Trump Zelenskyy Meeting: यह आक्रामक सीन था। अमेरिका के व्हाइट हाउस के एक बंद कमरे में दो बड़े नेता आमने-सामने। एक तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, दूसरी तरफ यूक्रेन के वोलोडिमिर जेलेंस्की (Trump Zelenskyy Meeting)। यह कोई साधारण बातचीत नहीं थी, बल्कि चीख-पुकार और गुस्से की आग का तांडव था। ट्रंप ने जेलेंस्की को साफ-साफ कह दिया कि रूस के व्लादिमीर पुतिन(Ukraine Russia War Ultimatum) की हर शर्त मान लो, वरना यूक्रेन का नामोनिशान मिट जाएगा। ये बातें यूरोपीय अधिकारियों ने लीक की हैं, जो बैठक के राज़ खोल रही हैं। ट्रंप ने पुतिन से हुई फोन कॉल की बातें जेलेंस्की (Putin Terms Acceptance) पर दोहराईं, जैसे पुतिन का ‘स्पेशल ऑपरेशन’ वाला झूठा दावा। यह सब सुनकर जेलेंस्की की टीम स्तब्ध रह गई।
नक्शे फेंकने का गुस्सा
बैठक के बीच में ट्रंप का गुस्सा फूट पड़ा। यूक्रेन की टीम ने फ्रंटलाइन के नक्शे दिखाए, जहां रूसी हमले हो रहे हैं, लेकिन ट्रंप को यह सब बकवास लगा। उन्होंने नक्शे हवा में उछाल दिए और चिल्लाए, “ये लाल लाइन क्या बकवास है? मैं तो वहां कभी गया ही नहीं!” एक यूरोपीय अधिकारी ने बताया कि ट्रंप बार-बार गालियां बक रहे थे। ये नक्शे यूक्रेन के दर्द की कहानी कहते थे, लेकिन ट्रंप के लिए ये सिर्फ कागज के टुकड़े थे। जेलेंस्की मिसाइलों की गुहार लगा रहे थे, जो अमेरिका दे सकता था, लेकिन ट्रंप ने साफ मना कर दिया। ये दृश्य किसी हॉलीवुड फिल्म जैसा लगता है, लेकिन ये हकीकत है।
पुतिन की शर्तें थोपना
ट्रंप ने जेलेंस्की पर दबाव डाला कि पूरा डोनबास इलाका पुतिन को सौंप दो। पहले तो ट्रंप ने फ्रंटलाइन जस की तस रखने की बात कही, लेकिन जल्द ही पुतिन के ‘मैक्सिमलिस्ट’ डिमांड्स पर आ गए। ट्रंप ने धमकी दी”अगर पुतिन चाहेगा, तो वो तुम्हें नेस्तनाबूद कर देगा,” । ये शब्द यूक्रेन के सैनिकों के खून-पसीने पर पानी फेरने वाले थे। जेलेंस्की की टीम सोच रही थी कि अमेरिका का यह रुख क्यों बदल गया? ट्रंप की बातों में पुतिन का रंग साफ तौर पर झलक रहा था, जो रूस की कमजोरियों को छिपाने वाली थीं। यह बैठक यूक्रेन युद्ध के टर्निंग पॉइंट की तरह लगती है।
अमेरिकी सहायता का झटका
जेलेंस्की वॉशिंगटन इसलिए आए थे ताकि लंबी दूरी की टोमहॉक मिसाइलें मिलें, जो रूस के खिलाफ कारगर साबित हो सकती हैं, लेकिन ट्रंप ने साफ- साफ कह दिया- नहीं! यह इनकार न सिर्फ हथियारों का था, बल्कि दोस्ती का भी इनकार था। बैठक के बाद जेलेंस्की चुपचाप लौटे, लेकिन उनके मन में सवाल घूम रहे होंगे: क्या अमेरिका अब रूस का साथ देगा? ट्रंप का यह रवैया उनके ‘अमेरिका फर्स्ट’ स्लोगन से जुड़ा हुआ लगता है, जहां यूक्रेन की लड़ाई उनकी प्राथमिकता में नहीं है।
दुनिया पर असर और भविष्य
यह घटना वैश्विक राजनीति को हिला रही है। इजराइल-हमास सीजफायर के बाद ट्रंप युद्ध खत्म करने की होड़ में हैं, लेकिन यह तरीका सही है? यूक्रेन के लाखों लोग पुतिन के अत्याचार झेल रहे हैं, और ट्रंप का दबाव उन्हें और कमजोर कर सकता है। क्या यह डील यूक्रेन को बेचने जैसी होगी? या ट्रंप का नया प्लान कामयाब होगा? यह न सिर्फ ट्रेंडिंग है, बल्कि गूगल न्यूज पर टॉप पर छाई हुई है।


