कौन हैं बाहुबली की पत्नी-जिसे दुलारचंद ने नाचने वाली कहा:एग्जाम सेंटर पर हुआ था प्यार, अनंत सिंह जेल गए तो विधायकी के साथ खुद संभाला साम्राज्य

कौन हैं बाहुबली की पत्नी-जिसे दुलारचंद ने नाचने वाली कहा:एग्जाम सेंटर पर हुआ था प्यार, अनंत सिंह जेल गए तो विधायकी के साथ खुद संभाला साम्राज्य

‘वो नीलम देवी नहीं नीलम खातून है। चुनाव लड़ रही थी तो लोग दरी लेकर दौड़ रहे थे। कह रहे थे कि नाचने वाली आई है। अनंत सिंह ने उसे रख लिया। दोनों की कोई शादी हुई थी? नीलम देवी भूमिहार थोड़े ही है।’ जुबान से ये शब्द निकले 48 घंटे भी नहीं बीते कि गोलियां चलीं, राजद नेता दुलारचंद यादव मार दिए गए। कौन हैं नीलम देवी? भास्कर की खास रिपोर्ट में जानें इनकी कहानी। कैसे अनंत सिंह की पत्नी बनीं। किस स्थिति में घर की दहलीज से निकलकर विधानसभा और संसद पहुंचीं? यह कहानी है नीलम देवी की। एक ऐसा नाम जो बिहार की राजनीति में खुद अपनी पहचान से ज्यादा, मोकामा के ‘छोटे सरकार’ यानी बाहुबली अनंत कुमार सिंह की पत्नी के तौर पर जाना जाता है। यह सिर्फ एक बाहुबली की पत्नी की कहानी नहीं है। यह उस महिला की कहानी है, जिसने घर की दहलीज से निकलकर, लोकसभा से लेकर विधानसभा तक का सफर तय किया और जिसने अपने पति की गैर-मौजूदगी में उनके राजनीतिक राज को संभाला। एक अनकही प्रेम कहानी और ‘छोटे सरकार’ का परिवार नीलम देवी का जन्म 11 फरवरी 1971 को पटना जिले के बाढ़ में हुआ। उनकी पढ़ाई 8वीं क्लास तक हुई। अनंत सिंह को उनसे कैसे प्यार हुआ और शादी कब हुई। ये वो किस्से हैं जो मोकामा के राजनीतिक शोर में कहीं दबे हुए हैं और सार्वजनिक चर्चा का हिस्सा कम ही बने हैं। अनंत को नीलम देवी से प्यार परीक्षा केंद्र में हुआ था प्यार। इसके बाद शादी हुई। यह शादी सिर्फ दो लोगों की नहीं, बल्कि एक ऐसे राजनीतिक घराने की नींव थी, जिसने दशकों तक मोकामा पर राज किया। नीलम देवी 4 बच्चों की मां बनीं और अनंत सिंह का परिवार संभाला। शुरुआती वर्षों में उनकी पहचान अनंत सिंह की पत्नी तक सीमित थी, लेकिन बिहार की राजनीति में नीलम देवी का राजनीति में आना महज वक्त की बात थी। राजनीति में पहला कदम और ‘विधायक जी’ बनने की कहानी नीलम देवी के लिए राजनीति कोई नई चीज नहीं थी। जब-जब अनंत सिंह जेल गए, तब-तब ‘छोटे सरकार’ की पत्नी ने घर से बाहर निकलकर मोकामा की राजनीति, अनंत की संपत्ति और उनके बिजनेस नेटवर्क को भी संभाला। चाहे पति के लिए प्रचार करना हो या जनता के बीच जाकर वोट मांगना, नीलम देवी यह सब पहले भी करती रही थीं। उनका पहला बड़ा पॉलिटिकल टेस्ट 2019 के लोकसभा चुनाव में हुआ। अनंत सिंह महागठबंधन से टिकट चाहते थे, लेकिन बात नहीं बनी। कांग्रेस ने अनंत की जगह उनकी पत्नी नीलम देवी को मुंगेर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। RJD के समर्थन के बावजूद नीलम JDU के ललन सिंह से चुनाव हार गईं। दूसरे स्थान पर रहीं नीलम ने 3.60 लाख वोट पाकर अपनी राजनीतिक मौजूदगी दिखा दी। नीलम के राजनीतिक जीवन में असली मोड़ 2022 में आया। अनंत सिंह को UAPA मामले में 10 साल की सजा हुई, उनकी विधानसभा सदस्यता चली गई। मोकामा की गद्दी खाली हुई तो अनंत ने जेल में रहते हुए अपनी पत्नी को अपना उत्तराधिकारी चुना। RJD के टिकट पर नीलम देवी ने मोकामा उपचुनाव लड़ा और BJP की सोनम देवी को हरा दिया। इस तरह नीलम पहली बार विधायक बनकर सदन पहुंचीं। 5 साल का रिपोर्ट कार्ड: कितनी सत्ता, कितनी संपत्ति? नीलम देवी का बतौर विधायक कार्यकाल कैसा रहा? यह सवाल जितना राजनीतिक है, उतना ही पेचीदा भी। फैशन, शौक और एक नाटकीय मोड़ नीलम देवी को पब्लिक लाइफ में ज्यादातर पारंपरिक ड्रेस में देखा गया है। उनके निजी शौक और लाइफ स्टाइल के बारे में बाहरी लोगों को अधिक नहीं पता। नीलम देवी की राजनीतिक कहानी में बड़ा नाटकीय मोड़ 2025 में आया। अगस्त 2025 में अनंत UAPA केस में बरी होकर जेल से रिहा हुए। उनके बाहर आते ही मोकामा का राजनीतिक समीकरण बदल गया। अनंत ने साफ कर दिया कि 2025 का विधानसभा चुनाव खुद लड़ेंगे। उन्होंने अपनी पत्नी को दोबारा चुनाव लड़ाने से इनकार क्यों किया? इस पर खुद जवाब दिया, “नहीं। बढ़िया काम नहीं की। जनता से मिली-जुली नहीं।” यह एक पति का अपनी पत्नी के काम से नाखुश होना भर नहीं था। यह ‘छोटे सरकार’ का अपनी गद्दी पर वापस लौटने का ऐलान था। अनंत सिंह ने JDU का दामन थामा और खुद मोकामा से ताल ठोक दी। नीलम देवी, जिन्हें उनके पति ने ही विधायक बनाया था, उन्हीं के फैसले के बाद वापस पर्दे के पीछे चली गईं। उनकी कहानी बिहार की उस जटिल राजनीति का एक सटीक उदाहरण है, जहां वफादारी, परिवार और सत्ता एक-दूसरे में इस कदर उलझे हैं कि यह बता पाना मुश्किल है कि कौन ‘रबर स्टाम्प’ है और कौन असली ‘सरकार’। अनंत बोले- पहली मुलाकात में ही हम दोनों को प्यार हो गया भास्कर को दिए इंटरव्यू में पत्नी को चुनाव नहीं लड़ाने पर अनंत सिंह ने कहा, ‘बच्चों के साथ वो दिल्ली में रहती हैं। काम तो वैसे भी नहीं कर रही थीं। हम रोज पत्नी के पास नहीं जाते हैं। हम जनता के बीच रहते हैं।’ अनंत सिंह ने अपनी शादी को लेकर कहा, ‘पहले मोहब्बत हुई। पहली बार मैं उन्हें परीक्षा दिलाने ले गया था। पहली मुलाकात में ही हम दोनों को प्यार हो गया। कुछ दिन बाद शादी हो गई। मैं उन्हें लेकर कलकत्ता काली मंदिर चला गया था। वहीं शादी करके चला आया।’ ‘वो नीलम देवी नहीं नीलम खातून है। चुनाव लड़ रही थी तो लोग दरी लेकर दौड़ रहे थे। कह रहे थे कि नाचने वाली आई है। अनंत सिंह ने उसे रख लिया। दोनों की कोई शादी हुई थी? नीलम देवी भूमिहार थोड़े ही है।’ जुबान से ये शब्द निकले 48 घंटे भी नहीं बीते कि गोलियां चलीं, राजद नेता दुलारचंद यादव मार दिए गए। कौन हैं नीलम देवी? भास्कर की खास रिपोर्ट में जानें इनकी कहानी। कैसे अनंत सिंह की पत्नी बनीं। किस स्थिति में घर की दहलीज से निकलकर विधानसभा और संसद पहुंचीं? यह कहानी है नीलम देवी की। एक ऐसा नाम जो बिहार की राजनीति में खुद अपनी पहचान से ज्यादा, मोकामा के ‘छोटे सरकार’ यानी बाहुबली अनंत कुमार सिंह की पत्नी के तौर पर जाना जाता है। यह सिर्फ एक बाहुबली की पत्नी की कहानी नहीं है। यह उस महिला की कहानी है, जिसने घर की दहलीज से निकलकर, लोकसभा से लेकर विधानसभा तक का सफर तय किया और जिसने अपने पति की गैर-मौजूदगी में उनके राजनीतिक राज को संभाला। एक अनकही प्रेम कहानी और ‘छोटे सरकार’ का परिवार नीलम देवी का जन्म 11 फरवरी 1971 को पटना जिले के बाढ़ में हुआ। उनकी पढ़ाई 8वीं क्लास तक हुई। अनंत सिंह को उनसे कैसे प्यार हुआ और शादी कब हुई। ये वो किस्से हैं जो मोकामा के राजनीतिक शोर में कहीं दबे हुए हैं और सार्वजनिक चर्चा का हिस्सा कम ही बने हैं। अनंत को नीलम देवी से प्यार परीक्षा केंद्र में हुआ था प्यार। इसके बाद शादी हुई। यह शादी सिर्फ दो लोगों की नहीं, बल्कि एक ऐसे राजनीतिक घराने की नींव थी, जिसने दशकों तक मोकामा पर राज किया। नीलम देवी 4 बच्चों की मां बनीं और अनंत सिंह का परिवार संभाला। शुरुआती वर्षों में उनकी पहचान अनंत सिंह की पत्नी तक सीमित थी, लेकिन बिहार की राजनीति में नीलम देवी का राजनीति में आना महज वक्त की बात थी। राजनीति में पहला कदम और ‘विधायक जी’ बनने की कहानी नीलम देवी के लिए राजनीति कोई नई चीज नहीं थी। जब-जब अनंत सिंह जेल गए, तब-तब ‘छोटे सरकार’ की पत्नी ने घर से बाहर निकलकर मोकामा की राजनीति, अनंत की संपत्ति और उनके बिजनेस नेटवर्क को भी संभाला। चाहे पति के लिए प्रचार करना हो या जनता के बीच जाकर वोट मांगना, नीलम देवी यह सब पहले भी करती रही थीं। उनका पहला बड़ा पॉलिटिकल टेस्ट 2019 के लोकसभा चुनाव में हुआ। अनंत सिंह महागठबंधन से टिकट चाहते थे, लेकिन बात नहीं बनी। कांग्रेस ने अनंत की जगह उनकी पत्नी नीलम देवी को मुंगेर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। RJD के समर्थन के बावजूद नीलम JDU के ललन सिंह से चुनाव हार गईं। दूसरे स्थान पर रहीं नीलम ने 3.60 लाख वोट पाकर अपनी राजनीतिक मौजूदगी दिखा दी। नीलम के राजनीतिक जीवन में असली मोड़ 2022 में आया। अनंत सिंह को UAPA मामले में 10 साल की सजा हुई, उनकी विधानसभा सदस्यता चली गई। मोकामा की गद्दी खाली हुई तो अनंत ने जेल में रहते हुए अपनी पत्नी को अपना उत्तराधिकारी चुना। RJD के टिकट पर नीलम देवी ने मोकामा उपचुनाव लड़ा और BJP की सोनम देवी को हरा दिया। इस तरह नीलम पहली बार विधायक बनकर सदन पहुंचीं। 5 साल का रिपोर्ट कार्ड: कितनी सत्ता, कितनी संपत्ति? नीलम देवी का बतौर विधायक कार्यकाल कैसा रहा? यह सवाल जितना राजनीतिक है, उतना ही पेचीदा भी। फैशन, शौक और एक नाटकीय मोड़ नीलम देवी को पब्लिक लाइफ में ज्यादातर पारंपरिक ड्रेस में देखा गया है। उनके निजी शौक और लाइफ स्टाइल के बारे में बाहरी लोगों को अधिक नहीं पता। नीलम देवी की राजनीतिक कहानी में बड़ा नाटकीय मोड़ 2025 में आया। अगस्त 2025 में अनंत UAPA केस में बरी होकर जेल से रिहा हुए। उनके बाहर आते ही मोकामा का राजनीतिक समीकरण बदल गया। अनंत ने साफ कर दिया कि 2025 का विधानसभा चुनाव खुद लड़ेंगे। उन्होंने अपनी पत्नी को दोबारा चुनाव लड़ाने से इनकार क्यों किया? इस पर खुद जवाब दिया, “नहीं। बढ़िया काम नहीं की। जनता से मिली-जुली नहीं।” यह एक पति का अपनी पत्नी के काम से नाखुश होना भर नहीं था। यह ‘छोटे सरकार’ का अपनी गद्दी पर वापस लौटने का ऐलान था। अनंत सिंह ने JDU का दामन थामा और खुद मोकामा से ताल ठोक दी। नीलम देवी, जिन्हें उनके पति ने ही विधायक बनाया था, उन्हीं के फैसले के बाद वापस पर्दे के पीछे चली गईं। उनकी कहानी बिहार की उस जटिल राजनीति का एक सटीक उदाहरण है, जहां वफादारी, परिवार और सत्ता एक-दूसरे में इस कदर उलझे हैं कि यह बता पाना मुश्किल है कि कौन ‘रबर स्टाम्प’ है और कौन असली ‘सरकार’। अनंत बोले- पहली मुलाकात में ही हम दोनों को प्यार हो गया भास्कर को दिए इंटरव्यू में पत्नी को चुनाव नहीं लड़ाने पर अनंत सिंह ने कहा, ‘बच्चों के साथ वो दिल्ली में रहती हैं। काम तो वैसे भी नहीं कर रही थीं। हम रोज पत्नी के पास नहीं जाते हैं। हम जनता के बीच रहते हैं।’ अनंत सिंह ने अपनी शादी को लेकर कहा, ‘पहले मोहब्बत हुई। पहली बार मैं उन्हें परीक्षा दिलाने ले गया था। पहली मुलाकात में ही हम दोनों को प्यार हो गया। कुछ दिन बाद शादी हो गई। मैं उन्हें लेकर कलकत्ता काली मंदिर चला गया था। वहीं शादी करके चला आया।’  

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