एमपी में विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) का पहला चरण पूरा हो चुका है। चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक 42 लाख वोटर्स के नाम 2003 की मतदाता सूची से मैच नहीं हुए हैं। 7 नवंबर से शुरू हुई यह प्रक्रिया लगभग 45 दिनों तक चली, जिसमें हजारों बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) ने घर-घर जाकर मतदाताओं का भौतिक सत्यापन किया है। आज मतदाता सूची का पहला ड्राफ्ट प्रकाशित किया जाएगा। ऐसे में हर किसी के मन में सवाल है कि उसका नाम ड्राफ्ट लिस्ट से कट गया तो क्या होगा? क्या वे फिर कभी वोट नहीं दे पाएंगे? उन्हें अपनी शिकायत लेकर कहां जाना होगा? इन सभी सवालों के जवाब जानने और प्रक्रिया को समझने के लिए भास्कर ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अफसरों से बात की और पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझा। अब सिलसिलेवार जानिए सारे सवालों के जवाब 1. ड्राफ्ट लिस्ट में अपना नाम कैसे चेक करें?
23 दिसंबर को लिस्ट जारी होने के बाद आप दो आसान तरीकों से अपना नाम जांच सकते हैं। 2. मेरा नाम 2003 की लिस्ट में था, पर 2025 की ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है
आपको घबराने की कोई जरूरत नहीं है। ड्राफ्ट लिस्ट अंतिम नहीं होती। यदि आपका नाम पुरानी सूची में था, लेकिन अब नहीं है तो इसका मतलब है कि सत्यापन के दौरान किसी कारण (जैसे पते पर न मिलना, डुप्लीकेसी या तकनीकी गलती) से आपका नाम हटा दिया गया है। समाधान: आप अपना नाम दोबारा जुड़वाने के लिए दावा पेश कर सकते हैं। इसके लिए आपको फॉर्म-6 भरना होगा। यह फॉर्म आप ऑनलाइन Voter Helpline App के माध्यम से या ऑफलाइन अपने बीएलओ को जमा कर सकते हैं। 14 फरवरी 2026 तक का समय इसी काम के लिए दिया गया है। 3. ड्राफ्ट जारी होने के बाद बीएलओ (BLO) की क्या भूमिका होगी?
23 दिसंबर के बाद बीएलओ की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी। वे तीन अहम काम करेंगे 4. नाम दोबारा जुड़वाने के लिए कौन-से दस्तावेज लगेंगे?
आपको अपनी नागरिकता और जन्मतिथि साबित करने के लिए कुछ दस्तावेज देने होंगे। यह आपके जन्म की तारीख पर निर्भर करता है: 5.अगर मेरे मोहल्ले के कई लोगों के नाम गलत तरीके से काट दिए गए हैं, तो क्या करें?
यदि आपको लगता है कि किसी विशेष क्षेत्र या समुदाय के नाम जानबूझकर या गलती से सामूहिक रूप से काट दिए गए हैं तो आप इसके खिलाफ आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। समाधान:आप फॉर्म-7 भरकर व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। इसके अलावा आप एक लिखित शिकायत सीधे अपने जिले के जिला निर्वाचन अधिकारी (कलेक्टर) को भी दे सकते हैं। चुनाव आयोग के स्पष्ट निर्देश हैं कि बिना किसी नोटिस या भौतिक सत्यापन के किसी भी जीवित मतदाता का नाम नहीं काटा जा सकता। 6. एक ही पते पर 100 लोगों का नाम होने जैसी गलतियों का क्या होगा?
चुनाव आयोग अब ‘लॉजिकल एरर’ यानी तार्किक त्रुटियों पर बहुत सख्ती बरत रहा है। यदि एक ही घर के पते पर असामान्य रूप से अधिक संख्या में मतदाता पंजीकृत हैं तो बीएलओ के लिए इसका भौतिक सत्यापन करना अनिवार्य है। यदि सत्यापन में पाया जाता है कि वे लोग वहां नहीं रहते हैं तो उनके नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यदि कोई मतदाता अपना पता बदलवाना चाहता है तो उसे फॉर्म-8 भरकर आवेदन करना होगा। 7. क्या जिन लोगों के नाम हटाए गए हैं, उनकी कोई अलग सूची जारी होगी?
जी हां, पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग यह प्रावधान रखता है। जब 21 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होगी तो उसके साथ एक हटाए गए नामों की सूची भी जारी की जाएगी। इस सूची में उन सभी लोगों के नाम और कारण होते हैं, जिनके नाम हटाए गए हैं। यह सूची मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को भी उपलब्ध कराई जाती है। 8. क्या इस प्रक्रिया के बाद पोलिंग बूथ की संख्या भी बढ़ सकती है?
हां, इसकी पूरी संभावना है। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, एक शहरी पोलिंग बूथ पर अधिकतम 1200 और ग्रामीण बूथ पर 1000 मतदाता होने चाहिए। यदि दावे-आपत्तियों के निपटारे के बाद नए नाम जुड़ने से किसी बूथ पर मतदाताओं की संख्या इस सीमा को पार कर जाती है तो वहां एक सहायक मतदान केंद्र बनाया जाता है। इससे बूथों की कुल संख्या बढ़ सकती है।


