दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नवंबर-दिसंबर में स्कूलों में होने वाले स्पोर्ट्स फंक्शन पर रोक लगनी चाहिए। कोर्ट ने यह आदेश सीनियर एडवोकेट अपराजिता सिंह के सवाल पर दिया। अपराजिता सिंह ने कहा था कि, दिल्ली में मौजूदा वक्त में प्रदूषण के स्तर को देखते हुए ऐसी एक्टिविटी बच्चों को गैस चैंबर में डालने जैसा है। सीजेआई बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने आगे कहा कि, वे पॉल्यूशन को लेकर हर महीने सुनवाई करेंगे ताकि इसका परमानेंट समाधान निकाला जा सके। इसके अलावा कोर्ट ने दिल्ली में GRAP-3 लागू होने के कारण बेरोजगार हुए कंस्ट्रक्शन वर्कर्स को भत्ता/आर्थिक सहायता देने का भी आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट के 4 आदेश कोर्ट रूम LIVE… एडवोकेट अपराजिता सिंह: वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए एक नीति है – GRAP, लेकिन जमीनी स्तर पर, यहां तक कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में भी, बहुत सारे पद रिक्त हैं, इसलिए मानव संसाधन की कमी है। CJI: ASG ने बताया कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की तरफ से एक बैठक आयोजित की गई थी और इसमें हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मुख्य सचिवों सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया था। CJI: मीटिंग में प्रदूषण को रोकने के लिए कई समाधानों पर चर्चा की गई। लेकिन न्यायमित्र ने चिंता व्यक्त की है कि उपाय लागू होने के बावजूद प्रदूषण कम करने में कोई असर नहीं दिख रहा है। CJI: दिल्ली-एनसीआर में कंस्ट्रक्शन मजदूरों के संघ की ओर से पेश सुश्री रेहान ने कहा कि GRAP लागू हुए लगभग एक सप्ताह बीत चुका है, लेकिन मजदूरों को भत्ता नहीं दिया जा रहा है। CJI: हम सभी एनसीआर राज्यों को निर्देश देते हैं कि वे भत्ते को लेकर आदेश जारी करें और अगले दिन अदालत के समक्ष रिकॉर्ड में प्रस्तुत करें। एडवोकेट अपराजिता सिंह: गंभीर प्रदूषण के बीच स्कूली बच्चे खेलकूद प्रतियोगिताओं की तैयारी कर रहे हैं। यह उन्हें गैस चैंबर में डालने जैसा है मुख्य न्यायाधीश: न्यायमित्र ने नवंबर-दिसंबर में होने वाली प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले बच्चों के लिए भी चिंता व्यक्त की है, जो कि गंभीर वायु प्रदूषण का समय भी होता है। इसलिए हम CAQM से अनुरोध करते हैं कि वे इस मामले पर विचार करें और स्पोर्ट्स फंक्शन को आगे के महीनों में स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करें। दिल्ली पॉल्यूशन मामले पर सुप्रीम कोर्ट में पिछली सुनवाई…
12 नवंबर: कोर्ट ने पूछा- पराली जलाने से रोकने क्या किया
सुप्रीम कोर्ट में 12 नवंबर को दिल्ली-NCR में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के खतरनाक स्तर पर पहुंचने और पॉल्यूशन मामले में सुनवाई हुई। कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से रिपोर्ट मांगी है कि पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि इस समय ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान का तीसरा फेज (GRAP-3) लागू है, जबकि GRAP-IV लागू किया जाना चाहिए क्योंकि कुछ जगहों पर AQI 450 से ऊपर चला गया है। उन्होंने कहा- GRAP-3 लागू है लेकिन कोर्ट के बाहर भी खुदाई का काम हो रहा है, कम से कम अदालत परिसर में तो यह नहीं होना चाहिए। इस पर सीजेआई ने कहा कि निर्माण गतिविधियों के संबंध में कार्रवाई की जाएगी। वहीं न्यायमित्र और सीनियर एडवोकेट अपराजिता सिंह ने नासा की उपग्रह तस्वीरों का हवाला देते हुए कहा कि कहा कि पंजाब और हरियाणा में बड़े पैमाने पर पराली जलाना शुरू हो गया है, जिससे दिल्ली-NCR की हवा जहरीली हो रही है। सीजेआई बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा कि वे मामले में अगली सुनवाई 17 नवम्बर को करेंगे। 3 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से रिपोर्ट मांगी थी सुप्रीम कोर्ट ने 3 नवंबर को दिल्ली-NCR में बढ़ते पॉल्यूशन मामले में सुनवाई की थी। कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच एमसी मेहता केस की सुनवाई कर रही थी। सीनियर एडवोकेट और न्यायमित्र अपराजिता सिंह ने कोर्ट को बताया था कि दिवाली के दिन 37 में से सिर्फ 9 एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन ही लगातार काम कर रहे थे। उन्होंने कहा- अगर मॉनिटरिंग स्टेशन काम नहीं करेंगे तो कैसे पता चलेगा कि ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) कब लागू करना है? CAQM को स्पष्ट डेटा और एक्शन प्लान पेश करने का निर्देश दिया जाए। कोर्ट ने CAQM से पूछा था कि दिल्ली-NCR में पॉल्यूशन को गंभीर स्तर पर पहुंचने से रोकने के लिए अब तक क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि पॉल्यूशन के गंभीर स्तर तक पहुंचने का इंतजार न किया जाए बल्कि समय रहते कदम उठाए जाएं। पूरी खबर पढ़ें… दिल्ली की हवा बेहद खराब हो गई है। बुधवार सुबह औसत AQI 413 दर्ज हुआ, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में है। वजीरपुर में सबसे ज्यादा 459 रहा। आनंद विहार, चांदनी चौक, बवाना, रोहिणी और आईटीओ समेत ज्यादातर इलाकों में भी हवा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। दिल्ली-एनसीआर में GRAP-3 लागू कर दिया। AQI 400 के पार पहुंचने पर GRAP लागू होता है। एयर क्वालिटी इंडेक्स का क्या मतलब है? एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) एक तरह का टूल है, जो यह मापता है कि हवा कितनी साफ और स्वच्छ है। इसकी मदद से हम इस बात का भी अंदाजा लगा सकते हैं कि इसमें मौजूद एयर पॉल्यूटेंट्स से हमारी सेहत को क्या नुकसान हो सकते हैं। AQI मुख्य रूप से 5 सामान्य एयर पॉल्यूटेंट्स के कॉन्सन्ट्रेशन को मापता है। इसमें ग्राउंड लेवल ओजोन, पार्टिकल पॉल्यूशन, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड शामिल हैं। आपने AQI को अपने मोबाइल फोन पर या खबरों में आमतौर पर 80, 102, 184, 250 इन संख्याओं में देखा होगा। इन अंकों का क्या मतलब होता है, ग्राफिक में देखिए। ———————————- दिल्ली के पॉल्यूशन से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… दिल्ली में एयर पॉल्यूशन का विरोध करने वाले अरेस्ट, लोग बोले- पब्लिक मर रही, कोई पॉलिसी नहीं दिल्ली में बढ़ते एयर पॉल्यूशन के खिलाफ 9 नवंबर को इंडिया गेट पर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। शाम होते-होते पुलिस ने लोगों को इंडिया गेट से हटाया। इस दौरान कई लोगों को डिटेन किया गया। विरोध करने वालों में मौजूद पर्यावरण कार्यकर्ता भवरीन कंधारी ने कहा कि बच्चों की सेहत तेजी से बिगड़ रही है। पूरी खबर पढ़ें… देश में वायु प्रदूषण रोकने SC में याचिका, दावा- दिल्ली में 22 लाख बच्चों के फेफड़े खराब, हेल्थ इमरजेंसी घोषित करें भारत भर में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई। याचिका ल्यूक क्रिस्टोफर काउंटिन्हो ने दायर की। वे पीएम नरेंद्र मोदी के फिट इंडिया मूवमेंट के वेलनेस चैंपियन यानी दूत रहे हैं। क्रिस्टोफर का कहना है कि देश में वायु प्रदूषण का स्तर पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी के अनुपात में पहुंच गया है। पूरी खबर पढ़ें…


