बालमीक पांडेय @कटनी. जिले में संचालित होने वाले 17 थानों की पुलिस के कंधों पर 951 गांव व शहर मिलाकर अनुमानित 16 लाख आबादी की सुरक्षा व शांति व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है। अक्सर देखने में आता है कि घटनाओं व वारदातों के बाद फरियादियों की थानों में रिपोर्ट नहीं लिखी जाती। इन सबके बीच 1 जनवरी से 20 दिसंबर तक जिले में 9 हजार 325 प्रकरण दर्ज हुए हैं। दर्ज हुई इन एफआइआर में भारतीय दंड विधान व बीएनएस के तहत 4473 अपराध दर्ज हुई हैं, जबकि लघु अधिनियम वाले 4852 मामलों में एफआइआर हुई है। जिलेभर में दर्ज हुए 9325 प्रकरण में 983 मामले अभी भी लंबित हैं, जिले में 10.57 प्रतिशत मामलों का निकाल 20 दिसंबर की स्थिति में नहीं हो पाया, जबकि कई थाने 15 प्रतिशत से अधिक पीछे चल रहे हैं। वहीं कुछ थानों का मामलों के निकाल में बेहतर प्रदर्शन रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि अधिकांश मामलों में एफआइआर न होने के बाद भी पेडेंसी खत्म नहीं हो पा रही।
10 से 20 फीसदी से पीछे हैं ये थाने
जिले के कई थाने साल के आखिरी में मामलों के निकाल में 10 फीसदी से पीछे चले रहे हैं। अजाक थाना 20 प्रतिशत पीछे चल रहा है, जबकि यहां पर सिर्फ 5 प्रकरण दर्ज हुए जिनमें से एक लंबित है। कोतवाली 15.53 प्रतिशत, माधवनगर 17.6, रंगनाथ नगर 14.37, स्लीमनाबाद 13.49, बरही 12.14, बड़वारा 12.44, एनकेजे 11.42 प्रतिशत मामले लंबित हैं। हालांकि कई थानों का बेहतर प्रदर्शन है, जो 5 प्रतिशत से भी कम मामले लंबित हैं।

ये थाने हैं 10 प्रतिशत से कम
जिले में महिला थाना 4.8, रीठी 6.82, कैमोर 8.67, विजयराघवगढ़ 4.83, उमरियापान 5.68, बाकल 7.60, बहोरीबंद 3.91, ढीमरखेड़ा 2.86, कुठला 7.93 प्रतिशत अभी पीछे चल रहा है। पुलिस मुख्यालय की गाइड लाइन है कि हर थाने में साल के आखिरी में 10 प्रतिशत से कम ही पेडेंसी होनी चाहिए, हालांकि जिले में एसपी ने इसे 5 प्रतिशत रखा है। 10 फीसदी से अधिक पेडेंसी होने पर पीएचक्यू द्वारा यह माना जाता है कि थाना प्रभारी व स्टॉफ ने मामलों के निकाल में रुचि नहीं ली।
ये अपराध हैं लंबित
शहर के कोतवाली थाने में 1049 में 163, कुठला 945 में 75, माधवनगर 1062 में 187, रंगनाथ नगर 327 में 47, स्लीमनाबाद 689 में 93, ढीमरखेड़ा 559 में 16, बहोरीबंद 460 में 18, बाकल 434 में 33, उमरियापान 440 में 25, विजयराघवगढ़ 538 में से 26, बरही 749 में से 93, कैमोर 369 में से 32, रीठी 498 में से 34, बड़वारा 627 में से 78, एनकेजे 526 में से 60, महिला थाने में 49 में से 2 व अजाक थाने में दर्ज 5 प्रकरणों में से एक प्रकरण लंबित है।
डकैती, लूट के साथ हुई है झपटमारी
जिले में डकैती, लूट के साथ हुई है झपटमारी की भी घटनाएं हुई हैं। इस साल एक डकैती, 10 लूट, 7 झपटमारी की घटनाएं हुई हैं। 82 दो पहिया वाहन तो 8 चार पहिया वाहन चोरी हुए हैं। 6 तीन पहिया वाहन पार हुए हैं। इसी प्रकार 54 चोरी के प्रकरण तो 103 गृहभेदन के मामले दर्ज किए गए हैं। संपत्ति संबंधी अपराध 278 दर्ज हुए हैं.

जिले में यह है अपराधों की स्थिति
अपराध 2023 2024 2025
हत्या 29 19 26
हत्या का प्रयास 08 08 36
डकैती 01 02 01
लूट 06 02 10
झपटमारी 07 07 07
गृहभेदन 95 72 103
चोरी 222 116 150
छेड़छाड़ 83 47 41
बलवा 02 01 06
बलात्कार 51 32 27
अपहरण 216 243 281
दुर्घटना 918 924 932
फैक्ट फाइल
– 953 हुए हैं जिले में महिला संबंधी अपराध।
– 17405 लोगों के खिलाफ हुई प्रतिबंधात्मक कार्रवाई।
– 29048 प्रकरण अवैध हथियार व नशे के खिलाफ दर्ज।
– 15 प्रतिशत से अधिक घटे हैं जिले में लघु अधि के अपराध।
– 2024 की तुलना में 15 फीसदी अधिक हुई हैं एफआइआर।
– 1600 से अधिक प्रकरण बने शराब पीकर वाहन चलाने पर।
– 58 प्रकरण अवैध मादक पदार्थ की तस्करी करने पर बने।
इन मामलों में दर्ज नहीं हुई एफआइआर
केस 01
रंगनाथ नगर थाना क्षेत्र अंतर्गत एक किशोरी के साथ दो लोगों ने 22 दिसंबर छेड़छाड़ की है। अश्लील वीडियो बनाने के आरोप हैं, लेकिन पीडि़ता थाने में गई तो सुनवाई नहीं हुई। एफआइआर दर्ज न होने से पीडि़ता ने एसपी से जनसुनवाई में गुहार लगाकर न्याय की मांग की।
केस 02
कुठला थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम टिकरवारा निवासी गंगा बाई पति रामकृपाल के साथ धोखाधड़ी हुई है। कुछ लोगों ने 8 आरे जमीन खरीदकर 80 आरे की रजिस्ट्री करा ली है। महिला 9 दिसंबर को थाने गई थी तो वहीं पर एनसीआर काटकर चलता कर दिया गया है।

इसलिए दर्ज नहीं की जाती एफआइआर
थानों में पुलिस दिसंबर माह में इसलिए एफआइआर दर्ज नहीं करती, ताकि अपराध का निकाल 90 फीसदी से अधिक हो। पीएचक्यू की गाइड लाइन के चक्कर में शत प्रतिशत मामलों का निकाल व प्रतिस्पर्धा की होड़ में आगे निकलने व वाहवाही लूटने के लिए पीडि़तों की फरियाद जिले के थानों में नहीं सुनी जाती। अपराध दर्ज न होने से पेडेंसी नहीं दिखती और जनता में थाना प्रभारियों व पुलिस को झूठी वाहवाही मिलती है।
वर्जन
सभी थाना प्रभारियों को दिसंबर माह में अपराधों के निकाल के लिए निर्देश दिए गए हैं। 95 प्रतिशत तक का लक्ष्य तय किया गया है। थाने में आने वाले फरियादियों की रिपोर्ट यदि नहीं लिखी जा रही है तो इसकी जांच कराएंगे, जांच में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। प्रकरणों का निकाल न करने वाले प्रभारियों को दंडित किया जाएगा।


