गया-डीडीयू रेलखंड पर स्थित भभुआ रोड रेलवे स्टेशन पर स्थायी स्वीपर की कमी के कारण रेल दुर्घटनाओं के बाद शव घंटों तक ट्रैक पर पड़े रहते हैं। इससे मृतकों के परिजनों और जीआरपी पुलिस दोनों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जानकारी के अनुसार, कैमूर में ट्रेन से कटकर किसी व्यक्ति की मौत होने पर शव उठाने के लिए सासाराम या डिहरी से स्वीपर बुलाना पड़ता है। इस प्रक्रिया में कई घंटे लग जाते हैं, जिससे शव को ट्रैक से हटाने में अनावश्यक देरी होती है। मृतक की पहचान तत्काल नहीं होने पर स्थिति हो जाती है गंभीर यह समस्या करमनासा स्टेशन से लेकर कुदरा तक के पूरे क्षेत्र में बनी हुई है। स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब मृतक की पहचान तत्काल नहीं हो पाती। बताया गया है कि कर्मनासा से कुदरा के बीच केवल दो स्वीपर ही तैनात हैं। यदि एक ही समय में दो अलग-अलग स्थानों पर रेल दुर्घटनाएं हो जाएं, तो तत्काल कार्रवाई संभव नहीं हो पाती। इसका सीधा असर ट्रेनों के परिचालन पर भी पड़ता है, जिससे कई बार ट्रेनें घंटों विलंब से चलती हैं। रेलवे स्तर पर कोई स्थानीय व्यवस्था नहीं इस संबंध में भभुआ रोड जीआरपी थाना प्रभारी मुन्ना सिंह ने बताया कि रेलवे स्तर पर कोई स्थानीय व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि बाहर से स्वीपर बुलाना उनकी मजबूरी है, जिसके कारण शव हटाने में देरी होती है। थाना प्रभारी ने इस समस्या के स्थायी समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया। गया-डीडीयू रेलखंड पर स्थित भभुआ रोड रेलवे स्टेशन पर स्थायी स्वीपर की कमी के कारण रेल दुर्घटनाओं के बाद शव घंटों तक ट्रैक पर पड़े रहते हैं। इससे मृतकों के परिजनों और जीआरपी पुलिस दोनों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जानकारी के अनुसार, कैमूर में ट्रेन से कटकर किसी व्यक्ति की मौत होने पर शव उठाने के लिए सासाराम या डिहरी से स्वीपर बुलाना पड़ता है। इस प्रक्रिया में कई घंटे लग जाते हैं, जिससे शव को ट्रैक से हटाने में अनावश्यक देरी होती है। मृतक की पहचान तत्काल नहीं होने पर स्थिति हो जाती है गंभीर यह समस्या करमनासा स्टेशन से लेकर कुदरा तक के पूरे क्षेत्र में बनी हुई है। स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब मृतक की पहचान तत्काल नहीं हो पाती। बताया गया है कि कर्मनासा से कुदरा के बीच केवल दो स्वीपर ही तैनात हैं। यदि एक ही समय में दो अलग-अलग स्थानों पर रेल दुर्घटनाएं हो जाएं, तो तत्काल कार्रवाई संभव नहीं हो पाती। इसका सीधा असर ट्रेनों के परिचालन पर भी पड़ता है, जिससे कई बार ट्रेनें घंटों विलंब से चलती हैं। रेलवे स्तर पर कोई स्थानीय व्यवस्था नहीं इस संबंध में भभुआ रोड जीआरपी थाना प्रभारी मुन्ना सिंह ने बताया कि रेलवे स्तर पर कोई स्थानीय व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि बाहर से स्वीपर बुलाना उनकी मजबूरी है, जिसके कारण शव हटाने में देरी होती है। थाना प्रभारी ने इस समस्या के स्थायी समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया।


