चतरा जिले के टंडवा प्रखंड के खंधार गांव में 1971 के भारत-पाक युद्ध के शहीद हुए माइकल मिंज का परिवार आज भी बदहाली में जीवन यापन कर रहा है। देश के लिए बलिदान देने के 54 साल बाद भी इनका परिवार सरकारी दावों के विपरीत मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। शहीद माइकल मिंज को भारत सरकार ने 16 दिसंबर 1999 को सर्वोच्च बलिदान सम्मान से सम्मानित किया था। हालांकि, उनके परिवार को अब तक न तो सरकार द्वारा घोषित पांच एकड़ जमीन मिली है और न ही किसी सदस्य को सरकारी नौकरी। परिवार आज भी मिट्टी के कच्चे मकान में रहने को मजबूर है। पटना के फ्लैट पर भी दबंगों का कब्जा शहीद की बहू पुष्पा एक्का और पोते सुमित मिंज ने प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। पुष्पा एक्का ने बताया कि परमवीर अल्बर्ट एक्का को बचाने के दौरान शहीद हुए माइकल मिंज की पत्नी अलबीना तिर्की को तत्कालीन बिहार सरकार ने पटना के लोहिया नगर में एक फ्लैट दिया था। उस फ्लैट पर आज किसी दबंग का कब्जा है। इसके अलावा, टंडवा स्थित बहेरा पंचायत में दी गई पांच एकड़ जमीन भी परिवार को नहीं मिल पाई है। शहीद की पत्नी की मृत्यु के बाद उन्हें मिलने वाला पेंशन भी बंद हो गया। परिजनों का आरोप है कि उन्होंने कई विभागीय अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्हें कई सरकारी कार्यालयों में प्रवेश भी नहीं करने दिया गया। शहीद के बेटे की हत्या, न्याय भी अधूरा परिवार का दर्द यहीं खत्म नहीं होता। 2017 में शहीद के पुत्र अजय मिंज की कथित तौर पर दबंगों ने हत्या कर दी। परिजन आज तक न्याय के लिए भटक रहे हैं, पर हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। अजय मिंज सरकारी नौकरी पाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे, लेकिन सरकारी तंत्र से लड़ते-लड़ते उनकी भी जान चली गई। मानवाधिकार आयोग की प्रदेश अध्यक्ष प्रेमलता कहती हैं कि आज यह परिवार दो वक्त की रोटी तक के लिए जूझ रहा है। आवास योजना का लाभ तक नहीं मिला। प्रशासन से अब मदद की उम्मीद निराशा से घिरे परिवार को अब देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उम्मीद है। समाजसेवी अमरदीप ने चतरा डीसी से मिलकर पूरे मामले की जानकारी दी है। राष्ट्रपति कार्यालय में याचिका देने का भरोसा दिलाया है। पूर्व सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष मोहन कुमार साहा ने जांच कमेटी बैठाने की बात कही और कहा कि यदि परिवार को सरकारी सुविधाएं नहीं मिली हैं, तो संगठन हर संभव मदद करेगा। चतरा जिले के टंडवा प्रखंड के खंधार गांव में 1971 के भारत-पाक युद्ध के शहीद हुए माइकल मिंज का परिवार आज भी बदहाली में जीवन यापन कर रहा है। देश के लिए बलिदान देने के 54 साल बाद भी इनका परिवार सरकारी दावों के विपरीत मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। शहीद माइकल मिंज को भारत सरकार ने 16 दिसंबर 1999 को सर्वोच्च बलिदान सम्मान से सम्मानित किया था। हालांकि, उनके परिवार को अब तक न तो सरकार द्वारा घोषित पांच एकड़ जमीन मिली है और न ही किसी सदस्य को सरकारी नौकरी। परिवार आज भी मिट्टी के कच्चे मकान में रहने को मजबूर है। पटना के फ्लैट पर भी दबंगों का कब्जा शहीद की बहू पुष्पा एक्का और पोते सुमित मिंज ने प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। पुष्पा एक्का ने बताया कि परमवीर अल्बर्ट एक्का को बचाने के दौरान शहीद हुए माइकल मिंज की पत्नी अलबीना तिर्की को तत्कालीन बिहार सरकार ने पटना के लोहिया नगर में एक फ्लैट दिया था। उस फ्लैट पर आज किसी दबंग का कब्जा है। इसके अलावा, टंडवा स्थित बहेरा पंचायत में दी गई पांच एकड़ जमीन भी परिवार को नहीं मिल पाई है। शहीद की पत्नी की मृत्यु के बाद उन्हें मिलने वाला पेंशन भी बंद हो गया। परिजनों का आरोप है कि उन्होंने कई विभागीय अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्हें कई सरकारी कार्यालयों में प्रवेश भी नहीं करने दिया गया। शहीद के बेटे की हत्या, न्याय भी अधूरा परिवार का दर्द यहीं खत्म नहीं होता। 2017 में शहीद के पुत्र अजय मिंज की कथित तौर पर दबंगों ने हत्या कर दी। परिजन आज तक न्याय के लिए भटक रहे हैं, पर हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। अजय मिंज सरकारी नौकरी पाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे, लेकिन सरकारी तंत्र से लड़ते-लड़ते उनकी भी जान चली गई। मानवाधिकार आयोग की प्रदेश अध्यक्ष प्रेमलता कहती हैं कि आज यह परिवार दो वक्त की रोटी तक के लिए जूझ रहा है। आवास योजना का लाभ तक नहीं मिला। प्रशासन से अब मदद की उम्मीद निराशा से घिरे परिवार को अब देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उम्मीद है। समाजसेवी अमरदीप ने चतरा डीसी से मिलकर पूरे मामले की जानकारी दी है। राष्ट्रपति कार्यालय में याचिका देने का भरोसा दिलाया है। पूर्व सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष मोहन कुमार साहा ने जांच कमेटी बैठाने की बात कही और कहा कि यदि परिवार को सरकारी सुविधाएं नहीं मिली हैं, तो संगठन हर संभव मदद करेगा।


