शोधित पानी का उपयोग : वन क्षेत्र के पेड़-पौधे की होगी सिंचाई, भिवाड़ी में होगी हरियाली….. देखें फोटो गैलेरी ….

शोधित पानी का उपयोग : वन क्षेत्र के पेड़-पौधे की होगी सिंचाई, भिवाड़ी में होगी हरियाली….. देखें फोटो गैलेरी ….

भिवाड़ी. काली खोली में वन विभाग की ओर से तैयार किए जा रहे नगर वन एवं टूरिस्ट पार्क में वसुंधरा नगर स्थित एसटीपी का शोधित पानी जाएगा। शोधित पानी से पेड़-पौधों की ङ्क्षसचाई होगी। इससे एक तरफ शोधित पानी का सदुपयोग होगा, दूसरी तरफ भूमिगत जल ङ्क्षसचाई में उपयोग नहीं लिया जाएगा। नगर वन और टूरिस्ट पार्क में शोधित पानी पहुंचाने के लिए बीडा ने 1.80 करोड़ का टेंडर किया है। जिसमें करीब तीन किमी डकटाइल आयरन पाइपलाइन (डीआई) काली खोली नगर वन तक बिछाई जाएगी। उक्त लाइन से बीच में भी कुछ जगह कनेक्शन दिए जाएंगे, जिससे कि रोड साइड पेड़-पौधों में ङ्क्षसचाई के साथ पानी को भंडारित किया जा सके। अभी तक बीडा के वसुंधरा नगर स्थित चार एमएलडी क्षमता के एसटीपी से एक एमएलडी शोधित पानी सेंट्रल पार्क, सेक्टर तीन, पांच, छह, आठ, नौ के पार्क और निर्माणाधीन स्टेडियम में घास पर छिड$काव के लिए जा रहा है।
वसुंधरा नगर एसटीपी से सेक्टर आठ तक लाइन बिछी हुई है। यह लाइन पूर्व में बीडा ने 84 लाख की लागत से बिछाई थी। नए टेंडर में सेक्टर आठ से आगे लाइन बिछेगी। वसुंधरा नगर में ही नगर परिषद का तीन एमएलडी का एसटीपी है। अभी तक सिर्फ एक एमएलडी शोधित पानी का ही उपयोग हो रहा है। अतिरिक्त पानी को थड़ा स्थित नाले में डाला जाता है। नगर वन एवं टूरिस्ट पार्क के लिए जो लाइन बिछाई जा रही है इससे प्रतिदिन दो एमएलडी पानी जा सकेगा। वहीं वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें प्रतिदिन पौधों में देने के लिए एक एमएलडी पानी की जरूरत होगी। टेंडर खोलने के बाद 15 दिन में कार्यादेश जारी होने एवं काम शुरू होने की संभावना है।
इतने काम हो चुके : बाबा मोहनराम पहाड़ के चारों तरफ छह किमी लंबाई में छह फीट ऊंची दीवार का निर्माण होगा जिसमें से एक हजार मीटर दीवार का काम पूरा हो चुका है। समतल और पहाड़ी क्षेत्र में घूमने के लिए रास्ते बनाए जाएंगे जिसमें से करीब साढ़े तीन किमी में रास्ता बन चुका है। समतल और पहाड़ी पर दो सुरक्षा चौकियां स्थापित की जा चुकी हैं।
पर्यटक एवं शहरीजनों के बैठने के लिए दो झोंपे बनाए हैं। दो सोलर पंप लगाए गए हैं और पौधों तक पानी पहुंचाने के लिए पाइपलाइन का काम चल रहा है। जल संरक्षण संरचनाओं में दो एनिकट निर्मित हो चुके हैं, तालाब और वॉटर हॉल निर्मित किए जाएंगे। परिक्रमा के रास्ते को इको ट्रेल (भ्रमण पथ) के रुप में विकसित किया जाएगा। ऊंचाई पर वॉच टॉवर बनाएं जाएंगे जिससे कि जंगल और शहर का नजारा आमजन देख सकेंगे। चार करोड़ से विकास कार्य होंगे। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से राशि स्वीकृत हुई है।

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