छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एमसीएच में शनिवार सुबह उस समय हड़कंप मच गया, जब प्रसव पीड़ा से जूझ रही एक महिला ने बताया कि अचानक उसके पेट में बच्चे की हलचल बंद हो गई है। नर्सों ने जांच की तो पता चला, कि महिला का प्रसव हो चुका था, लेकिन बच्चा बेड पर नहीं था। पूछताछ में महिला ने बताया कि वह कुछ देर पहले वार्ड के शौचालय में गई थी। नर्सों की टीम जब शौचालय की ओर दौड़ी तो वहां टॉयलेट सीट में नवजात के फंसे होने के संकेत मिले। नर्सों ने अस्पताल प्रबंधन को सूचना दी और कमोड को तोड़कर 20 मिनट बाद नवजात बाहर निकाला गया। नवजात को एसएनसीयू में विशेष निगरानी में रखा गया है। कमोड में गिरने के कारण बच्चे का शरीर नीला पड़ गया है। अब पढ़े क्या है पूरा मामला सूरजपुर जिले के प्रतापपुर थाना क्षेत्र निवासी 30 वर्षीय रामपति बाई, 7 माह की गर्भवती थी। 13 नवंबर को प्रसव पीड़ा बढ़ने पर परिजनों ने उसे प्रतापपुर अस्पताल में भर्ती कराया। स्थिति गंभीर होने पर उसे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किया गया, जहां एमसीएच में उपचार जारी था। शनिवार सुबह वह शौचालय गई और लौटकर बेड पर आ गई। कुछ देर बाद उसे अचानक महसूस हुआ कि पेट में हलचल नहीं हो रही। घबराकर उसने तुरंत नर्सों को इसकी जानकारी दी। नर्सों ने तुरंत जांच की तो पाया कि प्रसव हो चुका है। महिला से पूछने पर उसने बताया कि सिर्फ शौचालय गई थी। नर्सें और परिजन तुरंत वार्ड के शौचालय पहुंचे। कमोड में झांककर देखा तो नवजात अंदर फंसा हुआ मिला। सूचना पर सफाई व्यवस्था के सुपरवाइजर आशीष मौके पर पहुंचे। सफाई कर्मियों को बुलाकर कमोड तोड़वाया गया और नवजात को सुरक्षित बाहर निकाला गया। मौके पर उसे कपड़ों में लपेटकर तत्काल एसएनसीयू में भर्ती कराया गया। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जे.के. रेलवानी ने बताया कि जब बच्चा कमोड से बाहर निकाला गया, उस समय उसका शरीर नीला पड़ चुका था और हार्ट बीट काफी कम थी। फिलहाल नवजात को विशेष निगरानी में रखा गया है। उन्होंने बताया कि बच्चे की हालत अभी भी नाजुक है।


