भी शासन की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। याचिकाकर्ता किशोर कोडवानी ने इस पर आपत्ति लेते हुए कोर्ट से आग्रह किया कि 11 महीने से शासन की ओर से जवाब नहीं दिया जा रहा है। इसलिए इस प्रोजेक्ट पर स्टे दे दीजिए। हाईकोर्ट ने इस पर शासन को आखिरी मौका देते हुए 18 दिसंबर को आखिरी सुनवाई के लिए तारीख दी है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि प्रोजेक्ट कब शुरू होगा, कब खत्म यह तो बताना होगा। प्रशासनिक जज विजयकुमार शुक्ला, जस्टिस बिनोदकुमार द्विवेदी की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। पिछली सुनवाई पर शासन की ओर से कोई जवाब पेश नहीं किया गया। वहीं मेट्रो के वकील भी उपस्थित नहीं थे। पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता किशोर कोडवानी ने बताया कि बंगाली चौराहे से एयरपोर्ट तक मेट्रो चलाने की योजना बनाई जा रही है। इस हिस्से में मेट्रो चलने से शहर की तस्वीर ही बिगड़ जाएगी। ऐतिहासिक स्थलों के लिए खतरा हाईकोर्ट, रानी सराय, राजबाड़ा जैसी ऐतिहासिक महत्व के स्थल हैं, जिन्हें खुदाई से बहुत खतरा है। पुरातत्व विभाग से भी कोई अनुमति इस रूट के लिए नहीं ली गई है। वहीं जिला योजना समिति में भी इस प्रोजेक्ट को सहमति के लिए कभी रखा ही नहीं गया। याचिकाकर्ता ने कहा कि मेट्रो अंडर ग्राउंड चले या एलिवेटेड, दोनों ही तरह से शहर और व्यापारियों को भारी नुकसान है। शहर में वैसे ही हरियाली का संकट है। हजारों की संख्या में पेड़ काटे जाएंगे। रीगल तिराहे स्थिति पेड़ों पर हजारों तोते रहते हैं। मेट्रो के लिए खुदाई होगी तो सबसे पहले ये पेड़ ही कटेंगे। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद मेट्रो कॉर्पोरेशन को डिटेल रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। 21 दिन में भी कोई निर्णय नहीं मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, शहर के सभी जनप्रतिनिधि और एसीएस संजय दुबे की मौजूदगी में बंगाली से पलासिया तक मेट्रो को किस रूप में तैयार किया जाए, इसके लिए बैठक हुई थी। एसीएस ने 15 दिन में निर्णय लेने की बात कही थी। 21 दिन से अधिक समय बीत गया है, लेकिन किस रूट पर किस तरह काम किया जाए, यह तय नहीं हुआ है। मेट्रो को अंडरग्राउंड चलाने पर 900 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च आ रहा है।


