पार्क रीजेंसी विवाद: हाईकोर्ट की सख्ती, ईडी व राज्य सरकार को नोटिस

पार्क रीजेंसी विवाद: हाईकोर्ट की सख्ती, ईडी व राज्य सरकार को नोटिस

पार्क रीजेंसी प्रोजेक्ट मामले में हाईकोर्ट ने ईडी, राज्य सरकार व अन्य को नोटिस जारी

17 नवम्बर 2025 | जयपुर

राजस्थान हाईकोर्ट, जयपुर बेंच ने सोमवार को पार्क रीजेंसी प्रोजेक्ट से जुड़े बहुचर्चित प्रकरण में महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED), राज्य सरकार, मधु चोरड़िया तथा आदर्श बिल्ड एस्टेट लिमिटेड के रिज़ॉल्यूशन प्रोफेशनल को नोटिस जारी किए।

यह आदेश तारा देवी केडिया एवं अन्य द्वारा दायर सामूहिक सिविल रिट पिटीशन पर प्रथम सुनवाई के दौरान दिया गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता नितीश बागड़ी तथा श्रेतिमा बागड़ी ने विस्तृत रूप से बहस प्रस्तुत की।

क्या है पूरा मामला?

याचिकाकर्ता कई वरिष्ठ एवं मध्यमवर्गीय  गृह–खरीददार हैं जिन्होंने अजमेर रोड स्थित पार्क रीजेंसी परियोजना में 2012 से 2017 के बीच अपने-अपने फ्लैट खरीदे थे। उन्होंने लगभग सम्पूर्ण बिक्री मूल्य का भुगतान कर दिया था और कई मामलों में बिल्डर द्वारा ऑफ़र ऑफ पज़ेशन भी जारी कर दिया गया था। इस प्रोजेक्ट में लगभग 400 परिवार आज अपने आशियाने के इंतजार कर रहे है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि-
• उन्होंने अपनी जीवन भर की बचत से फ्लैट खरीदे,
• लेकिन 2019 में ईडी द्वारा प्रोजेक्ट को मनी लॉन्ड्रिंग जांच के दौरान अस्थायी रूप से अटैच कर दिया गया,
• जिससे पज़ेशन और बिक्री–विलेख (सेल–डीड) दोनों रुक गए,
• और छह वर्ष बाद भी न तो कोई समाधान हुआ न ही खरीदारों को सुना गया।

याचिका में यह भी कहा गया कि ईडी द्वारा अटैचमेंट करते समय उन निर्दोष खरीदारों को नोटिस नहीं दिया गया जिनकी यूनिटें घोषित अपराध से जुड़ी नहीं हैं। यही नहीं, याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि कई फ्लैट्स की अटैचमेंट सूची अस्पष्ट है और गृह–खरीददारों को नैचुरल जस्टिस के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध कोई सुनवाई नहीं दी गई।

खरीददारों को ‘अधिकारों के क्रिस्टलाइज़ेशन’ में आ रही बाधा

याचिका के अनुसार-
• अपीलीय न्यायाधिकरण (PMLA) ने 2024 में यह कहते हुए अपील निपटा दी कि खरीदार पहले अपने अधिकार किसी उपयुक्त फ़ोरम से “क्रिस्टलाइज़” करवाएँ।
• वहीं, दूसरी ओर IBC के तहत बिल्डर कंपनी के दिवालिया होने से RERA या अन्य सिविल उपाय भी बाधित हैं।
• इस कारण खरीदार “कानूनी शून्य” की स्थिति में फँस गए हैं, जहाँ कोई वैकल्पिक मंच उपलब्ध ही नहीं है।

याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट से एनओसी जारी करने या अटैचमेंट आदेश हटाने जैसी राहतें मांगी हैं ताकि वे अपने फ्लैटों का रजिस्ट्री के  साथ पज़ेशन एवं सेल–डीड प्राप्त कर सकें।

अदालत ने क्या कहा?

प्रारंभिक सुनवाई के बाद माननीय न्यायालय ने—
• ईडी,
• राज्य सरकार,
• स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग,
• तथा प्रोजेक्ट की भूमि मालिक मधु चोरड़िया,
• व आदर्श बिल्ड एस्टेट के रिज़ॉल्यूशन प्रोफेशनल

को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि खरीदारों के अधिकारों एवं ईडी की जांच, दोनों के संतुलन का प्रश्न गंभीर है और इस पर विस्तृत सुनवाई आवश्यक है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से क्या तर्क रखे गए?

अधिवक्ता नितीश बागड़ी एवं श्रेतिमा बागड़ी ने बहस के दौरान कहा कि—
• खरीदारों का पैसा पूरी तरह वैध स्रोतों से आया है और इसका किसी कथित अपराध से कोई संबंध नहीं है।
• ईडी को केवल “प्रोसीड्स ऑफ क्राइम” के अनुपात में संपत्ति अटैच करने का अधिकार है, न कि ऐसे निर्दोष लोगों की यूनिटों का जो वर्षों से अपने घर का इंतजार कर रहे हैं।
• प्रोजेक्ट के अनेक फ्लैट ऐसे हैं जिन्हें ED द्वारा पहले ही “नॉट-अटैच्ड” घोषित किया गया था, फिर भी रजिस्ट्रेशन रोक दिया गया।
• विभाग द्वारा बिना सुनवाई के की गई कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21 और 300A का उल्लंघन है।

खरीददारों की परेशानी अब भी जारी

पार्क रीजेंसी प्रोजेक्ट में सैकड़ों परिवार अपने-अपने फ्लैटों के पज़ेशन के लिए वर्षों से भटक रहे हैं।
• कई खरीदार किराये का बोझ उठा रहे हैं,
• कई वयोवृद्ध हैं,
• जबकि कुछ ने बैंक लोन चुकाते हुए बिना घर में प्रवेश के लगातार किश्तें भरी हैं।
कई लोग ने अपनी सेवानिवृत्ति की पूरी रकम लगा दी।

याचिकाकर्ताओं ने इसे “जीवन की सबसे बड़ी आर्थिक और मानसिक पीड़ा” बताया।

इस मामले में फ्लैट बुकिंग धारकों ने एक संस्था बनाई है जिसके सचिव डॉ तरुण टांक ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को हमे 2016 के अंत में पजेशन देने का भूमि मालकिन और बिल्डर ने सेल एग्रीमेंट में वादा किया था। मगर दोनों ने अपना वादा नहीं निभाया और बाद में प्रोजेक्ट को रेरा मे पंजीकृत भी किया था मगर रेरा से भी हमे कोई निदान नहीं मिला। हमने कानूनी कार्यवाही के साथ अपनी शिकायत राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, वित्तमंत्री, मुख्यमंत्री आदि को भी लिखित में दी है और बताया कि ED ने जांच में  लापरवाही की है जिसका खामियाजा हम ईमानदार फ्लैट बुकिंग धारक सात साल से न्याय और अपने आशियाने को पाने के लिए भटक रहे है।

आगे की तारीख

मामले की अगली सुनवाई दिसंबर 2025 में निर्धारित होने की सम्भावना है, जब सभी प्रतिवादी विभागों के जवाब दाखिल होंगे।

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