मोदी-नीतीश के मंत्री वेतन के साथ ले रहे पेंशन:कुशवाहा-ठाकुर संसद से वेतन और विधान परिषद से पेंशन लेते हैं, 7 माननीयों का पेंशन घोटाला देखिए

मोदी-नीतीश के मंत्री वेतन के साथ ले रहे पेंशन:कुशवाहा-ठाकुर संसद से वेतन और विधान परिषद से पेंशन लेते हैं, 7 माननीयों का पेंशन घोटाला देखिए

मोदी सरकार के एक और नीतीश सरकार के एक मंत्री सरकार से वेतन भी ले रहे हैं और पेंशन भी। यह खुलासा RTI के जरिए हुआ है। RTI के जरिए सामने आई इस जानकारी में बिहार के कई ऐसे नेताओं के नाम हैं जो संसद के सदस्य हैं और अब पूर्व सदस्य के तौर पर बिहार सरकार से पेंशन ले रहे हैं। सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम बिहार सरकार के मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव और मोदी सरकार में मंत्री सतीश चंद्र दुबे का है। 2 दिसंबर 2025 को RTI के जरिए सामने आई लिस्ट में 8 लोगों के नाम हैं। नियम के खिलाफ पेंशन उठाने वालों का नाम सिलसिलेवार तरीके से जानिए… 1. उपेंद्र कुशवाहाः राज्यसभा सांसद हैं, ले रहे पेंशन उपेंद्र कुशवाहा पहले अपना नाम उपेंद्र प्रसाद सिंह लिखते थे, बाद में बदल लिया। उन्हें 2005 से पेंशन मिल रहा है। इस समय यह राशि 47 हजार रुपए है। कुशवाहा इसके साथ ही राज्यसभा सांसद का वेतन भी ले रहे हैं। कुशवाहा अभी NDA के साथ हैं। उनकी पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोक मोर्चा है। इन्होंने रालोसपा नाम की पार्टी बनाई थी। बाद में इसका विलय जेडीयू में किया, फिर जदयू से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई। 2025 के विधानसभा चुनाव में कुशवाहा की पार्टी को 4 सीट मिले हैं। उनकी पत्नी स्नेहलता कुशवाहा सासाराम से चुनाव जीती हैं। कुशवाहा ने अपने बेटे दीपक प्रकाश को पंचायती राज मंत्री बनवाया है। दीपक अभी किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। उपेंद्र कुशवाहा केंद्रीय मंत्री और चारों सदन (राज्यसभा, लोकसभा, विधानसभा और विधान परिषद) के सदस्य रहे हैं। 2. सतीश चंद्र दुबे: केंद्रीय मंत्री हैं, ले रहे 59,000 रुपए पेंशन पश्चिम चंपारण से आने वाले सतीश चंद्र दुबे राज्यसभा के सदस्य हैं। अभी भारत सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। सतीश चंद्र को 2019 से पेंशन मिल रही है। इस समय यह राशि 59,000 रुपए है। सतीश चंद्र विधायक और वाल्मीकिनगर सीट से लोकसभा सांसद थे। 2019 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए। 3. बिजेंद्र प्रसाद यादव: मंत्री हैं, ले रहे 10 हजार रुपए पेंशन जदयू के सीनियर नेता बिजेंद्र प्रसाद यादव अभी बिहार सरकार में वित्त मंत्री हैं। ऊर्जा विभाग भी इनके जिम्मे है। उन्हें 2005 से 10 हजार रुपए पेंशन मिल रही है। सुपौल से विधायक बिजेंद्र यादव 1990 से लगातार विधानसभा चुनाव जीत रहे हैं। 2025 में पांचवीं बार उन्होंने शपथ ली। लंबे समय से ऊर्जा विभाग के मंत्री हैं। ईमानदार नेता की छवि है। 4. देवेश चंद्र ठाकुर: लोकसभा सांसद हैं, ले रहे 86 हजार रुपए पेंशन जदयू नेता देवेश चंद्र ठाकुर लोकसभा सांसद हैं। 2020 से 86,000 रुपए पेंशन ले रहे हैं। विधान परिषद में सभापति जैसे बड़े संवैधानिक पद पर रहे हैं। तिरहुत स्नातक सीट से लंबे समय तक एमएलसी रहे। देवेश लोकसभा चुनाव 2024 जीतकर सांसद बने हैं। अपने एक बयान के चलते चर्चा में आए थे। कहा था, ‘मुस्लिम और यादव समुदाय ने वोट नहीं दिया तो उनकी व्यक्तिगत मदद नहीं करेंगे। सिर्फ चाय-नाश्ता कराकर विदा करेंगे।’ 5. ललन सर्राफ: विधान परिषद में होकर ले रहे 50 हजार पेंशन मधेपुरा के ललन सर्राफ बिहार विधान परिषद का सदस्य होने के नाते वेतन ले रहे हैं। इसके साथ ही 2020 से 50 हजार रुपए पेंशन भी पा रहे हैं। जदयू नेता ललन की गिनती मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी नेताओं में होती है। 2024 में इन्हें विधान परिषद में जदयू का उपनेता नियुक्त किया गया था। 6. नीतीश मिश्रा: विधायक हैं, ले रहे 43 हजार रुपए पेंशन 2025 के चुनाव में झंझारपुर सीट से जीतकर विधायक बने नीतीश मिश्रा 2015 से पेंशन ले रहे हैं। अभी 43 हजार रुपए मिल रहे हैं। पहले जदयू में थे। इस समय भाजपा विधायक हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र नीतीश मिश्रा की गिनती पढ़े-लिखे नेताओं में होती है। बिहार सरकार के कई विभागों में मंत्री रहे हैं। इस बार मंत्री पद नहीं मिला है। 7. संजय सिंह: विधान पार्षद के वेतन के साथ ले रहे पेंशन जदयू नेता संजय सिंह विधान पार्षद हैं। उन्हें 2018 से पेंशन मिल रही है। वर्तमान में 68 हजार रुपए पेंशन ले रहे हैं। 8. भोला यादव हार गए चुनाव वेतन और पेंशन एक साथ पाने वालों की लिस्ट में भोला यादव का भी नाम है। हालांकि उन्हें वर्तमान में मिल रही पेंशन नियम के खिलाफ नहीं है। वह चुनाव हार गए हैं। भोला को पेंशन के रूप में 65 हजार रुपए मिल रहे हैं। क्या कहता है वेतन और पेंशन नियम? भास्कर ने पेंशन से जुड़े नियम की पड़ताल की तो पता चला कि नियम यह है कि माननीय हों या सामान्य नौकरी वाले लोग। सभी को हर साल जिंदा होने का सर्टिफिकेट देना पड़ता है। इससे साफ है कि हर वर्ष माननीय बता रहे हैं कि वे जीवित और पेंशन के हकदार हैं। नियम के तहत वेतन के साथ-साथ पेंशन नहीं लिया जा सकता है। किसी भी सदन का वेतन मिलने पर पहले से प्राप्त हो रहा पेंशन बंद होना चाहिए। पेंशन पाने के लिए लिख कर देना होता है कि राज्य या केंद्र सरकार में कहीं सेवा नहीं दे रहे हैं। यह तो आर्थिक अपराध जैसा मामला है: सीनियर वकील वेतन और पेंशन एक साथ लिए जाने पर पटना हाईकोर्ट के सीनियर वकील सर्वदेव सिंह ने कहा, ‘यह तो आर्थिक अपराध का मामला है। रिटायर होने के बाद ही माननीय पेंशन ले सकते हैं। अगर पद पर रहते हुए पेंशन लेते हैं तो गलत और नियम के खिलाफ है।’ बिहार के RTI कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय के आवेदन पर दी गई सूचना को लेकर भास्कर ने सभी नेताओं से संपर्क किया। लेकिन किसी नेता ने फोन रिसीव नहीं किया। उनका जवाब आने पर शामिल किया जाएगा। मोदी सरकार के एक और नीतीश सरकार के एक मंत्री सरकार से वेतन भी ले रहे हैं और पेंशन भी। यह खुलासा RTI के जरिए हुआ है। RTI के जरिए सामने आई इस जानकारी में बिहार के कई ऐसे नेताओं के नाम हैं जो संसद के सदस्य हैं और अब पूर्व सदस्य के तौर पर बिहार सरकार से पेंशन ले रहे हैं। सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम बिहार सरकार के मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव और मोदी सरकार में मंत्री सतीश चंद्र दुबे का है। 2 दिसंबर 2025 को RTI के जरिए सामने आई लिस्ट में 8 लोगों के नाम हैं। नियम के खिलाफ पेंशन उठाने वालों का नाम सिलसिलेवार तरीके से जानिए… 1. उपेंद्र कुशवाहाः राज्यसभा सांसद हैं, ले रहे पेंशन उपेंद्र कुशवाहा पहले अपना नाम उपेंद्र प्रसाद सिंह लिखते थे, बाद में बदल लिया। उन्हें 2005 से पेंशन मिल रहा है। इस समय यह राशि 47 हजार रुपए है। कुशवाहा इसके साथ ही राज्यसभा सांसद का वेतन भी ले रहे हैं। कुशवाहा अभी NDA के साथ हैं। उनकी पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोक मोर्चा है। इन्होंने रालोसपा नाम की पार्टी बनाई थी। बाद में इसका विलय जेडीयू में किया, फिर जदयू से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई। 2025 के विधानसभा चुनाव में कुशवाहा की पार्टी को 4 सीट मिले हैं। उनकी पत्नी स्नेहलता कुशवाहा सासाराम से चुनाव जीती हैं। कुशवाहा ने अपने बेटे दीपक प्रकाश को पंचायती राज मंत्री बनवाया है। दीपक अभी किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। उपेंद्र कुशवाहा केंद्रीय मंत्री और चारों सदन (राज्यसभा, लोकसभा, विधानसभा और विधान परिषद) के सदस्य रहे हैं। 2. सतीश चंद्र दुबे: केंद्रीय मंत्री हैं, ले रहे 59,000 रुपए पेंशन पश्चिम चंपारण से आने वाले सतीश चंद्र दुबे राज्यसभा के सदस्य हैं। अभी भारत सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। सतीश चंद्र को 2019 से पेंशन मिल रही है। इस समय यह राशि 59,000 रुपए है। सतीश चंद्र विधायक और वाल्मीकिनगर सीट से लोकसभा सांसद थे। 2019 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए। 3. बिजेंद्र प्रसाद यादव: मंत्री हैं, ले रहे 10 हजार रुपए पेंशन जदयू के सीनियर नेता बिजेंद्र प्रसाद यादव अभी बिहार सरकार में वित्त मंत्री हैं। ऊर्जा विभाग भी इनके जिम्मे है। उन्हें 2005 से 10 हजार रुपए पेंशन मिल रही है। सुपौल से विधायक बिजेंद्र यादव 1990 से लगातार विधानसभा चुनाव जीत रहे हैं। 2025 में पांचवीं बार उन्होंने शपथ ली। लंबे समय से ऊर्जा विभाग के मंत्री हैं। ईमानदार नेता की छवि है। 4. देवेश चंद्र ठाकुर: लोकसभा सांसद हैं, ले रहे 86 हजार रुपए पेंशन जदयू नेता देवेश चंद्र ठाकुर लोकसभा सांसद हैं। 2020 से 86,000 रुपए पेंशन ले रहे हैं। विधान परिषद में सभापति जैसे बड़े संवैधानिक पद पर रहे हैं। तिरहुत स्नातक सीट से लंबे समय तक एमएलसी रहे। देवेश लोकसभा चुनाव 2024 जीतकर सांसद बने हैं। अपने एक बयान के चलते चर्चा में आए थे। कहा था, ‘मुस्लिम और यादव समुदाय ने वोट नहीं दिया तो उनकी व्यक्तिगत मदद नहीं करेंगे। सिर्फ चाय-नाश्ता कराकर विदा करेंगे।’ 5. ललन सर्राफ: विधान परिषद में होकर ले रहे 50 हजार पेंशन मधेपुरा के ललन सर्राफ बिहार विधान परिषद का सदस्य होने के नाते वेतन ले रहे हैं। इसके साथ ही 2020 से 50 हजार रुपए पेंशन भी पा रहे हैं। जदयू नेता ललन की गिनती मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी नेताओं में होती है। 2024 में इन्हें विधान परिषद में जदयू का उपनेता नियुक्त किया गया था। 6. नीतीश मिश्रा: विधायक हैं, ले रहे 43 हजार रुपए पेंशन 2025 के चुनाव में झंझारपुर सीट से जीतकर विधायक बने नीतीश मिश्रा 2015 से पेंशन ले रहे हैं। अभी 43 हजार रुपए मिल रहे हैं। पहले जदयू में थे। इस समय भाजपा विधायक हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र नीतीश मिश्रा की गिनती पढ़े-लिखे नेताओं में होती है। बिहार सरकार के कई विभागों में मंत्री रहे हैं। इस बार मंत्री पद नहीं मिला है। 7. संजय सिंह: विधान पार्षद के वेतन के साथ ले रहे पेंशन जदयू नेता संजय सिंह विधान पार्षद हैं। उन्हें 2018 से पेंशन मिल रही है। वर्तमान में 68 हजार रुपए पेंशन ले रहे हैं। 8. भोला यादव हार गए चुनाव वेतन और पेंशन एक साथ पाने वालों की लिस्ट में भोला यादव का भी नाम है। हालांकि उन्हें वर्तमान में मिल रही पेंशन नियम के खिलाफ नहीं है। वह चुनाव हार गए हैं। भोला को पेंशन के रूप में 65 हजार रुपए मिल रहे हैं। क्या कहता है वेतन और पेंशन नियम? भास्कर ने पेंशन से जुड़े नियम की पड़ताल की तो पता चला कि नियम यह है कि माननीय हों या सामान्य नौकरी वाले लोग। सभी को हर साल जिंदा होने का सर्टिफिकेट देना पड़ता है। इससे साफ है कि हर वर्ष माननीय बता रहे हैं कि वे जीवित और पेंशन के हकदार हैं। नियम के तहत वेतन के साथ-साथ पेंशन नहीं लिया जा सकता है। किसी भी सदन का वेतन मिलने पर पहले से प्राप्त हो रहा पेंशन बंद होना चाहिए। पेंशन पाने के लिए लिख कर देना होता है कि राज्य या केंद्र सरकार में कहीं सेवा नहीं दे रहे हैं। यह तो आर्थिक अपराध जैसा मामला है: सीनियर वकील वेतन और पेंशन एक साथ लिए जाने पर पटना हाईकोर्ट के सीनियर वकील सर्वदेव सिंह ने कहा, ‘यह तो आर्थिक अपराध का मामला है। रिटायर होने के बाद ही माननीय पेंशन ले सकते हैं। अगर पद पर रहते हुए पेंशन लेते हैं तो गलत और नियम के खिलाफ है।’ बिहार के RTI कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय के आवेदन पर दी गई सूचना को लेकर भास्कर ने सभी नेताओं से संपर्क किया। लेकिन किसी नेता ने फोन रिसीव नहीं किया। उनका जवाब आने पर शामिल किया जाएगा।  

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