चित्रकूट में विराट 151 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के दूसरे दिन दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रमों की शुरुआत हुई। इस अवसर पर अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वान्त रंजन, गायत्री शक्तिपीठ के संचालक डॉ. रामनारायण त्रिपाठी, दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय सचिव अभय महाजन और कानपुर प्रांत के संपर्क प्रमुख घनश्याम अग्निहोत्री उपस्थित रहे। अखिल विश्व गायत्री परिवार केंद्र शांति कुंज हरिद्वार के टोली नायक एवं उत्तर जोन समन्वयक परमानंद द्विवेदी तथा सहटोली नायक परमेश्वर साहू ने अपनी नौ सदस्यीय टोली के साथ पूजन का मार्गदर्शन किया। पूजन के दौरान परमानंद द्विवेदी ने कहा कि यज्ञ जीवन भर के लिए एक संकल्प होता है। उन्होंने चित्रकूट को पुण्य क्षेत्र और लोक कल्याण के लिए भगवान राम की भूमि बताया। द्विवेदी ने इस बात पर जोर दिया कि हमें राम को मानना चाहिए और उनके आदर्शों का पालन भी करना चाहिए। उन्होंने जातिगत अहंकार बढ़ने पर चिंता व्यक्त की, जिसे सनातन धर्म के कमजोर होने का कारण बताया। द्विवेदी ने कहा कि पूज्य गुरुदेव ने सनातन संस्कृति की हर परंपरा को जागृत किया है। उन्होंने ‘इष्ट का वरण’ के महत्व को समझाते हुए कहा कि पूजन का मर्म समझना आवश्यक है। उन्होंने ‘वंदे मातरम’ न बोलने वालों पर भी कटाक्ष किया और सद्गुणों की प्रतिस्पर्धा करने का आह्वान किया।
आज के पूजन कार्यक्रम में नंदू अहिरवार (झांसी) और रवि शर्मा (दतिया) ने आचार्य वरण का पूजन किया। नरेंद्र अग्निहोत्री (अक्षयबट) ने कलश पूजन, सुनीता जी ने दीपक पूजन, अतुल प्रताप (चित्रकूट) ने गायत्री माता पूजन, विवेक अग्रवाल ने आकाश तत्व पूजन, कमल सिंह ने सर्वतो भद्र पूजन और वंदना अग्रवाल ने षोडशोपचार पूजन किया। रुद्र अग्रवाल ने गुरु पूजन किया।
प्रेमलाल कुशवाहा, अर्चना (मुंबई) और जय सिंह गौतम ने शांति कुंज से आई टोली का स्वागत किया। इसी क्रम में दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन, पूर्व विधायक दिनेश मिश्रा, श्याम धमनिया (कानपुर), प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ. सीताराम गुप्त और भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के समन्वयक जितेंद्र सिंह ने तत्व वेदियों का पूजन किया। विशाल यज्ञशाला सा वर्ग में बनाई गई है, जिसमें हजारों भाई बहनों ने आहुतियां डाली। यज्ञशाला में बाराबंकी से आए हुए बानप्रस्थी जी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने बहुत ही शानदार ढंग से संचालन किया, यज्ञशाला निर्माण से लेकर उसकी पूरी सजावट उनके द्वारा संपन्न की गई।


