बना गुजरात की इको-टूरिज्म की पहचान
राज्य के 4 रामसर साइट में शामिल
यहां 332 पक्षी प्रजातियां की गई दर्ज
जामनगर. शहर के पास स्थित खिजड़िया पक्षी अभयारण्य में वर्ष 2024-25 के दौरान 52400 से अधिक पर्यटक पहुंचे। रामसर साइट के रूप में शामिल यह अभयारण्य इको-टूरिज्म क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है।
600 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैला यह अभयारण्य मीठे और खारे पानी के दुर्लभ संगम के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। यह अनोखा पारिस्थितिक तंत्र पक्षियों के लिए एक विविधतापूर्ण निवास उपलब्ध कराता है।
गुजरात सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023-24 के दौरान यहां 317 पक्षी प्रजातियां दर्ज की गई थी, जो 2024-25 में बढ़कर 332 हो गई हैं। यह इस अभयारण्य की लगातार विकसित होती जैव विविधता का प्रमाण है।
इस पारिस्थितिक समृद्धि को 2022 में वैश्विक मान्यता मिली, जब खिजड़िया को अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में रामसर स्थल का दर्जा प्राप्त हुआ। राज्य सरकार यहां पर्यटकों के लिए आधुनिक सुविधाएं विकसित कर रही है। इनमें वॉच टावर, वन-कुटीर, पक्षी निरीक्षण प्लेटफॉर्म, इंटरप्रिटेशन सेंटर, सेल्फी पॉइंट और जानकारी देने वाले साइन बोर्ड शामिल हैं।
भारत के सबसे जीवंत पक्षी स्थलों में से एक
अभयारण्य की मुख्य ताकत इसके विविधतापूर्ण और सुरक्षित आवास स्थल में है, जहां मीठे पानी का बहाव समुद्री ज्वार के साथ मिलता है। तटबंधों एवं खंदकों के नेटवर्क से यह और भी समृद्ध हो जाता है, जो वन्यजीवों के लिए आदर्श माइक्रो हैबिटेट बनाते हैं। ये सुविधाएं खिजड़िया को भारत के सबसे जीवंत पक्षी स्थलों में से एक बनाती हैं।
खिजड़िया पक्षी अभयारण्य गुजरात के एकीकृत विकास मॉडल का स्वाभाविक उदाहरण बनकर उभर रहा है, जहां पर्यावरणीय संरक्षण और आर्थिक विकास एक साथ आगे बढ़ते हैं।


