रांची| झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को लापता बच्चों को खोजने को लेकर दर्ज मामले की सुनवाई हुई। हाईकोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद और जस्टिस पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) को मानव तस्करी के शिकार नाबालिगों के आधार कार्ड का विवरण जांच एजेंसी को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में पूरा विवरण उपलब्ध कराएं। सुनवाई के बाद खंडपीठ ने यूआईडीएआई की आपत्ति को खारिज कर दी। दरअसल, यूआईडीएआई ने आधार कार्ड का विवरण जांच एजेंसी को सीधे उपलब्ध नहीं कराए जाने का हवाला दिया था। इस पर अदालत ने नाराजगी प्रकट की। अदालत ने पीड़ितों का पता लगाने में देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लोगों का कल्याण सर्वोच्च कानून है। ऐसे में अन्य कानूनों को न्याय प्रदान करने में सहायता करनी चाहिए न कि उसमें बाधा डालनी चाहिए। अदालत ने कहा कि पीड़ित वर्ष 2014 से लापता है। ऐसे में यूआईडीएआई की इस आपत्ति को स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि सीधे आधार का विवरण प्रदान करना गोपनीयता के अधिकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ होगा। अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी पीड़ितों को खोज रहीं हैं। यदि आधार कार्ड का विवरण जांच एजेंसी को दिया जाता है तो पीड़ितों के बरामद होने की संभावना बन सकती है। रांची| झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को लापता बच्चों को खोजने को लेकर दर्ज मामले की सुनवाई हुई। हाईकोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद और जस्टिस पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) को मानव तस्करी के शिकार नाबालिगों के आधार कार्ड का विवरण जांच एजेंसी को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में पूरा विवरण उपलब्ध कराएं। सुनवाई के बाद खंडपीठ ने यूआईडीएआई की आपत्ति को खारिज कर दी। दरअसल, यूआईडीएआई ने आधार कार्ड का विवरण जांच एजेंसी को सीधे उपलब्ध नहीं कराए जाने का हवाला दिया था। इस पर अदालत ने नाराजगी प्रकट की। अदालत ने पीड़ितों का पता लगाने में देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लोगों का कल्याण सर्वोच्च कानून है। ऐसे में अन्य कानूनों को न्याय प्रदान करने में सहायता करनी चाहिए न कि उसमें बाधा डालनी चाहिए। अदालत ने कहा कि पीड़ित वर्ष 2014 से लापता है। ऐसे में यूआईडीएआई की इस आपत्ति को स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि सीधे आधार का विवरण प्रदान करना गोपनीयता के अधिकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ होगा। अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी पीड़ितों को खोज रहीं हैं। यदि आधार कार्ड का विवरण जांच एजेंसी को दिया जाता है तो पीड़ितों के बरामद होने की संभावना बन सकती है।
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