‘खेल की प्रकृति कुछ भी हो, नतीजे को लेकर दांव लगाना गैम्बलिंग’

‘खेल की प्रकृति कुछ भी हो, नतीजे को लेकर दांव लगाना गैम्बलिंग’

सुप्रीम कोर्ट: गेमिंग पर टैक्स मामले की सुनवाई

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया कि चाहे कोई गेम कौशल आधारित हो या संयोग पर आधारित, यदि उसमें पैसे का दांव लगता है तो वह ‘सट्टा और जुआ’ की श्रेणी में आता है और उस पर जीएसटी लगना चाहिए। यह मामला 1.12 लाख करोड़ रुपए की करदेयता से जुड़ा है, जो ऑनलाइन गेमिंग, फैंटेसी स्पोट्र्स, कैसीनो और रेसकोर्स पर जुलाई 2017 से लागू किया गया है। इस मामले की सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी।

बड़ी कानूनी बहस

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ यह तय कर रही है कि क्या पैसे के दांव के कारण कौशल-आधारित खेल भी जुए की श्रेणी में आ जाते हैं। केंद्र ने जोर देते हुए कहा कि एक बार वित्तीय दांव लगने के बाद खेल की प्रकृति अप्रासंगिक हो जाती है।

केंद्र की दलीलें

सरकार ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे लोग फुटबॉल में मेसी के गोल पर दांव लगाते हैं, वैसे ही फैंटेसी स्पोट्र्स में भी परिणाम पर नियंत्रण नहीं होता, इसलिए ये खेल भी जुआ हैं। सरकार ने कहा कि यह गतिविधि करयोग्य ‘एक्शनेबल क्लेम’ है और जीएसटी कानून के तहत 28त्न कर के योग्य है।

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