नए लेबर कोड्स अप्रैल 2026 तक लागू होंगे:मसौदा नियम जल्द प्री-पब्लिश करेगी सरकार; 5 की जगह 1 साल में ग्रेच्युटी मिलेगी

नए लेबर कोड्स अप्रैल 2026 तक लागू होंगे:मसौदा नियम जल्द प्री-पब्लिश करेगी सरकार; 5 की जगह 1 साल में ग्रेच्युटी मिलेगी

लेबर एंड एम्प्लॉयमेंट मिनिस्टर मंसुख मांडविया ने बुधवार को कहा कि चार नए लेबर कोड के ड्राफ्ट रूल्स बहुत जल्द प्री-पब्लिश कर दिए जाएंगे। इसके बाद 5 दिन तक कोई भी सुझाव दे सकेगा और फिर फाइनल नोटिफिकेशन आएगा। मंसुख मांडविया का कहना है कि अगले फाइनेंशियल ईयर (अप्रैल 2026) से ये कोड पूरी तरह लागू हो जाएंगे। चारों कोड 21 नवंबर को नोटिफाई हो चुके हैं। उन्होंने आगे कहा कि लेबर कॉनकरेंट सब्जेक्ट है, इसलिए स्टेट्स को भी अपने यहां नोटिफाई करना होगा। लोकल कंडीशन के हिसाब से रूल्स में बदलाव कर सकते हैं। चार लेबर कोड्स कौन से हैं अब समझें नए लेबर कोड्स में क्या बदलाव होंगे 29 कानूनों को चार कानूनों में बदला केंद्र सरकार ने लंबे समय से लेबर लॉज को सरल बनाने की कोशिश की थी। पहले 29 अलग-अलग सेंट्रल लेबर लॉ थे, जो कन्फ्यूजिंग थे। अब इन्हें चार कोड में बदला गया है- कोड ऑन वेजेज, इंडस्ट्रियल रिलेशंस, सोशल सिक्योरिटी और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी। ये कोड 2020 में पास हुए थे, लेकिन रूल्स बनाने में देरी हुई। अब राज्यों को भी अपने नियम इसके हिसाब से अपडेट करने होंगे। लेबर मिनिस्ट्री के मुताबिक, इससे बिजनेस ईज आसान होगा और वर्कर्स के राइट्स मजबूत होंगे। अप्रैल 2025 से ये पूरे देश में लागू हो जाएंगे, जिससे 50 करोड़ से ज्यादा वर्कर्स को फायदा मिलेगा। ग्रेच्युटी में बदलाव: 20 लाख तक टैक्स-फ्री, देरी पर 10% ब्याज ओवरटाइम पे डबल: 9 घंटे से ज्यादा काम पर दोगुना वेज ओवरटाइम के नियम भी सख्त हो गए हैं। अब एक दिन में 9 घंटे या हफ्ते में 48 घंटे से ज्यादा काम पर दोगुना रेट मिलेगा। पहले ये डबल नहीं था। लेकिन ओवरटाइम सिर्फ इमरजेंसी में ही अनिवार्य होगा, जैसे फैक्ट्री में ब्रेकडाउन। वर्कर्स को पैसे की बजाय कंपेंसेटरी ऑफ भी मिल सकता है। हफ्ते में एक हॉलिडे जरूरी रहेगा। ये प्रावधान फैक्ट्री वर्कर्स और कॉन्ट्रैक्ट एम्प्लॉयी के लिए खासतौर पर फायदेमंद है। लेबर एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इससे कंपनियां अनावश्यक ओवरटाइम कम करेंगी, लेकिन वर्कर्स की कमाई बढ़ेगी। अब 26 हफ्ते की मैटरनिटी और 15 दिन​ की पैटरनिटी लीव मिलेगी​​​​​​ लीव के नियमों में भी सुधार हुआ है। हर 20 दिन काम करने पर 1 दिन की पेड लीव मिलेगी। अर्न्ड लीव 15 से बढ़ाकर 30 दिन सालाना हो गई है, लेकिन 1 साल सर्विस के बाद यह लागू होगी। मैटरनिटी लीव 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दी गई, जो महिलाओं के लिए बड़ी राहत है। पहली बार पैटरनिटी लीव 15 दिन और अडॉप्शन लीव भी इंट्रोड्यूस की गई। 3 महीने की सर्विस के बाद फिक्स्ड-टर्म एम्प्लॉयी को भी परमानेंट वर्कर्स जितने ही बेनिफिट्स मिलेंगे। ये बदलाव वर्क-लाइफ बैलेंस सुधारेंगे। सोशल सिक्योरिटी और गिग वर्कर्स को कवर: 0.65% कंट्रीब्यूशन जरूरी नए कोड्स में सोशल सिक्योरिटी को मजबूत किया गया है। एम्प्लॉयर्स को वेज का 0.65% ईडीएलआई स्कीम में कंट्रीब्यूट करना होगा, जो लाइफ और डिसेबिलिटी कवर देगा। अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर के वर्कर्स को पहली बार लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ बेनिफिट्स मिलेंगे। गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स, जैसे उबर ड्राइवर या फूड डिलीवरी बॉय को हेल्थ इंश्योरेंस, एक्सीडेंट कवर और सोशल सिक्योरिटी मिलेगी। फिक्स्ड-टर्म एम्प्लॉयमेंट कोड से कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को परमानेंट जितने राइट्स मिलेंगे। शॉप्स और एस्टैब्लिशमेंट्स को ऑनलाइन रजिस्टर करना जरूरी, इसे न मानने पर 5 लाख तक फाइन लगेगा। नए कोड्स लागू होने से वर्कर्स की कमाई और सेफ्टी बढ़ेगी ये नए कोड्स लागू होने से वर्कर्स की कमाई और सेफ्टी बढ़ेगी। ओवरटाइम और ग्रेच्युटी से एक्स्ट्रा इनकम मिलेगी। लीव से फैमिली टाइम मिलेगा। लेकिन कंपनियों का कंट्रीब्यूशन और पेनल्टी का खर्च बढ़ेगा। लेबर मिनिस्ट्री का मानना है कि इससे जॉब क्रिएशन होगा। राज्यों को रूल्स बनाने के लिए 4 महीने का समय दिया गया है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ये नए कोड्स इंडिया को ग्लोबल लेबर स्टैंडर्ड के करीब ले जाएंगे। कुल मिलाकर ये बदलाव लेबर मार्केट को मॉडर्न बनाएंगे। 1 साल की नौकरी पर कितनी ग्रेच्युटी मिलेगी? ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन करने का फॉर्मूला वही है… ग्रेच्युटी = अंतिम बेसिक सैलरी × (15/26) × कुल सर्विस (साल में) मान लीजिए किसी कर्मचारी की अंतिम बेसिक सैलरी 50,000 रुपए है और वह 1 साल काम करके नौकरी छोड़ देता है तो ग्रेच्युटी इस हिसाब से मिलेगी… 50,000 × (15/26) × 1 = 28,847 रुपए यानी एक साल की नौकरी पर कर्मचारी को लगभग 28,800 रुपए तक की ग्रेच्युटी मिल सकती है। ग्रेच्युटी क्या होती है? ग्रेच्युटी कंपनी की तरफ से अपने कर्मचारियों को दी जाने वाली एक आर्थिक सहायता है, जिसे एक तरह से सराहना राशि भी कहा जा सकता है। यह आपकी सर्विस और सैलरी के आधार पर तय होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *