विवाह की विसंगतियों पर नाटक से किया प्रहार:​​​​​​​आरआईसी में ढ़ाई आखर प्रेम का का हुआ मंचन, रुचि भार्गव नरूला ने किया निर्देशन

विवाह की विसंगतियों पर नाटक से किया प्रहार:​​​​​​​आरआईसी में ढ़ाई आखर प्रेम का का हुआ मंचन, रुचि भार्गव नरूला ने किया निर्देशन

कलंदर संस्था, जयपुर की ओर से राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में प्रसिद्ध नाट्य लेखक वसंत कानेटकर द्वारा लिखित और रुचि भार्गव नरूला द्वारा निर्देशित नाटक ढ़ाई आखर प्रेम का का मंचन हुआ। यह नाटक वसंत कानेटकर के प्रसिद्ध मराठी नाटक प्रेमा, तुझा रंग कसा? का हिंदी रूपांतरण है, जिसमें प्रेम की जटिलताओं, उसके विभिन्न रंगों और विवाह की वास्तविकताओं को व्यंग्य और हास्य के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। प्रेम और विवाह की गहराई को छूता नाटक
नाटक में प्रेम को एक बहुआयामी भावना के रूप में प्रस्तुत किया गया, जो व्यक्ति के जीवन को गहराई से प्रभावित करती है। इसमें दिखाया गया कि कैसे प्रेम की उदात्त भावना जब विवाह के व्यवहारिक स्वरूप में ढलती है, तो कई विसंगतियां जन्म लेती हैं। दर्शकों ने नाटक के संवादों और घटनाओं में अपने जीवन की झलक महसूस की, जिससे पूरा सभागार हंसी और भावनाओं से सराबोर हो उठा। संवादों ने जीता दर्शकों का दिल
नाटक में शामिल पात्रों में प्रोफेसर, पंडितजी, प्रेमी-प्रेमिका और परिवारजनों ने अपने संवादों और अभिनय से दर्शकों को खूब हंसाया। पंडितजी के संवाद प्रेम शब्दों में नहीं बोलता, वह तो दो मजबूत बाहों से बोलता है और प्रोफेसर वर्मा की पंक्तियां अगर रोमियो-जूलियट ने शादी कर ली होती तो उन्हें भी प्रेम की सच्चाई समझ आ जाती पर सभागार तालियों से गूंज उठा।
प्रियंवदा की भूमिका में रुचि भार्गव नरूला, प्रो. वर्मा के रूप में कार्तिकेय मिश्रा, बाजा बाबू के रूप में मनन शर्मा, बच्चू के रूप में अनिमेष आचार्य, बबली के रूप में रिया शर्मा, सुशील के रूप में प्रतीक्षा सक्सेना और पंडितजी के किरदार में सर्वेश व्यास ने अपने-अपने अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया। नाटक के दौरान कभी हंसी के ठहाके गूंजे तो कभी संवादों ने दर्शकों की आंखें नम कर दीं। नाटक ने न केवल प्रेम की जटिलताओं को उजागर किया बल्कि विवाह की सच्चाइयों पर भी विचार करने को प्रेरित किया। इस मंचन के माध्यम से कलंदर संस्था ने यह संदेश दिया कि प्रेम केवल एक भावना नहीं, बल्कि जीवन की सबसे सशक्त अनुभूति है, जो व्यक्ति को स्वयं से जोड़ती है और समाज के रिश्तों का आईना बनती है।

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