दरभंगा में ठाकुर अनुकूलचंद्र के 138वें जन्म-महोत्सव सह विराट सत्संग का आयोजन रविवार को हुआ। नागेंद्र झा स्टेडियम स्थित सत्संग विहार परिसर में आयोजित इस विशाल आध्यात्मिक उत्सव में देश-विदेश से आए हजारों सत्संगियों ने भाग लिया। सुबह में विनती-प्रार्थना, हवन व धर्मसभा शुरू हुआ। यह आध्यात्मिक उत्सव संध्याकालीन समवेत विनती और नटराज डांस एकेडमी की प्रस्तुतियों के साथ संपन्न हुआ। सत्संग विहार, दरभंगा परिवार ने विश्वविद्यालय प्रशासन, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के प्रति सहयोग के लिए हार्दिक आभार किया।पूरे कार्यक्रम का मंच संचालन कृष्ण मुरारी दा ने किया। ठाकुर को जीवन में आगे रखकर चलने से आनंद कार्यक्रम में धर्मसभा को संबोधित करते हुए शुभ दा ने कहा कि “ठाकुर को जीवन में आगे रखकर चलने से आनंद मिलता है। ठाकुर की शरण में ही परम-आनंद निहित है। उनके रास्ते पर चलने वाले सत्संगी को कभी दुर्बलता नहीं घेर सकती।” उन्होंने आगे कहा कि आध्यात्मिक चेतना के समुचित विकास के लिए ठाकुर के चरणों में शरणागति ही जीवन का सुगम और श्रेष्ठ रास्ता है। सत्संग देवघर के सचिव शिवानंद प्रसाद दा और प्रति ऋत्विक कालीकांत दा की ओर से कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों को चादर, पुष्पगुच्छ और ‘ठाकुर जीवन दर्शन’ पुस्तक भेंटकर सम्मानित किया गया। इनमें कुलपति, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय – प्रो. लक्ष्मीनिवास पाण्डेय,केवटी के विधायक – डॉ. मुरारी मोहन झा आदि लोग मौजूद रहे। दरभंगा में ठाकुर अनुकूलचंद्र के 138वें जन्म-महोत्सव सह विराट सत्संग का आयोजन रविवार को हुआ। नागेंद्र झा स्टेडियम स्थित सत्संग विहार परिसर में आयोजित इस विशाल आध्यात्मिक उत्सव में देश-विदेश से आए हजारों सत्संगियों ने भाग लिया। सुबह में विनती-प्रार्थना, हवन व धर्मसभा शुरू हुआ। यह आध्यात्मिक उत्सव संध्याकालीन समवेत विनती और नटराज डांस एकेडमी की प्रस्तुतियों के साथ संपन्न हुआ। सत्संग विहार, दरभंगा परिवार ने विश्वविद्यालय प्रशासन, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के प्रति सहयोग के लिए हार्दिक आभार किया।पूरे कार्यक्रम का मंच संचालन कृष्ण मुरारी दा ने किया। ठाकुर को जीवन में आगे रखकर चलने से आनंद कार्यक्रम में धर्मसभा को संबोधित करते हुए शुभ दा ने कहा कि “ठाकुर को जीवन में आगे रखकर चलने से आनंद मिलता है। ठाकुर की शरण में ही परम-आनंद निहित है। उनके रास्ते पर चलने वाले सत्संगी को कभी दुर्बलता नहीं घेर सकती।” उन्होंने आगे कहा कि आध्यात्मिक चेतना के समुचित विकास के लिए ठाकुर के चरणों में शरणागति ही जीवन का सुगम और श्रेष्ठ रास्ता है। सत्संग देवघर के सचिव शिवानंद प्रसाद दा और प्रति ऋत्विक कालीकांत दा की ओर से कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों को चादर, पुष्पगुच्छ और ‘ठाकुर जीवन दर्शन’ पुस्तक भेंटकर सम्मानित किया गया। इनमें कुलपति, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय – प्रो. लक्ष्मीनिवास पाण्डेय,केवटी के विधायक – डॉ. मुरारी मोहन झा आदि लोग मौजूद रहे।


