मध्य प्रदेश के विदिशा के अबुआधाना गांव निवासी अनिल सिंह राजपूत सोमवार सुबह जमुई में प्रवेश किए। स्थानीय युवाओं ने पुष्प वर्षा और पारंपरिक तरीके से उनका स्वागत किया। वे पिछले 264 दिनों से भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं के संरक्षण का संदेश लेकर देशभर की पदयात्रा पर हैं। अनिल सिंह राजपूत ने बताया कि उनकी यह यात्रा 18 मार्च को शुरू हुई थी और अब तक 11 राज्यों की हजारों किलोमीटर की दूरी पैदल तय की जा चुकी है। इस दौरान उन्होंने चार ज्योतिर्लिंग और दो धाम की यात्रा पूरी कर ली है। अब वे देवघर स्थित बाबा बैजनाथ धाम के लिए रवाना होंगे, जहां उनकी यात्रा का पांचवां ज्योतिर्लिंग पूरा होगा। सांस्कृतिक मूल्यों के पुनर्स्थापन का संदेश दे रहे अपनी यात्रा के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए अनिल सिंह ने कहा कि वे आध्यात्मिक चेतना, सामाजिक जागरूकता और सांस्कृतिक मूल्यों के पुनर्स्थापन का संदेश दे रहे हैं। उनका मानना है कि भौतिकवादी जीवनशैली के कारण युवा पारंपरिक मूल्यों से दूर हो रहे हैं, और यह यात्रा उन्हें आध्यात्मिक जुड़ाव बढ़ाने का माध्यम प्रदान कर रही है। देशभर में मजबूत समर्थन दिलाने का प्रयास करने का भी उल्लेख उन्होंने गाय को ‘राष्ट्र माता’ घोषित करने की मांग को देशभर में मजबूत समर्थन दिलाने का प्रयास करने का भी उल्लेख किया। राजपूत के अनुसार, भारतीय संस्कृति, कृषि और धार्मिक परंपराओं में गाय का सर्वोच्च स्थान है, इसलिए उसे राष्ट्रीय पहचान मिलनी चाहिए। ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की अपनी व्यक्तिगत इच्छा भी व्यक्त की इसके अतिरिक्त, अनिल सिंह राजपूत ने भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की अपनी व्यक्तिगत इच्छा भी व्यक्त की। उन्होंने बताया कि रास्ते में मिलने वाले लोग उनकी कई बातों का समर्थन करते हैं और उन्हें अपनी यात्रा जारी रखने के लिए प्रेरित करते हैं। मध्य प्रदेश के विदिशा के अबुआधाना गांव निवासी अनिल सिंह राजपूत सोमवार सुबह जमुई में प्रवेश किए। स्थानीय युवाओं ने पुष्प वर्षा और पारंपरिक तरीके से उनका स्वागत किया। वे पिछले 264 दिनों से भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं के संरक्षण का संदेश लेकर देशभर की पदयात्रा पर हैं। अनिल सिंह राजपूत ने बताया कि उनकी यह यात्रा 18 मार्च को शुरू हुई थी और अब तक 11 राज्यों की हजारों किलोमीटर की दूरी पैदल तय की जा चुकी है। इस दौरान उन्होंने चार ज्योतिर्लिंग और दो धाम की यात्रा पूरी कर ली है। अब वे देवघर स्थित बाबा बैजनाथ धाम के लिए रवाना होंगे, जहां उनकी यात्रा का पांचवां ज्योतिर्लिंग पूरा होगा। सांस्कृतिक मूल्यों के पुनर्स्थापन का संदेश दे रहे अपनी यात्रा के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए अनिल सिंह ने कहा कि वे आध्यात्मिक चेतना, सामाजिक जागरूकता और सांस्कृतिक मूल्यों के पुनर्स्थापन का संदेश दे रहे हैं। उनका मानना है कि भौतिकवादी जीवनशैली के कारण युवा पारंपरिक मूल्यों से दूर हो रहे हैं, और यह यात्रा उन्हें आध्यात्मिक जुड़ाव बढ़ाने का माध्यम प्रदान कर रही है। देशभर में मजबूत समर्थन दिलाने का प्रयास करने का भी उल्लेख उन्होंने गाय को ‘राष्ट्र माता’ घोषित करने की मांग को देशभर में मजबूत समर्थन दिलाने का प्रयास करने का भी उल्लेख किया। राजपूत के अनुसार, भारतीय संस्कृति, कृषि और धार्मिक परंपराओं में गाय का सर्वोच्च स्थान है, इसलिए उसे राष्ट्रीय पहचान मिलनी चाहिए। ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की अपनी व्यक्तिगत इच्छा भी व्यक्त की इसके अतिरिक्त, अनिल सिंह राजपूत ने भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की अपनी व्यक्तिगत इच्छा भी व्यक्त की। उन्होंने बताया कि रास्ते में मिलने वाले लोग उनकी कई बातों का समर्थन करते हैं और उन्हें अपनी यात्रा जारी रखने के लिए प्रेरित करते हैं।


