2007 विश्व कप की जीत ने दिया था आत्मविश्वास: रोहित ने बताया, कैसे बना ‘विजयी भारत’

2007 विश्व कप की जीत ने दिया था आत्मविश्वास: रोहित ने बताया, कैसे बना ‘विजयी भारत’
भारत के 2024 टी20 विश्व कप विजेता कप्तान रोहित शर्मा ने 2007 टी20 विश्व कप में टीम का हिस्सा होने के अपने उस यादगार पल को याद किया, जब वे सिर्फ 20 साल के थे। रोहित ने बताया कि ट्रॉफी जीतने से टीम को अपनी जीत का सिलसिला जारी रखने का आत्मविश्वास मिला। 2007 टी20 विश्व कप में भारत की जीत में रोहित का योगदान महत्वपूर्ण था। उन्होंने तीन मैचों में 88 रन बनाए, जिसमें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ महत्वपूर्ण 50* रन और पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में 16 गेंदों पर 30 रनों की तूफानी पारी शामिल थी।
 

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रोहित शर्मा ने जियोहॉटस्टार पर कहा कि 2007 टी20 विश्व कप के दौरान मैं टीम में अपने पहले साल में था और मेरी उम्र सिर्फ 20 साल थी। उस ट्रॉफी को जीतने के बाद हमें लगा कि हम अपनी जीत का सिलसिला जारी रखेंगे। भारत ने जोहान्सबर्ग में खेले गए रोमांचक फाइनल में पाकिस्तान को पांच रनों से हराकर प्रथम आईसीसी टी20 विश्व कप जीता। फाइनल से पहले टूर्नामेंट में दोनों टीमों का प्रदर्शन शानदार रहा और दोनों ने अपने-अपने ग्रुप में शीर्ष स्थान हासिल किया। सेमीफाइनल में मजबूत ऑस्ट्रेलिया को 15 रनों से हराकर भारत फाइनल में पहुंचा था। वहीं, पाकिस्तान ने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को छह विकेट से हराया था।
पूर्व भारतीय खिलाड़ी संजय मांजरेकर ने एमएस धोनी की प्रशंसा करते हुए भारत के स्वर्णिम युग पर उनके प्रभाव को समझाया और कहा कि धोनी ने विपक्षी कप्तान की तुलना में बेहतर धैर्य बनाए रखा। धोनी की कप्तानी बेमिसाल है, और वो तीनों प्रमुख आईसीसी श्वेत-गेंद ट्रॉफी जीतने वाले इकलौते कप्तान हैं: 2007 टी20 विश्व कप, 2011 वनडे विश्व कप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी। उन्होंने ये कारनामे शांत नेतृत्व और निर्णायक फैसलों के दम पर किए, जिसके चलते उन्हें ‘कैप्टन कूल’ की उपाधि मिली और आईसीसी हॉल ऑफ फेम में भी उनका नाम शामिल किया गया।
 

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धोनी 2007 टी20 विश्व कप में भारत के दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी थे और 2011 वनडे सीडब्ल्यूसी फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच चुने गए थे। मांजरेकर ने कहा, “धोनी की महानता यही थी कि बड़े मंच पर वो विरोधी कप्तान से भी बेहतर तरीके से अपना संयम बनाए रखते थे।”

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