South Cinema Trivia: फिल्मी सितारों के बारे में सोचते ही हमारे दिमाग में ग्लैमर और शोहरत से भरी एक दुनिया की तस्वीर बनती है। लेकिन हमेंशा पर्दे पर चमकने वाले सितारे भी अपनी जिंदगी में खामोश संघर्षों से गुजरते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही एक्टर की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों में काम किया, पर उनकी जिंदगी का सच उनके निधन के बाद ही लोगों को पता चल सका।
पत्नी की मौत ने मचा दी थी हलचल
1946 में मद्रास (अब चेन्नई) में जन्मे तिरुमाला सुंदर रंगनाथ, साउथ सिनेमा का एक जाना-माना नाम थे। फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले उन्होंने भारतीय रेलवे में TT के रूप में काम किया। नौकरी पक्की थी, लेकिन रंगनाथ का दिल सिनेमा में ही बसा था।
अभिनेता बनना उनका बचपन का सपना था और 1969 में उन्होंने फिल्म ‘बुद्धिमंतुडु’ से अपने करियर की शुरुआत की। साथ ही उन्हें 1974 में तेलुगु फिल्म चंदना से सफलता मिली, जिसके बाद उन्होंने 40 से ज्यादा फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाई। अपने करियर में उन्होंने ‘मनमधुडु’, ‘निजाम’, ‘अदावी रामुडु’, ‘देवराय’ और ‘गोपाला गोपाला’, जैसी कई फिल्मों में काम किया।
‘सुपरस्टार ने कर दिया मामूली-सी कामवाली के नाम सबकुछ’
रंगनाथ के टैलेंट ने उन्हें सफलता दिलाई और उन्होंने 300 से ज्यादा फिल्मों में विलेन का रोल निभाया। 1984 में आई तमिल फिल्म ‘काई कोडुक्कुम काई’ ने उन्हें तमिल फैंस के बीच खूब पहचान दिलाई। उन्होंने राजा ऋषि और देवन उन्नाई जैसी फिल्मों में भी अभिनय किया। हालांकि, रंगनाथ की पर्सनल लाइफ दर्द से भरी रही।

2009 में उनकी पत्नी चैतन्य का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। पत्नी की मौत ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया और वे डिप्रेशन से जूझने लगे। इस बीच, 2015 में रंगनाथ ने अपने घर पर आत्महत्या कर ली, जिससे फिल्म जगत को बड़ा झटका लगा। पुलिस को उनके घर से एक सुसाइड नोट भी मिला।
सारी संपत्ति और वसीयत
सुसाइड नोट से जो बात सामने आई उसने कई लोगों को हैरान कर दिया। रंगनाथ ने अपनी सारी संपत्ति और वसीयत अपनी लंबे समय से काम कर रही नौकरानी मीनाक्षी के नाम कर दी थी। उनकी बेटी नीरजा ने बाद में इसकी पुष्टि करते हुए बताया, ‘मीनाक्षी हमारे घर में काम करती थी, उन्होंने मेरे माता-पिता की उनके आखिरी सालों में देखभाल की थी।’ इसके आगे उन्होंने बताया था कि ‘मेरे पिता उस पर बहुत भरोसा करते थे और उसके नाम पर संपत्ति खरीदी।’
रंगनाथ की कहानी हमें ये याद दिलाती है कि शोहरत और कामयाबी हमेशा खुशी की गारंटी नहीं होती। फिल्म इंडस्ट्री की चकाचौंध के पीछे अक्सर दर्द, अकेलापन और त्याग जैसी अनकही कहानियां छिपी होती हैं।


