बेगूसराय में मैथिली विवाह के गीत गूंज रहे:अयोध्या से आएंगे श्रीराम, बीहट में जानकी विवाह महोत्सव की तैयारी

बेगूसराय में मैथिली विवाह के गीत गूंज रहे:अयोध्या से आएंगे श्रीराम, बीहट में जानकी विवाह महोत्सव की तैयारी

माता सीता के मायके मिथिला में एक बार फिर हर घर में मैथिली विवाह गीत गूंजने लगे हैं। अगहन शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन होने वाले जानकी विवाह महोत्सव के लिए तैयारी की जा रही है। । बेगूसराय में इस साल 24 नवंबर को राम जानकी विवाह महोत्सव होना है। यह दिन भले ही सीता और राम के विवाह का हो, लेकिन मिथिला में लोग राम विवाह नहीं, जानकी विवाह महोत्सव मनाते हैं। पूरे देश में मिथिलांचल का ही दो जगह एक जनकपुर और दूसरा बेगूसराय का बीहट है, जहां कि वैदिक रीति और संकीर्तन के साथ विवाह महोत्सव मनाया जाता है। दोनों जगह पर इस महोत्सव में शामिल होने के लिए ना केवल दूर-दूर से लोग आते हैं, बल्कि मिथिला के पाहुन (दामाद) श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण के स्वरूप भी अयोध्या से आते हैं। विवाह पंचमी को लेकर मिथिला के प्रवेश द्वार बीहट स्थित विश्वनाथ मंदिर में तैयारी अंतिम चरण में है। 16 दिसम्बर को मटकोर की रस्म 23 नवंबर को देव निमंत्रण, मंडपाच्छादन, जागरण व 16 दिसम्बर को मटकोर की रस्म और भातृभोज होगा। 24 नवंबर की सुबह हल्दी, दोपहर में नहछू और शाम में बारात नगर भ्रमण के बाद रात में वैदिक विधि-विधान से शादी होगी। 25 नवंबर की दोपहर रामकलेवा (56 भोग ज्योनार) व शाम में संगीत समारोह होगा। 26 नवंबर को शाम में संगीत और रात में चौथ-चौथारी के साथ महोत्सव का समापन होगा। सबसे बड़ी बात है कि यहां ना सिर्फ विवाह का महोत्सव मनाया जाता है। बल्कि वैष्णव माधुर्य भक्ति के परिचायक विश्वनाथ मंदिर बीहट में बेटी की शादी की तरह मिथिला परंपरा के अनुसार सभी रस्म निभाए जाते हैं। दामाद की तरह राम को करती विदा अवध (अयोध्या) से आए श्रीराम के स्वरूप दूल्हा से मिथिलांचल की बेटियां हास-परिहास करती है। विवाह की रस्म पूरा होने के बाद सम्मान के साथ उन्हें दामाद की तरह अवधपुरी अयोध्या के लिए विदा किया जाता है। विवाह महोत्सव में राजा जनक की भूमिका निभाने वाले विश्वनाथ मंदिर के पीठासीन आचार्य राजकिशोर शरण निभाते हैं। उन्होंने बताया कि लोक उत्सव और लोक पर्व की जागृत परंपरा के वाहक मिथिला के हर घर में श्रीराम जानकी की पूजा होती है। विश्वनाथ मंदिर में प्रत्येक दिन रामार्चन के माध्यम रस्में निभाई जाती है। प्रत्येक महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की पंचमी को भगवान श्रीराम का विवाहोत्सव होता है। लेकिन प्रत्येक साल अगहन शुक्ल पक्ष की पंचमी को श्रीजानकी विवाह महोत्सव का आयोजन होता रहा है। श्रीसिय रनिवास में महोत्सव की तैयारी अंतिम चरण में है। अयोध्या से 14 साल से कम उम्र के रामस्वरूप दूल्हा आएंगे। जिस तरह से पौराणिक काल में अपने गुरु के संग सीता के स्वयंवर में आए श्रीराम का सभी रस्म मिथिला में किया गया था, उसी प्रकार से यहां भी रामस्वरूप आए बालक का सभी रस्में पूरे विधि विधान से किया जाएगा। विश्वनाथ मंदिर का श्रीजानकी विवाह महोत्सव सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता को बढ़ाने के साथ ही वैष्णव माधुर्य भक्ति का परिचायक भी है। लोग यहां परब्रह्म की अराधना दासभक्ति से करते हैं। ब्रह्म का ब्रह्मत्व खोकर शक्ति में समर्पित हो जाना और शक्ति के हाथों का खिलौना बने रहना ही मिथिला की वैष्णव मार्धुय भक्ति का मर्म है। भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां ने कभी किया था शिरकत इस विवाह महोत्सव में विश्व प्रसिद्ध शहनाई वादक भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, उनके पौत्र इलील्लाह खान, दरभंगा घराना के गायक बिदुर मल्लिक, रमेश मल्लिक, संगीत मल्लिक समेत देश के कई ख्यातिप्राप्त शास्त्रीय संगीत गायक और वादक सहित अन्य विधा के कलाकार शिरकत कर चुके हैं। फिलहाल धूमधाम से विवाह उत्सव की तैयारी की जा रही है। निमंत्रण कार्ड वितरित किए जा रहे हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रम की तैयारी की गई है। बीहट से जुड़े रिश्तेदार भी आने की तैयारी कर चुके हैं तथा अपने परिजनों को इसका संवाद भेज दिया है। माता सीता के मायके मिथिला में एक बार फिर हर घर में मैथिली विवाह गीत गूंजने लगे हैं। अगहन शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन होने वाले जानकी विवाह महोत्सव के लिए तैयारी की जा रही है। । बेगूसराय में इस साल 24 नवंबर को राम जानकी विवाह महोत्सव होना है। यह दिन भले ही सीता और राम के विवाह का हो, लेकिन मिथिला में लोग राम विवाह नहीं, जानकी विवाह महोत्सव मनाते हैं। पूरे देश में मिथिलांचल का ही दो जगह एक जनकपुर और दूसरा बेगूसराय का बीहट है, जहां कि वैदिक रीति और संकीर्तन के साथ विवाह महोत्सव मनाया जाता है। दोनों जगह पर इस महोत्सव में शामिल होने के लिए ना केवल दूर-दूर से लोग आते हैं, बल्कि मिथिला के पाहुन (दामाद) श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण के स्वरूप भी अयोध्या से आते हैं। विवाह पंचमी को लेकर मिथिला के प्रवेश द्वार बीहट स्थित विश्वनाथ मंदिर में तैयारी अंतिम चरण में है। 16 दिसम्बर को मटकोर की रस्म 23 नवंबर को देव निमंत्रण, मंडपाच्छादन, जागरण व 16 दिसम्बर को मटकोर की रस्म और भातृभोज होगा। 24 नवंबर की सुबह हल्दी, दोपहर में नहछू और शाम में बारात नगर भ्रमण के बाद रात में वैदिक विधि-विधान से शादी होगी। 25 नवंबर की दोपहर रामकलेवा (56 भोग ज्योनार) व शाम में संगीत समारोह होगा। 26 नवंबर को शाम में संगीत और रात में चौथ-चौथारी के साथ महोत्सव का समापन होगा। सबसे बड़ी बात है कि यहां ना सिर्फ विवाह का महोत्सव मनाया जाता है। बल्कि वैष्णव माधुर्य भक्ति के परिचायक विश्वनाथ मंदिर बीहट में बेटी की शादी की तरह मिथिला परंपरा के अनुसार सभी रस्म निभाए जाते हैं। दामाद की तरह राम को करती विदा अवध (अयोध्या) से आए श्रीराम के स्वरूप दूल्हा से मिथिलांचल की बेटियां हास-परिहास करती है। विवाह की रस्म पूरा होने के बाद सम्मान के साथ उन्हें दामाद की तरह अवधपुरी अयोध्या के लिए विदा किया जाता है। विवाह महोत्सव में राजा जनक की भूमिका निभाने वाले विश्वनाथ मंदिर के पीठासीन आचार्य राजकिशोर शरण निभाते हैं। उन्होंने बताया कि लोक उत्सव और लोक पर्व की जागृत परंपरा के वाहक मिथिला के हर घर में श्रीराम जानकी की पूजा होती है। विश्वनाथ मंदिर में प्रत्येक दिन रामार्चन के माध्यम रस्में निभाई जाती है। प्रत्येक महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की पंचमी को भगवान श्रीराम का विवाहोत्सव होता है। लेकिन प्रत्येक साल अगहन शुक्ल पक्ष की पंचमी को श्रीजानकी विवाह महोत्सव का आयोजन होता रहा है। श्रीसिय रनिवास में महोत्सव की तैयारी अंतिम चरण में है। अयोध्या से 14 साल से कम उम्र के रामस्वरूप दूल्हा आएंगे। जिस तरह से पौराणिक काल में अपने गुरु के संग सीता के स्वयंवर में आए श्रीराम का सभी रस्म मिथिला में किया गया था, उसी प्रकार से यहां भी रामस्वरूप आए बालक का सभी रस्में पूरे विधि विधान से किया जाएगा। विश्वनाथ मंदिर का श्रीजानकी विवाह महोत्सव सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता को बढ़ाने के साथ ही वैष्णव माधुर्य भक्ति का परिचायक भी है। लोग यहां परब्रह्म की अराधना दासभक्ति से करते हैं। ब्रह्म का ब्रह्मत्व खोकर शक्ति में समर्पित हो जाना और शक्ति के हाथों का खिलौना बने रहना ही मिथिला की वैष्णव मार्धुय भक्ति का मर्म है। भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां ने कभी किया था शिरकत इस विवाह महोत्सव में विश्व प्रसिद्ध शहनाई वादक भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, उनके पौत्र इलील्लाह खान, दरभंगा घराना के गायक बिदुर मल्लिक, रमेश मल्लिक, संगीत मल्लिक समेत देश के कई ख्यातिप्राप्त शास्त्रीय संगीत गायक और वादक सहित अन्य विधा के कलाकार शिरकत कर चुके हैं। फिलहाल धूमधाम से विवाह उत्सव की तैयारी की जा रही है। निमंत्रण कार्ड वितरित किए जा रहे हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रम की तैयारी की गई है। बीहट से जुड़े रिश्तेदार भी आने की तैयारी कर चुके हैं तथा अपने परिजनों को इसका संवाद भेज दिया है।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *