Zohran Mamdani Diwali: भारतीय मूल के न्यूयॉर्क मेयर पद के लिए एक प्रमुख उम्मीदवार (NYC Mayoral Candidate) जोहरान मामदानी (Zohran Mamdani) ने न्यूयॉर्क में 22 अक्टूबर 2025 को हुए एक भव्य दिवाली इवेंट (Diwali Event 2025) में शिरकत की, जो चर्चा का विषय बन गया है। इससे पहले, वे पीएम नरेंद्र मोदी ( PM Modi) और उनकी सरकार की खुल कर आलोचना (Modi Criticism) करते रहे हैं। इस इवेंट में उनकी मौजूदगी लोगों को हैरान कर रही है, क्योंकि उन्होंने हाल ही में कहा था कि मोदी का भारत हर किसी के लिए नहीं है। सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जहां वे दीयों के साथ मुस्कुराते हुए नजर आ रहे हैं।
क्या बदला जोहरान का रुख ?
जोहरान मामदानी ने पिछले कुछ महीनों के दौरान मोदी सरकार पर कई सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि भारत में अल्पसंख्यकों की आवाज दबाई जा रही है और सरकार का रवैया सख्त है, लेकिन अब दिवाली इवेंट में शामिल होकर उन्होंने अपने स्टैंड पर उलझन पैदा कर दी हैं। क्या यह उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है या वे अपनी जड़ों से जुड़ना चाहते हैं? स्थानीय भारतीय समुदाय ने इस कदम का स्वागत किया, लेकिन कुछ लोग इसे वोट हासिल करने की चाल बता रहे हैं।
इवेंट में क्या हुआ ?
न्यूयॉर्क के मैनहट्टन में आयोजित इस दिवाली समारोह में सैकड़ों लोग शामिल हुए। रंग-बिरंगी लाइट्स, मिठाइयों का स्टॉल और पारंपरिक डांस ने माहौल को खुशनुमा बना दिया। जोहरान ने स्टेज से लोगों को दिवाली की बधाई दी और भारतीय संस्कृति की तारीफ की, लेकिन उनकी मौजूदगी ने वहां मौजूद कई लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। एक दर्शक ने कहा, “उनकी बातें और यह इवेंट एक-दूसरे से मेल नहीं खाते।” उधर इवेंट के आयोजकों ने इसे सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बताया।
सोशल मीडिया पर हलचल
इस खबर के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। ट्विटर पर #ZohranDiwali ट्रेंड कर रहा है। कुछ यूजर्स कह रहे हैं कि जोहरान ने सही किया, क्योंकि यह उनकी भारतीय पहचान को दिखाता है। दूसरी ओर, कुछ लोग उन्हें दोहरा चेहरा कह रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “मोदी की आलोचना करने वाले अब दिवाली मना रहे हैं—यह पॉलिटिक्स है।” भारतीय डायसपोरा में यह मुद्दा गर्म है, और लोग उनके अगले बयान का इंतजार कर रहे हैं।
राजनीति में भारतीय प्रभाव
जोहरान की यह हरकत अमेरिका में भारतीय मूल के नेताओं की बढ़ती भूमिका दर्शाती है। न्यूयॉर्क जैसे शहरों में भारतीय मतदाताओं की तादाद बढ़ रही है, और नेता उनकी भावनाएं समझने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह भी सवाल उठता है कि क्या वे अपनी मूल बातों से समझौता कर रहे हैं? यह घटना 2025 के चुनावी माहौल में उनकी छवि को कैसे प्रभावित करेगी, यह आने वाला समय बताएगा। क्या वे मेयर बनने के लिए अपनी रणनीति बदल रहे हैं?


