अररिया में रानीगंज विधानसभा क्षेत्र के कालाबलुवा पंचायत अंतर्गत वैद्यनाथपुर के वार्ड संख्या 2, 3 और 4 के लगभग 1200 से 1600 मतदाता मंगलवार को मतदान से वंचित रह गए। ग्रामीणों का आरोप है कि पनभरणी घाट पर लगी नाव देर रात अज्ञात लोगों द्वारा गायब कर दी गई, जिसके कारण उफनाई नदी को पार कर मतदान केंद्र तक पहुंचना असंभव हो गया। प्रशासन ने नदी के उस पार वार्ड संख्या 01 के प्राथमिक विद्यालय में मतदान केंद्र संख्या 373 और 374 स्थापित किए थे। ये केंद्र वार्ड संख्या 01, 02, 03 और 04 के मतदाताओं के लिए बनाए गए थे, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि इन केंद्रों तक पहुंचने का कोई सीधा रास्ता नहीं है। ग्रामीणों ने मौके पर पुल नहीं तो वोट नहीं के नारे लगाए ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में स्कूल होने के बावजूद बूथ वहां नहीं बनाया गया। नदी पार करने के लिए कोई नाव उपलब्ध नहीं थी, और उफनती नदी को पार करना खतरनाक था। इसके अलावा, मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए आगे दो किलोमीटर का रास्ता भी बेहद दुर्गम है, जिसमें कई जगह कमर तक पानी भरे गड्ढे हैं। इस स्थिति से नाराज ग्रामीणों ने मौके पर “पुल नहीं तो वोट नहीं” के नारे लगाए और मतदान का बहिष्कार करने की घोषणा की। पुल और सड़क की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार वार्ड संख्या 01 के मतदाताओं ने भी मतदान नहीं किया। उनका कहना है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने पुल और सड़क की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था। ग्रामीणों के अनुसार, उस समय अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि 2025 के अगले चुनाव तक पुल और सड़क दोनों बन जाएंगे, लेकिन पांच साल बाद भी कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बीडीओ रूबी कुमारी ने बताया कि प्रशासन की ओर से मतदान के लिए दो नाव उपलब्ध कराई गई थीं। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें सुबह से कोई नाव नहीं दिखी। अररिया में रानीगंज विधानसभा क्षेत्र के कालाबलुवा पंचायत अंतर्गत वैद्यनाथपुर के वार्ड संख्या 2, 3 और 4 के लगभग 1200 से 1600 मतदाता मंगलवार को मतदान से वंचित रह गए। ग्रामीणों का आरोप है कि पनभरणी घाट पर लगी नाव देर रात अज्ञात लोगों द्वारा गायब कर दी गई, जिसके कारण उफनाई नदी को पार कर मतदान केंद्र तक पहुंचना असंभव हो गया। प्रशासन ने नदी के उस पार वार्ड संख्या 01 के प्राथमिक विद्यालय में मतदान केंद्र संख्या 373 और 374 स्थापित किए थे। ये केंद्र वार्ड संख्या 01, 02, 03 और 04 के मतदाताओं के लिए बनाए गए थे, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि इन केंद्रों तक पहुंचने का कोई सीधा रास्ता नहीं है। ग्रामीणों ने मौके पर पुल नहीं तो वोट नहीं के नारे लगाए ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में स्कूल होने के बावजूद बूथ वहां नहीं बनाया गया। नदी पार करने के लिए कोई नाव उपलब्ध नहीं थी, और उफनती नदी को पार करना खतरनाक था। इसके अलावा, मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए आगे दो किलोमीटर का रास्ता भी बेहद दुर्गम है, जिसमें कई जगह कमर तक पानी भरे गड्ढे हैं। इस स्थिति से नाराज ग्रामीणों ने मौके पर “पुल नहीं तो वोट नहीं” के नारे लगाए और मतदान का बहिष्कार करने की घोषणा की। पुल और सड़क की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार वार्ड संख्या 01 के मतदाताओं ने भी मतदान नहीं किया। उनका कहना है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने पुल और सड़क की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था। ग्रामीणों के अनुसार, उस समय अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि 2025 के अगले चुनाव तक पुल और सड़क दोनों बन जाएंगे, लेकिन पांच साल बाद भी कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बीडीओ रूबी कुमारी ने बताया कि प्रशासन की ओर से मतदान के लिए दो नाव उपलब्ध कराई गई थीं। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें सुबह से कोई नाव नहीं दिखी।


