यूनुस सरकार ने शेख हसीना का पासपोर्ट रद्द किया:जुलाई हिंसा मामले में गिरफ्तारी वारंट भी जारी; भारत ने हसीना का वीजा बढ़ाया

यूनुस सरकार ने शेख हसीना का पासपोर्ट रद्द किया:जुलाई हिंसा मामले में गिरफ्तारी वारंट भी जारी; भारत ने हसीना का वीजा बढ़ाया

बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने मंगलवार को जुलाई में हुई हिंसा को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना समेत 97 लोगों का पासपोर्ट रद्द कर दिया। हसीना का पासपोर्ट रद्द होने के कुछ देर बाद ही भारत सरकार ने उनका वीजा बढ़ा दिया। इससे साफ हो गया है कि भारत हसीना को बांग्लादेश डिपोर्ट नहीं करेगा। इससे पहले 6 जनवरी को बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। ट्रिब्यूनल ने हसीना को 12 फरवरी तक पेश होने का निर्देश दिया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भी हसीना को डिपोर्ट करने के लिए भारत से अपील कर चुकी है। बांग्लादेश के इंडिपेंडेंट इन्क्वायरी कमीशन के हेड मेजर जनरल फजलुर रहमान का कहना है कि अगर भारत शेख हसीना को डिपोर्ट नहीं करता है तो, कमीशन उनसे भारत आकर पूछताछ करने को भी तैयार है। हसीना समेत 75 लोगों के पासपोर्ट हत्या में शामिल होने के कारण रद्द बांग्लादेश की सरकारी न्यूज एजेंसी BSS के मुताबिक, यूनुस के प्रवक्ता ने बताया कि पासपोर्ट विभाग ने जबरन गायब किए गए 22 लोगों के पासपोर्ट रद्द कर दिए हैं, जबकि शेख हसीना सहित 75 लोगों के पासपोर्ट जुलाई में हुई हत्याओं में शामिल होने के कारण रद्द किए गए हैं। दरअसल, 5 अगस्त को तख्तापलट के बाद शेख हसीना ने भागकर भारत में पनाह ले ली थी। वे तब से यही पर हैं। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बनी यूनुस सरकार ने हसीना पर हत्या, अपहरण से लेकर देशद्रोह के 225 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण समझौता क्या है? साल 2013 की बात है। भारत के नॉर्थ-ईस्ट उग्रवादी समूह के लोग बांग्लादेश में छिप रहे थे। सरकार उन्हें बांग्लादेश में पनाह लेने से रोकना चाहती थी। इसी वक्त बांग्लादेश के प्रतिबंधित संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन के लोग भारत में आकर छिप रहे थे। दोनों देशों ने इस समस्या से निपटने के लिए एक प्रत्यर्पण समझौता किया। इसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के यहां पनाह ले रहे भगोड़ों को लौटाने की मांग कर सकते हैं। हालांकि इसमें एक पेंच ये है कि भारत राजनीति से जुड़े मामलों में किसी व्यक्ति के प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है, लेकिन अगर उस व्यक्ति पर हत्या और किडनैपिंग जैसे संगीन मामले दर्ज हों तो उसके प्रत्यर्पण को रोका नहीं जा सकता। ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक इस समझौते की बदौलत, बांग्लादेश ने 2015 में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के नेता अनूप चेतिया को भारत को सौंपा था। भारत भी अब तक बांग्लादेश के कई भगोड़ों को वापस भेज चुका है। समझौते में 2016 में हुए संशोधन के मुताबिक, प्रत्यर्पण की मांग करने वाले देश को अपराध के सबूत देने की जरूरत भी नहीं है। इसके लिए कोर्ट से जारी वारंट ही काफी है। आरक्षण के खिलाफ आंदोलन ने किया था तख्तापलट पिछले साल बांग्लादेश में 5 जून को हाईकोर्ट ने जॉब में 30% कोटा सिस्टम लागू किया था, इसके बाद से ही ढाका में यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट कर रहे थे। यह आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को दिया जा रहा था। यह आरक्षण खत्म कर दिया गया तो छात्रों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी। देखते ही देखते बड़ी संख्या में छात्र और आम लोग प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आए। इस प्रोटेस्ट के दो महीने बाद 5 अगस्त को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गईं। इसके बाद अंतरिम सरकार की स्थापना की गई। —————————————— यह खबर भी पढ़ें… भारत ट्रेनिंग के लिए नहीं आएंगे 50 बांग्लादेशी जज:यूनुस सरकार ने रद्द किया कार्यक्रम; शेख हसीना के PM रहते हुआ था समझौता बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने ट्रेनिंग के लिए भारत आने वाले 50 जजों के कार्यक्रम को रद्द कर दिया है। इकोनॉमिक टाइम्स ने रविवार को बांग्लादेशी कानून मंत्रालय के हवाले से यह जानकारी दी। ये सभी जज और न्यायिक अधिकारी 10 फरवरी से ट्रेनिंग के लिए भारत आने वाले थे। यहां पढ़ें पूरी खबर…

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