Showman Raj Kapoor: शोमैन राज कपूर हिंदी फिल्मों के जाने-माने अभिनेता थे, हैं और हमेशा रहेंगे। कम उम्र में ही उन्होंने फिल्म जगत में कदम रखा था। उन्होंने कई फिल्मों में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया। अपनी पहली ही फिल्म में डायरेक्टर से अपनी पसंदीदा को-स्टार की डिमांड कर दी थी राज कपूर ने।
उसके बाद राज कपूर ने डायरेक्टर किदार शर्मा के साथ क्लैप बॉय के रूप में काम किया। प्रसार भारती को दिये एक इंटरव्यू में किदार शर्मा ने बताया कि ‘राज कपूर के पिता पृथ्वी राज कपूर जो मेरे एक अच्छे मित्र भी थे अपने बेटे को लेकर बहुत चिंतित रहते थे। मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि मेरा बेटा बड़ा हो गया है उसने पढाई छोड़ दी है और पूरे दिन पक्षियों और मधुमक्खियों के बारे में जानने में लगा रहता है, दोस्त की चिंता देख कर मैंने राज को मेरे पास भेजने का सुझाव दिया।’
एक्टिंग की दुनिया में कदम
भारतीय सिनेमा को ‘आवारा’ (1951), ‘श्री 420’ (1955), ‘संगम’ (1964), ‘मेरा नाम जोकर’ (1970), और ‘बॉबी’ (1973) जैसी कल्ट क्लासिक फिल्मे देने वाले राज कपूर के फिल्मी करियर की शुरुआत आसान नहीं रही थी। राज कपूर को किदार शर्मा ने उनके थर्ड असिस्टेंट के रूप में शुरुआत में काम दे दिया। जब वो क्लैप स्लेट पकडे़ रहते तो उनका ध्यान कैमरा के लेंस में अपने बाल संवारने में लगा रहता। शर्मा ने गुस्से में कई बार चेतावनी दी। इतनी बार चेतावनी देने के बाद एक दिन जब उनके सब्र का बांध टूटा तो उन्होंने राज कपूर को बुलाकर थप्पड़ मार दिया। थप्पड़ से राज के गाल पर हथेली का निशान छप गया। राज बिना कुछ कहे मुस्कुरा कर वहां से चल दिए। इन सब के दौरान किदार शर्मा को एहसास हुआ कि राज कपूर में अभिनय का टैलेंट है। शर्मा ने राज को इस बारे में बताया। राज रो पडे़ और उन्होंने ये कहते हुए मना कर दिया कि ‘मैं तो बेकार हूं। मैंने आपकी फिल्म में काम किया तो आपकी फिल्म बर्बाद हो जाएगी आप मेरे साथ इतना अच्छा मत करो, मुझे इस फिल्म का हीरो मत बनाइये’। किदार शर्मा ने उन्हें भरोसा दिलाया कि तुम ये कर सकते हो। आखिरकार वो मान गये और इस तरह से राज कपूर ने फिल्मो में मुख्य अभिनेता के तौर पर काम शुरू किया।
मधुबाला: राज कपूर की पहली हीरोइन का किस्सा

किदार शर्मा के ऊपर भरोसा करने के तुरंत बाद ही राज उत्सुकता से किदार शर्मा से बोले कि ‘एक बात पूंछू? हीरोइन कौन सी होगी?’ शर्मा ने कहा, ‘जो तुम चाहो वही मिल जाएगी’। इस पर राज बोले ‘बस हीरोइन खूबसूरत होनी चाहिए’ फिर उन्होंने सीधा एक नाम लिया। वो नाम था ‘मधुबाला‘। मधुबाला के बारे में राज ने शर्मा से कहा कि ‘वो कोई बच्ची-वच्ची नहीं है, देखने में बड़ी खूबसूरत है वही ले लीजिये’ किदार शर्मा ने अताउल्लाह खान को अपनी बेटी मधुबाला को फिल्म में काम करवाने के लिए आग्रह किया और वह खुशी से मान गए। किदार ने बताया कि ‘जब मैंने मधुबाला को फिल्म में लिया, वो सिर्फ 13 साल की थी’ इसके बाद राज और मधुबाला ने ‘नीलकमल’ फिल्म में मुख्य अभिनेता और अभिनेत्री का रोल किया। और वो फिल्म हिट रही लोगों ने दोनों की जोड़ी को बहुत सराहा।
डायरेक्टर और फिल्म निर्माता बनने तक का सफर
अपनी पहली फिल्म नीलकमल (1947) में बेहतर अभिनय करने के बाद 24 साल की उम्र में ही उन्होंने आरके फिल्म्स की स्थापना की। उनकी पहली निर्देशित फिल्म ‘आग’ थी। जिसके बाद 1949 में उनकी फिल्म ‘बरसात’ ने उन्हें एक सफल फिल्म निर्माता के रूप में इंडस्ट्री में जगह दी। इस तरह उनका एक बेहतर अभिनेता से सफर शुरू हुआ और आगे फिल्म निर्माता बनने तक गया। क्लैप बॉय और छोटे रोल से लेकर कब राज कपूर फिल्मी दुनिया का एक ऐसा नाम बन गए जो आज भी हर किसी के जुबान पर है। वे अपनी कल्ट क्लासिक फिल्मों के लिए हमेशा जाने जायेगें।


