भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (BMHRC) के न्यूरो सर्जरी विभाग ने क्रेनियोवर्टिब्रल (सीवी) जंक्शन, यानी सिर और रीढ़ के मिलन पॉइंट पर स्थित दो अत्यंत संवेदनशील स्थितियों की सफल सर्जरी कर मरीजों को नया जीवन दिया। एक मरीज स्पाइनल ट्यूमर से पीड़ित था, जिसने उसके हाथ पैर की शक्ति छीन ली थी। जबकि, दूसरा युवक जन्मजात संरचनात्मक गड़बड़ी से लकवे की कगार पर था। दोनों सर्जरी आयुष्मान भारत योजना के तहत की गईं और विशेषज्ञों ने माइक्रो-न्यूरो तकनीक से इन गंभीर चुनौतियों को पार किया। दुर्लभ स्पाइनल ट्यूमर से पीड़ित था 39 वर्षीय मरीज
पहला मामला 39 वर्षीय पुरुष का था, जिसकी सी वन हड्डी के पास एक अत्यंत दुर्लभ प्रकार का स्पाइनल ट्यूमर विकसित हो गया था। ट्यूमर के दबाव के कारण दाहिने हाथ पैर में लगातार कमजोरी थी। चलने फिरने में कठिनाई और लकवे जैसी स्थिति बनने लगी थी। जांच में पता चला कि ट्यूमर सीवी जंक्शन पर स्थित था। यह क्षेत्र इतना संवेदनशील है कि जरा सी गड़बड़ी सांस, शरीर संतुलन, स्वचालित क्रियाओं और मूवमेंट को प्रभावित कर सकती है। सर्जरी टीम ने माइक्रो न्यूरो तकनीक का उपयोग करते हुए रीढ़ की हड्डी के ऊपरी हिस्से को सावधानी से हटाकर ट्यूमर तक पहुंच बनाई और उसे सुरक्षित रूप से निकाल दिया। यह प्रक्रिया जटिल मानी जाती है। क्योंकि, यहां मौजूद नसें बेहद नाजुक होती हैं। चिकित्सा साहित्य के अनुसार इस प्रकार के ट्यूमर हर 1 लाख में केवल कुछ मामलों में ही पाए जाते हैं। जन्मजात असमानताएं, संक्रमण या कोशिकीय तेजी से बढ़ने लगती हैं। सर्जरी के बाद मरीज की कमजोरी में सुधार शुरू हो चुका है। सिर गर्दन के बीच बढ़ गई थी हड्डी
दूसरा मामला एक 17 वर्षीय युवक का था, जिसकी सिर-गर्दन के जंक्शन की हड्डियां जन्म से ही असामान्य विकसित हुई थीं। कुछ दिन पहले गिरने से चोट लगने पर उसकी स्थिति बिगड़ गई और उसके चारों अंगों में तेज कमजोरी आ गई। युवक का शरीर लगभग लकवे की स्थिति में पहुंच चुका था। स्थिति को गंभीर देखते हुए तुरंत सर्जरी का निर्णय लिया गया। सर्जरी में सिर के पीछे की हड्डी को गर्दन की ऊपरी हड्डी से स्क्रू-रॉड प्रणाली की मदद से स्थिर किया गया। इससे नसों पर दबाव कम हुआ और जंक्शन सुरक्षित तरीके से स्थिर हो सका। सर्जरी के बाद मरीज अब सहारे से उठ बैठ पा रहा है और फिजियोथेरेपी के साथ सुधार की उम्मीद है। सीवी जंक्शन सर्जरी क्यों जटिल? इन डॉक्टरों ने की सर्जरी
विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप सोरते, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ, सौरभ दीक्षित और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सौरभ गुप्ता की टीम ने इन सर्जरी को अंजाम दिया। एनेस्थीसिया विभाग से प्रोफेसर डॉ. सैफुल्लाह टीपू और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ कनिका सुहाग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बीएमएचआरसी निदेशक ने टीम की सराहना की। बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने कहा कि क्रेनियोवर्टिब्रल जंक्शन सर्जरी अत्यंत संवेदनशील और कठिन मानी जाती है। इन दोनों मामलों की सफलता हमारी टीम की दक्षता और उच्च स्तर की चिकित्सीय तैयारी को दर्शाती है। हम मरीजों को उन्नत तकनीक और कुशल विशेषज्ञों के साथ सर्वोत्तम उपचार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।


