Agriculture News Mentha Farming: उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) की फसल मौसम सतर्कता समूह की बैठक में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी कि वर्तमान समय में मेंथा की रोपाई के लिए उपयुक्त है। इसलिए, जो खेत खाली पड़े हैं, उनमें मेंथा की रोपाई करें। वैज्ञानिकों का कहना है कि लाइन से लाइन रोपाई या मेड़ बनाकर रोपाई करने से मेंथा की पैदावार अधिक होगी। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि पर्यावरण सुरक्षा के मद्देनजर मेंथा की खेती सिर्फ तराई क्षेत्रों में ही की जाए।
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फसल प्रबंधन पर वैज्ञानिकों की सलाह
कृषि वैज्ञानिकों ने तापमान में संभावित वृद्धि के मद्देनजर किसानों को खेतों में पर्याप्त नमी बनाए रखने की सलाह दी। साथ ही, खाली खेतों की मृदा जांच कराने और परिणामों के आधार पर संस्तुत उर्वरकों का उपयोग करने की भी बात कही।
- दलहनी फसलों के लिए आवश्यक सावधानियां
- सेमीलूपर कीट नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल का पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
- मटर और मसूर की फसल में फली छेदक कीट से बचाव के लिए:
- फूल और फलियों के बनते समय प्रति हेक्टेयर 5 फेरोमोन ट्रैप और 2 प्रकार के प्रपंच लगाएं।
- नीम के बीज अर्क का पानी में घोलकर छिड़काव करें।
- इमामैक्टिन बेन्जोएट का छिड़काव भी किया जा सकता है।
गन्ना किसानों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव
- लाल सड़न रोग से प्रभावित गन्ने की को-0238 किस्म की बुआई न करें।
- बसंत कालीन गन्ने की फसल के साथ मूंग, उरद, मूंगफली और लोबिया जैसी अंतः फसलें उगाने की सलाह दी गई है। इससे उच्च उत्पादन और मृदा की उर्वरता बढ़ेगी।

आलू और सरसों की कटाई के बाद विकल्प
- अगेती आलू और सरसों की कटाई के बाद ग्रीष्मकालीन मक्का, मूंग, उरद, तिल, मूंगफली और सूरजमुखी की बुआई की तैयारी करें।
- आम की फसल में कीट और रोग नियंत्रण
- भुनगा कीट से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड या क्यूनालफास का पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
- पाउडरी मिल्ड्यू रोकथाम के लिए
- टाइडिमार्फ, पेनकोनाजाल, फेनारीमाल या सल्फेक्स का घोल बनाकर छिड़काव करें।
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कृषि वैज्ञानिकों की अनुशंसा
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि किसानों को समय पर उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग करके अपनी फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। साथ ही, जलवायु परिवर्तन के कारण संभावित गर्मी और सूखे के प्रभाव से बचने के लिए सिंचाई और जल संरक्षण की उचित व्यवस्था बनाए रखनी चाहिए।
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उत्तर प्रदेश सरकार मेंथा (पुदीना) की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और सहायता प्रदान करती है। यूपी भारत में मेंथा उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र है और किसानों को इसकी खेती के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता मिलती है।
यूपी सरकार मेंथा की खेती के लिए क्या योगदान देती है?
1.सब्सिडी और वित्तीय सहायता
सरकार मेंथा की खेती के लिए अनुदान और सब्सिडी देती है, जिससे छोटे और मध्यम किसानों को आर्थिक मदद मिलती है।
कृषि विभाग बीज, खाद और अन्य जरूरी संसाधनों पर सहायता प्रदान करता है।

2. तकनीकी और वैज्ञानिक मदद
- सरकार कृषि वैज्ञानिकों और अनुसंधान संस्थानों के जरिए किसानों को मेंथा की खेती की आधुनिक तकनीकों की जानकारी देती है।
- किसानों को उन्नत किस्मों के बीज उपलब्ध कराए जाते हैं, जो अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता देते हैं।
3.कृषि यंत्रों पर सब्सिडी
मेंथा की खेती के लिए इस्तेमाल होने वाले कृषि यंत्रों (जैसे डिस्टिलेशन यूनिट, सिंचाई उपकरण) पर सरकार अनुदान देती है।
4.किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम
सरकार समय-समय पर किसानों के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित करती है, जहां उन्हें मेंथा की खेती और डिस्टिलेशन की आधुनिक तकनीकों की जानकारी दी जाती है।
5.बाजार उपलब्धता और समर्थन मूल्य
सरकार किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए बाजार व्यवस्था को सुदृढ़ करती है।
कई सरकारी एजेंसियां मेंथा तेल की खरीद में सहायता करती हैं, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है।
6.जलवायु अनुकूल खेती

मेंथा की खेती के लिए आवश्यक जलवायु और मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकार विशेष योजनाएं चलाती है, जिससे पैदावार बढ़ती है।
7.ऋण योजनाएं
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) और अन्य योजनाओं के तहत मेंथा किसानों को आसान ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
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उत्तर प्रदेश सरकार मेंथा की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान कर रही है। इससे किसानों को अच्छी पैदावार और बेहतर मुनाफा मिल रहा है। यदि आप मेंथा की खेती करना चाहते हैं, तो कृषि विभाग या स्थानीय कृषि अधिकारी से संपर्क कर इन योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
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