गयाजी के बोधगया विधानसभा में एनडीए उम्मीदवार श्यामदेव पासवान की 881 वोट से हार हुई है। यहां 65 हजार से ज्यादा मांझी वोटर होने के बावजूद श्यामदेव पासवान अपने ही इलाके,मोहल्ला, टनकुप्पा और फतेहपुर प्रखण्ड में बढ़त नहीं ले पाए। इन तीनों इलाकों में इस बार भी पिछले बार की तरह राजद उम्मीदवार कुमार सर्वजीत को ही बढ़त मिली। इन इलाकों के लोगों ने श्यामदेव को नजरअंदाज कर दिया। इसी मुद्दे को लेकर जिला बीजेपी और एनडीए कुनबे में खींचतान की चर्चा तेज थी। आरोप लग रहे थे कि जिला अध्यक्ष (पूर्वी) विजय मांझी ने बोधगया में प्रचार की कमान ढंग से नहीं संभाली। विजय मांझी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इन आरोपों पर अपनी सफाई दी। कहा कि यह कहना गलत है कि मैंने प्रचार में लापरवाही की। जिला अध्यक्ष होने के नाते मुझे एक साथ पांच विधानसभा क्षेत्रों में कार्यक्रमों की जिम्मेदारी निभानी पड़ी। बड़े नेताओं के दौरे और संसदीय स्तर की सभाओं की तैयारी भी हमें संभालनी थी। लिहाजा सभी जगह एक समय पर व्यस्तता अधिक थी। उन्होंने आंकड़ों के साथ दावा किया कि पांच में से चार विधानसभा सीटों पर एनडीए ने जीत दर्ज की है। उम्मीद के मुताबिक लीड नहीं मिल सकी बोधगया में भी नगर परिषद के पिछले नतीजों के मुकाबले एनडीए करीब 7500–8000 वोट की बढ़त में था। लेकिन श्यामदेव पासवान जिन इलाकों के वोटरों पर निर्भर थे। वहां उम्मीद के मुताबिक लीड नहीं मिल सकी। विजय मांझी ने साफ कहा कि हार के लिए अकेले जिला अध्यक्ष को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है। यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। संगठन, कार्यकर्ताओं और पूरे गठबंधन को एकजुट होकर समीक्षा करनी चाहिए। व्यक्तिगत आरोप लगाने की राजनीति से कोई फायदा नहीं होगा। बोधगया में एनडीए की हार और उसके बाद उठे सवालों ने राजनीतिक माहौल को पूरी तरह गर्म कर दिया है। अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि एनडीए इस हार की समीक्षा कैसे और कब करता है। गयाजी के बोधगया विधानसभा में एनडीए उम्मीदवार श्यामदेव पासवान की 881 वोट से हार हुई है। यहां 65 हजार से ज्यादा मांझी वोटर होने के बावजूद श्यामदेव पासवान अपने ही इलाके,मोहल्ला, टनकुप्पा और फतेहपुर प्रखण्ड में बढ़त नहीं ले पाए। इन तीनों इलाकों में इस बार भी पिछले बार की तरह राजद उम्मीदवार कुमार सर्वजीत को ही बढ़त मिली। इन इलाकों के लोगों ने श्यामदेव को नजरअंदाज कर दिया। इसी मुद्दे को लेकर जिला बीजेपी और एनडीए कुनबे में खींचतान की चर्चा तेज थी। आरोप लग रहे थे कि जिला अध्यक्ष (पूर्वी) विजय मांझी ने बोधगया में प्रचार की कमान ढंग से नहीं संभाली। विजय मांझी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इन आरोपों पर अपनी सफाई दी। कहा कि यह कहना गलत है कि मैंने प्रचार में लापरवाही की। जिला अध्यक्ष होने के नाते मुझे एक साथ पांच विधानसभा क्षेत्रों में कार्यक्रमों की जिम्मेदारी निभानी पड़ी। बड़े नेताओं के दौरे और संसदीय स्तर की सभाओं की तैयारी भी हमें संभालनी थी। लिहाजा सभी जगह एक समय पर व्यस्तता अधिक थी। उन्होंने आंकड़ों के साथ दावा किया कि पांच में से चार विधानसभा सीटों पर एनडीए ने जीत दर्ज की है। उम्मीद के मुताबिक लीड नहीं मिल सकी बोधगया में भी नगर परिषद के पिछले नतीजों के मुकाबले एनडीए करीब 7500–8000 वोट की बढ़त में था। लेकिन श्यामदेव पासवान जिन इलाकों के वोटरों पर निर्भर थे। वहां उम्मीद के मुताबिक लीड नहीं मिल सकी। विजय मांझी ने साफ कहा कि हार के लिए अकेले जिला अध्यक्ष को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है। यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। संगठन, कार्यकर्ताओं और पूरे गठबंधन को एकजुट होकर समीक्षा करनी चाहिए। व्यक्तिगत आरोप लगाने की राजनीति से कोई फायदा नहीं होगा। बोधगया में एनडीए की हार और उसके बाद उठे सवालों ने राजनीतिक माहौल को पूरी तरह गर्म कर दिया है। अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि एनडीए इस हार की समीक्षा कैसे और कब करता है।


