हाईकोर्ट ने की मां बगलामुखी मंदिर की फर्जी डिक्री शून्य:200 करोड़ की भूमि पर सरकार का अधिकार बहाल; देर रात सामान लेकर गए दुकानदार

हाईकोर्ट ने की मां बगलामुखी मंदिर की फर्जी डिक्री शून्य:200 करोड़ की भूमि पर सरकार का अधिकार बहाल; देर रात सामान लेकर गए दुकानदार

आगर मालवा के प्रसिद्ध मां बगलामुखी मंदिर परिसर, नलखेड़ा से जुड़ी लगभग 200 करोड़ रुपए की भूमि पर राज्य सरकार का अधिकार पुनः स्थापित हो गया है। इंदौर उच्च न्यायालय खंडपीठ ने प्रकरण FA/204/2007 में राज्य शासन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सनत कुमार और अन्य की प्रथम अपील खारिज कर दी। इसके साथ ही, वर्ष 1997 में प्राप्त की गई फर्जी और धोखाधड़ीपूर्ण डिक्री को अवैध और शून्य घोषित करने का निचली अदालत का आदेश बरकरार रखा गया है।
यहां से चल रहा विवाद यह विवाद दो दशकों से अधिक समय से चल रहा था। विपक्षी ने 1997 में महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाकर इस भूमि पर दावा स्थापित करने का प्रयास किया था। आगर के अपर जिला न्यायाधीश ने 14 मार्च 2007 को साक्ष्यों के आधार पर उस डिक्री को अवैध घोषित कर दिया था। उच्च न्यायालय ने भी अपनी टिप्पणी में कहा कि वह डिक्री धोखे, दस्तावेजों के दमन और एक संदेहास्पद वसीयतनामे के आधार पर हासिल की गई थी, जो कानूनी रूप से मान्य नहीं है। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि मंदिर/मूर्ति को उस वाद में पक्षकार नहीं बनाया गया था, जबकि विवाद सीधे मंदिर की संपत्ति से संबंधित था। धोखाधड़ी उजागर हुई राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) आनंद सोनी ने अंतिम सुनवाई में उपस्थित होकर विस्तृत राजस्व अभिलेख, औकाफ समिति के मूल रिकॉर्ड, मंदिर की पारंपरिक गुरु-चेला प्रणाली और पूर्व के निर्णयों सहित संदिग्ध दस्तावेजों की पूरी श्रृंखला अदालत के समक्ष प्रभावी ढंग से प्रस्तुत की। न्यायालय ने माना कि प्रस्तुत तर्क न केवल मजबूत थे, बल्कि उन्होंने पूरे धोखाधड़ीपूर्ण प्रकरण को उजागर कर दिया। विवादित भूमि वर्षों से राजस्व अभिलेखों में मंदिर/धर्मशाला की संपत्ति के रूप में दर्ज थी। वर्ष 2006-07 से यह जमीन मूर्ति श्रीराम मंदिर – व्यवस्थापक कलेक्टर के नाम विधिवत दर्ज है। अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी भी कपटपूर्ण दस्तावेज़ से मंदिर की संपत्ति पर अधिकार स्थापित नहीं किया जा सकता। इस निर्णय को धार्मिक, कानूनी और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह फैसला धार्मिक संस्थाओं की संपत्तियों की सुरक्षा को नई मजबूती प्रदान करता है। इधर, उच्च न्यायालय के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने शुक्रवार देर रात मौके पर मंदिर की भूमि पर पुनः आधिपत्य लेने की कार्रवाई प्रारंभ कर दी है। हाईकोर्ट के आदेश पर कार्रवाई कलेक्टर प्रीति यादव ने बताया है कि “हाईकोर्ट के आदेश अनुसार मंदिर की भूमि का कब्जा पुनः राजकीय अभिकर्ता के सुपुर्द करने की प्रक्रिया जारी है। भविष्य में भी किसी भी अवैध दावे या कब्जे पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।” इस ऐतिहासिक निर्णय ने मां बगलामुखी मंदिर परिसर की बेशकीमती भूमि को सुरक्षित करते हुए लंबे समय से चले आ रहे विवाद का अंत कर दिया है।

​ 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *