लाल किला ही क्यों, फतेहपुर सीकरी क्यों नहीं? मुगल वारिस की याचिका खारिज

लाल किला ही क्यों, फतेहपुर सीकरी क्यों नहीं? मुगल वारिस की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्टः 164 वर्ष पुराने मामले में याचिका को बताया ‘अपूर्ण व असंगत’

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें खुद को अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर का वंशज बताने वाली सुल्ताना बेगम ने लाल किले के स्वामित्व का दावा किया था। सीजेआइ संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ ने याचिका को ‘पूरी तरह भ्रांतिपूर्ण’ करार देते हुए खारिज कर दिया।

पीठ ने टिप्पणी की, ‘फिर केवल लाल किला क्यों? फतेहपुर सीकरी क्यों नहीं? याचिका पूरी तरह से भ्रांतिपूर्ण है। खारिज की जाती है।’

सुल्ताना बेगम ने 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया था कि वह बहादुर शाह जफर द्वितीय के परपोते की विधवा हैं और उनके परिवार को 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा लाल किले से बेदखल कर दिया गया था। उन्होंने भारत सरकार पर ‘अवैध कब्जे’ का आरोप लगाते हुए संपत्ति और मुआवजे की मांग की थी। हाईकोर्ट ने दिसंबर 2021 में यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि इसका कारण 164 वर्ष पुराना है और इतने लंबे समय बाद इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसके बाद दिसंबर 2024 में डिवीजन बेंच ने भी अपील को 900 दिन की देरी के आधार पर खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने अपील की कि सिर्फ देरी के आधार पर खारिज किया जाए, पर शीर्ष अदालत ने याचिका को विषय की अपूर्णता और अव्यावहारिकता के आधार पर खारिज कर दिया।

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