मध्यप्रदेश के जबलपुर में मंगलवार को ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसे लोगों ने अपनी-अपनी गाड़ियां रोककर देखा। पंकज पाठक ने अपनी नवजात बेटी को अस्पताल से लेकर घर तक इस तरह लेकर पहुंचे कि रास्ते में जिसने भी देखा, बस देखते रह गए। सफेद कलर की कार, जो कि बैलून से सजी हुई थी। आगे लिखा हुआ था गर्ल…। कुछ लोगों ने उन्हें रोककर कार सजाने की वजह पूछी, तो उन्होंने मुस्कराकर कहा कि मेरे घर बेटी हुई है,उसी का जश्न मना रहे है। पंकज की नवजात बेटी की सवारी लेडी एल्गिन अस्पताल से व्हीकल स्टेट तक लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रही। पंकज बोले- बेटी है तो सब कुछ है
पेशे से फोटोग्राफर पंकज पाठक की पत्नी ने 18 नवंबर को लेडी एल्गिन अस्पताल में बेटी को जन्म दिया। पैदा होते ही, तबीयत बिगड़ी तो नवजात को एचएनसीयू में रखा गया। पूरी तरह से स्वस्थ्य होने के बाद मंगलवार को जब अस्पताल से छुट्टी की गई तो पंकज ने पत्नी को सरप्राइज देते हुए बैलून से सजाकर कार अस्पताल लेकर पहुंचे और फिर लेकर आए। रा पंकज का कहना है कि मेरी दो बेटी हैं। मुझे नाज है, कि मैं बेटियों का पिता हूं। दैनिक भास्कर से बात करते हुए उन्होंने बताया कि बच्ची को इस तरह से घर ले जाने का अर्थ यह है कि जो लोग समझते है, कि बेटी नहीं बेटा जरूरी है, यह उनको दिखाने के लिए कर रहा हूं, कि बेटी है तो सब कुछ है। पंकज ने बताया कि उनकी दो बेटी है, बड़ी 2 साल की है, जिसका नाम कात्यायनी है और दूसरी का नाम शुभांगनी रखा है। बेटा होता तो ऐसा नहीं करता
पंकज ने बताया कि शुरू से सोचकर रखा था कि बेटी होगी तो कुछ ऐसा करूंगा कि लोग भी देखें और समझे कि बेटी बेटे से कम नहीं है। उन्होंने बताया कि अगर शुभांगनी की जगह बेटे ने जन्म लिया होता तो शायद इस धूमधाम से लेकर नहीं जाता। पकंज का कहना है कि कहने को तो लेडी एल्गिन सरकारी अस्पताल है, पर प्राइवेट से कम नहीं। जन्म के समय बच्ची की तबीयत बिगड़ गई थी, पर इलाज अच्छे से हुआ और आज वह पूरी तरह से ठीक है।


