पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR (सामान्य शब्दों में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन) को लेकर घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब दक्षिण 24 परगना जिले में एक व्यक्ति ने मतदाता सूची से नाम हटने के डर से आत्महत्या कर ली। मृतक सफीकुल गाजी पिछले कुछ महीनों से भांगड़ में ससुराल में रह रहे थे। परिजनों ने बताया कि वे विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू होने के बाद दहशत में थे। गाजी को डर था कि उनके पास वैध पहचान पत्र न होने के कारण उन्हें देश से निकाल दिया जाएगा। तृणमूल कांग्रेस ने इसे SIR को लेकर 8वीं आत्महत्या बताया और भाजपा पर भय फैलाने का आरोप लगाया। मतुआ समुदाय की भूख हड़ताल शुरू टीएमसी सांसद ममता बाला ठाकुर के नेतृत्व में मातुआ समुदाय के एक गुट ने बांग्लादेश से आए सभी शरणार्थियों को बिना शर्त नागरिकता देने की मांग पर ठाकुरनगर में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की। भाजपा नेता शंतनु ठाकुर ने इसे वोट राजनीति बताया, जबकि टीएमसी CAA का विरोध जारी रखे हुए है। केरल में सभी पार्टी एकजुट सीएम पिनाराई विजयन ने घोषणा की कि सरकार एसआईआर प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। भाजपा के सिवाय सभी दलों ने इस कदम का समर्थन किया। विपक्ष नेता वीडी सतीसन ने कहा कि वे भी कोर्ट में सरकार के साथ पक्षकार बनने को तैयार हैं। 4 नवंबर- ममता ने कोलकाता में विरोध मार्च निकाला पश्चिम बंगाल में 4 नवंबर को CM ममता बनर्जी ने SIR के खिलाफ कोलकाता में विरोध मार्च निकाला था । 3.8 km लंबी रैली में उनके साथ पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी और बड़ी संख्या में पार्टी वर्कर्स मौजूद रहे। इस दौरान CM ममता ने कहा- SIR को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि 2026 विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में चुपचाप धांधली की जा सके। आगे कहा कि जैसे हर उर्दू बोलने वाला पाकिस्तानी नहीं, वैसे ही हर बांग्लाभाषी बांग्लादेशी नहीं होता। तमिलनाडु में SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची DMK तमिलनाडु की सत्तारूढ़ DMK पार्टी ने राज्य में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। 3 नवंबर को DMK के संगठन सचिव और वरिष्ठ नेता आर एस भारती ने पार्टी सांसद और वरिष्ठ वकील एनआर एलंगो के माध्यम से कोर्ट में याचिका दायर की।
तमिलनाडु CM एमके स्टालिन की अध्यक्षता में हुई विभिन्न दलों की बैठक में SIR के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया गया था। BLO का घर-घर पहुंचना शुरू देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट अपडेट करने के लिए बूथ लेवल अधिकारी (BLO) का 4 नवंबर से घर-घर पहुंचना शुरू हो गया है। चुनाव आयोग ने बताया कि इन राज्यों में वोटर लिस्ट SIR के लिए BLO की ट्रेनिंग 28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक हुई। पूरी प्रोसेस 7 फरवरी को खत्म होगी। SIR में वोटर लिस्ट का अपडेशन होगा। नए वोटरों के नाम जोड़े जाएंगे और वोटर लिस्ट में सामने आने वाली गलतियों को सुधारा जाएगा। उधर, चुनाव आयोग ने सोमवार को मद्रास हाईकोर्ट में कहा कि SIR को लेकर किसी भी आशंका की कोई जरूरत नहीं है। आपत्तियों पर विचार करने के बाद ही अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। इन 12 राज्यों में SIR होगा अंडमान निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल 12 राज्यों में करीब 51 करोड़ वोटर्स SIR वाले 12 राज्यों में करीब 51 करोड़ वोटर्स हैं। इस काम में 5.33 लाख बीएलओ (BLO) और 7 लाख से ज्यादा बीएलए (BLA) राजनीतिक दलों की ओर से लगाए जाएंगे। SIR के दौरान BLO/BLA वोटर को फॉर्म देंगे। वोटर को उन्हें जानकारी मैच करवानी है। अगर दो जगह वोटर लिस्ट में नाम है तो उसे एक जगह से कटवाना होगा। अगर नाम वोटर लिस्ट में नहीं है तो जुड़वाने के लिए फॉर्म भरना होगा और संबंधित डॉक्यूमेंट्स देने होंगे। SIR के लिए कौन से दस्तावेज मान्य SIR का मकसद क्या है 1951 से लेकर 2004 तक का SIR हो गया है, लेकिन पिछले 21 साल से बाकी है। इस लंबे दौर में मतदाता सूची में कई परिवर्तन जरूरी हैं। जैसे लोगों का माइग्रेशन, दो जगह वोटर लिस्ट में नाम होना। डेथ के बाद भी नाम रहना। विदेशी नागरिकों का नाम सूची में आ जाने पर हटाना। कोई भी योग्य वोटर लिस्ट में न छूटे और कोई भी अयोग्य मतदाता सूची में शामिल न हो। यह भी जानिए… नाम सूची से कट गया तो क्या करें?
ड्राफ्ट मतदाता सूची के आधार पर एक महीने तक अपील कर सकते हैं। ईआरओ के फैसले के खिलाफ डीएम और डीएम के फैसले के खिलाफसीईओ तक अपील कर सकते हैं। शिकायत या सहायता कहां से लें? हेल्पलाइन 1950 पर कॉल करें। अपने बीएलओ या जिला चुनाव कार्यालय सेसंपर्क करें। बिहार की मतदाता सूची दस्तावेजों में क्यों जोड़ी गई?
यदि कोई व्यक्ति 12 राज्यों में से किसी एक में अपना नाम मतदाता सूची मेंशामिल करवाना चाहता है और वह बिहार की एसआईआर के बाद की सूचीका अंश प्रस्तुत करता है, जिसमें उसके माता-पिता के नाम हैं, तो उसेनागरिकता के अतिरिक्त प्रमाण प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी। सिर्फजन्मतिथि का प्रमाण देना पर्याप्त होगा। क्या आधार को पहचान के प्रमाण के रूप में मान्यता दी गई है?
सितंबर में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद चुनाव आयोग ने बिहार के चुनावअधिकारियों को निर्देश दिया था कि आधार कार्ड को मतदाताओं की पहचानस्थापित करने के लिए एक अतिरिक्त दस्तावेज के रूप में स्वीकार कियाजाए। आयोग ने स्पष्ट किया है कि आधार केवल पहचान प्रमाण के रूप मेंस्वीकार किया जाएगा, नागरिकता प्रमाण के रूप में नहीं। —————————————- SIR से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… राहुल के प्रजेंटेशन में वोटर्स डिलीट कराने का दावा: जिनके नाम कटे, उन्हें स्टेज पर बुलाया; EC बोला- आरोप झूठे, नाम ऑनलाइन डिलीट नहीं होते कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 18 सितंबर को 31 मिनट का प्रजेंटेशन दिया था। इसमें उन्होंने कहा- मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार लोकतंत्र को नष्ट करने वालों और वोट चोरों को बचा रहे हैं। राहुल ने कर्नाटक की आलंद विधानसभा सीट का उदाहरण देते हुए दावा किया कि वहां कांग्रेस समर्थकों के वोट योजनाबद्ध तरीके से हटाए गए। पूरी खबर पढ़ें…
TMC बोली- SIR को लेकर बंगाल में 8वीं आत्महत्या:मतुआ समुदाय भूख हड़ताल पर बैठा; केरल सरकार भी सुप्रीम कोर्ट जाएगी


