भरतपुर में खुदाई में मिल रहा इतिहास का ‘अमूल्य खजाना’, महाभारत कालीन संस्कृति के भी मिले प्रमाण; खोज जारी

भरतपुर में खुदाई में मिल रहा इतिहास का ‘अमूल्य खजाना’, महाभारत कालीन संस्कृति के भी मिले प्रमाण; खोज जारी

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की टीम ने भरतपुर जिले के डीग उपखंड स्थित बहज गांव में ऐतिहासिक उत्खनन करते हुए महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़े महत्वपूर्ण अवशेषों की खोज की है। यह स्थल गोवर्धन के 84 कोस परिक्रमा मार्ग से सटा हुआ है। शोधकर्ताओं का दावा है कि, कालीबंगा के बाद यह क्षेत्र पुरा महत्व के दृष्टिकोण से सबसे बड़ा और अहम उत्खनन स्थल बनकर सामने आया है।

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जयपुर मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद विनय गुप्ता के निर्देशन में शोधार्थी पवन सारस्वत और उनकी टीम ने अक्टूबर 2024 से अप्रेल 2025 तक उत्खनन किया। इसमें लगभग 4500 से 5000 वर्ष पुरानी महाभारत कालीन संस्कृति के प्रमाण मिले हैं। खुदाई में एक समग्र निवास स्थान मिला है, जिसमें कुआं, भोजनशाला, शयनकक्ष और बैठक के संकेत मिले हैं।

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एक महिला का कंकाल भी मिला है, जिसकी लबाई करीब 5 फीट 2 इंच है। यह कंकाल गुप्तकाल का बताया जा रहा है और जांच के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय भेजा गया है। साथ ही हड्डियों से औजार बनाने की कार्यशाला के अवशेष भी मिले हैं।

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उत्खनन में शिव-पार्वती की मिट्टी की मूर्तियां, तांबे व चांदी के पंचमार्क सिक्के, ब्राह्मी लिपि, मनकों के अवशेष, शंख से बनी चूडिय़ां, हवन कुंड, मातृदेवियों की मूर्तियां और लौह धातु से औजार बनाने की भट्टियां भी मिली हैं। यह खोज महाभारत काल की सभ्यता को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।

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