बिहार में इस साल मॉनसून ने उम्मीदों को फिर निराश किया है। 17 जून को दस्तक देने वाला दक्षिण-पश्चिम मानसून 13 अक्टूबर को पूरी तरह लौट गया, मगर चार महीनों में सिर्फ 686.3 मिमी बारिश हुई है। जबकि सामान्य औसत 992.2 मिमी है। यानी पूरे सीजन में 31% बारिश कम हुई। खेत सूखे रहे, तालाब नहीं भर पाए और किसान उम्मीदों से ज्यादा नुकसान लेकर लौटे। इस रिपोर्ट में समझिए कि क्यों फिसला मानसून, किन जिलों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा, पिछले पांच साल का पैटर्न क्या रहा और आगे इसका मतलब क्या है। जून से सितंबर तक हर महीने बारिश में गिरावट जून में 104.4 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य 163.3 मिमी 36% कम जुलाई – 200.5 मिमी, जबकि सामान्य 340.5 मिमी 41% कम अगस्त – 246.4 मिमी, जबकि सामान्य 271.9 मिमी 9% कम सितंबर – 135.0 मिमी, जबकि सामान्य 216.5 मिमी 38% कम केवल अक्टूबर की शुरुआत ने दी राहत 1 से 13 अक्टूबर तक 128.6 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य 38.4 मिमी से 235% ज्यादा है। लेकिन यह कमी की भरपाई नहीं कर सकी। किन जिलों में बारिश सबसे कम रही? 25 जिलों में 20% से 60% कम बारिश। सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, सुपौल, गोपालगंज, सारन, अररिया, पश्चिम चंपारण, मधुबनी, शिवहर, कटिहार, भागलपुर, भोजपुर, किशनगंज, मुंगेर, समस्तीपुर, भभुआ, दरभंगा, जहानाबाद, अरवल, सिवान, बेगूसराय। 13 जिले सामान्य के आसपास रोहतास, बक्सर, बांका, जमुई, लखीसराय, नालंदा, वैशाली, शेखपुरा, खगड़िया, पटना, औरंगाबाद, नवादा, गया। इस साल बारिश कम रहने के 3 बड़े कारण 1. एल नीनो और समुद्री पैटर्न का असर इस साल प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी हिस्सों में एल नीनो सक्रिय रहा। एल नीनो के दौरान समुद्री तापमान बढ़ जाता है, जिससे भारत की ओर आने वाली मॉनसून हवाओं की रफ़्तार और दिशा दोनों प्रभावित होती हैं। सामान्य सालों में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमी भरी हवाएं बिहार तक अच्छी बारिश कराती हैं। लेकिन इस बार एल नीनो की वजह से मॉनसून की धुरी (Monsoon Trough) बार-बार उत्तर की ओर खिसकती रही। इससे मानसून की ताकत कमजोर रही और लगातार बारिश वाले सिस्टम नहीं बन पाए। 2. लो-प्रेशर सिस्टम बहुत कम बने मॉनसून के दौरान बंगाल की खाड़ी में बनने वाले लो-प्रेशर और डिप्रेशन सिस्टम ही बिहार की बारिश का सबसे बड़ा जरिया होते हैं। आमतौर पर एक सीजन में 8 से 10 सिस्टम बनते हैं, जो चरणबद्ध तरीके से पूर्वी भारत से गुजरते हैं। लेकिन इस साल सिर्फ 3 से 4 प्रभावी सिस्टम ही बने। जो सिस्टम बने भी, उनमें से कई ओडिशा और छत्तीसगढ़ की ओर मुड़ गए और बिहार तक प्रभावी बारिश नहीं पहुंची। जब लो-प्रेशर नहीं बनते या जल्दी कमजोर हो जाते हैं, तो मॉनसून “ब्रेक फेज” में चला जाता है — यानि बीच-बीच में लंबे सूखे अंतराल बन जाते हैं। यही हुआ। 3. जलवायु परिवर्तन की मार पिछले कुछ सालों में मानसून का पैटर्न लगातार बदल रहा है। तापमान बढ़ने से वायुमंडल में नमी तो बनती है, लेकिन बारिश एकसाथ और कम समय में होती है। लंबे समय तक पड़ने वाली हल्की या स्थिर बारिश में कमी आई है। इस बार भी बड़े हिस्से में बूंदाबांदी और मामूली बरसात हुई, लेकिन लगातार और व्यापक बारिश नहीं हो पाई। कम बारिश का सीधा असर किसानों पर धान की बुवाई देरी से हुई कई जिलों में खेत सूखे रह गए रबी फसल के लिए भूजल रिचार्ज कम पोखर-तालाबों का स्तर नीचे बिजली और पेयजल पर भी दबाव बढ़ा कब लौटा मानसून? पिछले 5 साल का रिकॉर्ड साल मानसून वापसी की तारीख 2025- 13 अक्टूबर 2024- 11 अक्टूबर 2023- 15 अक्टूबर 2022- 10 अक्टूबर 2021- 12 अक्टूबर पिछले 5 साल में कितनी बारिश हुई? 2025 992.2 मिमी, 686.3 मिमी (31% कम) 2024 ~1000 मिमी, 820 मिमी (18-20% कम) 2023 ~1020 मिमी, 910 मिमी (10-12% कम) 2022 ~990 मिमी, 950 मिमी (सामान्य) 2021 ~1000 मिमी, 780 मिमी (22% कम) बिहार में इस साल मॉनसून ने उम्मीदों को फिर निराश किया है। 17 जून को दस्तक देने वाला दक्षिण-पश्चिम मानसून 13 अक्टूबर को पूरी तरह लौट गया, मगर चार महीनों में सिर्फ 686.3 मिमी बारिश हुई है। जबकि सामान्य औसत 992.2 मिमी है। यानी पूरे सीजन में 31% बारिश कम हुई। खेत सूखे रहे, तालाब नहीं भर पाए और किसान उम्मीदों से ज्यादा नुकसान लेकर लौटे। इस रिपोर्ट में समझिए कि क्यों फिसला मानसून, किन जिलों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा, पिछले पांच साल का पैटर्न क्या रहा और आगे इसका मतलब क्या है। जून से सितंबर तक हर महीने बारिश में गिरावट जून में 104.4 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य 163.3 मिमी 36% कम जुलाई – 200.5 मिमी, जबकि सामान्य 340.5 मिमी 41% कम अगस्त – 246.4 मिमी, जबकि सामान्य 271.9 मिमी 9% कम सितंबर – 135.0 मिमी, जबकि सामान्य 216.5 मिमी 38% कम केवल अक्टूबर की शुरुआत ने दी राहत 1 से 13 अक्टूबर तक 128.6 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य 38.4 मिमी से 235% ज्यादा है। लेकिन यह कमी की भरपाई नहीं कर सकी। किन जिलों में बारिश सबसे कम रही? 25 जिलों में 20% से 60% कम बारिश। सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, सुपौल, गोपालगंज, सारन, अररिया, पश्चिम चंपारण, मधुबनी, शिवहर, कटिहार, भागलपुर, भोजपुर, किशनगंज, मुंगेर, समस्तीपुर, भभुआ, दरभंगा, जहानाबाद, अरवल, सिवान, बेगूसराय। 13 जिले सामान्य के आसपास रोहतास, बक्सर, बांका, जमुई, लखीसराय, नालंदा, वैशाली, शेखपुरा, खगड़िया, पटना, औरंगाबाद, नवादा, गया। इस साल बारिश कम रहने के 3 बड़े कारण 1. एल नीनो और समुद्री पैटर्न का असर इस साल प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी हिस्सों में एल नीनो सक्रिय रहा। एल नीनो के दौरान समुद्री तापमान बढ़ जाता है, जिससे भारत की ओर आने वाली मॉनसून हवाओं की रफ़्तार और दिशा दोनों प्रभावित होती हैं। सामान्य सालों में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमी भरी हवाएं बिहार तक अच्छी बारिश कराती हैं। लेकिन इस बार एल नीनो की वजह से मॉनसून की धुरी (Monsoon Trough) बार-बार उत्तर की ओर खिसकती रही। इससे मानसून की ताकत कमजोर रही और लगातार बारिश वाले सिस्टम नहीं बन पाए। 2. लो-प्रेशर सिस्टम बहुत कम बने मॉनसून के दौरान बंगाल की खाड़ी में बनने वाले लो-प्रेशर और डिप्रेशन सिस्टम ही बिहार की बारिश का सबसे बड़ा जरिया होते हैं। आमतौर पर एक सीजन में 8 से 10 सिस्टम बनते हैं, जो चरणबद्ध तरीके से पूर्वी भारत से गुजरते हैं। लेकिन इस साल सिर्फ 3 से 4 प्रभावी सिस्टम ही बने। जो सिस्टम बने भी, उनमें से कई ओडिशा और छत्तीसगढ़ की ओर मुड़ गए और बिहार तक प्रभावी बारिश नहीं पहुंची। जब लो-प्रेशर नहीं बनते या जल्दी कमजोर हो जाते हैं, तो मॉनसून “ब्रेक फेज” में चला जाता है — यानि बीच-बीच में लंबे सूखे अंतराल बन जाते हैं। यही हुआ। 3. जलवायु परिवर्तन की मार पिछले कुछ सालों में मानसून का पैटर्न लगातार बदल रहा है। तापमान बढ़ने से वायुमंडल में नमी तो बनती है, लेकिन बारिश एकसाथ और कम समय में होती है। लंबे समय तक पड़ने वाली हल्की या स्थिर बारिश में कमी आई है। इस बार भी बड़े हिस्से में बूंदाबांदी और मामूली बरसात हुई, लेकिन लगातार और व्यापक बारिश नहीं हो पाई। कम बारिश का सीधा असर किसानों पर धान की बुवाई देरी से हुई कई जिलों में खेत सूखे रह गए रबी फसल के लिए भूजल रिचार्ज कम पोखर-तालाबों का स्तर नीचे बिजली और पेयजल पर भी दबाव बढ़ा कब लौटा मानसून? पिछले 5 साल का रिकॉर्ड साल मानसून वापसी की तारीख 2025- 13 अक्टूबर 2024- 11 अक्टूबर 2023- 15 अक्टूबर 2022- 10 अक्टूबर 2021- 12 अक्टूबर पिछले 5 साल में कितनी बारिश हुई? 2025 992.2 मिमी, 686.3 मिमी (31% कम) 2024 ~1000 मिमी, 820 मिमी (18-20% कम) 2023 ~1020 मिमी, 910 मिमी (10-12% कम) 2022 ~990 मिमी, 950 मिमी (सामान्य) 2021 ~1000 मिमी, 780 मिमी (22% कम)


