महिंद्रा कंपनी के डीलर ने एलएंडटी से 29 लाख की धोखाधड़ी कर रुपये हड़पे, पांच फाइनेंस ट्रैक्टरों को ऐसे लगाया ठिकाने

महिंद्रा कंपनी के डीलर ने एलएंडटी से 29 लाख की धोखाधड़ी कर रुपये हड़पे, पांच फाइनेंस ट्रैक्टरों को ऐसे लगाया ठिकाने

बरेली। एलएंडटी फाइनेंस कंपनी ने महिंद्रा ट्रैक्टर के डीलर भारत इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर शिवराज वर्मा और ब्रजेश कुमार पर फर्जी तरीके से 29.34 लाख रुपये धोखाधड़ी कर गबन करने का मुकदमा कोतवाली में दर्ज कराया है। यह रकम एलएंडटी फाइनेंस द्वारा किसानों को ट्रैक्टर देने के लिए जारी की गई थी, लेकिन ट्रैक्टर न ही संबंधित किसानों को दिए गए, न ही उनका वैध रजिस्ट्रेशन एलएंडटी फाइनेंस के हाइपोथिकेशन के तहत किया गया।

डीलर ने फाइनेंस ट्रैक्टर दूसरे ग्राहकों को बेचकर उनके नाम ट्रांसफर कर दिये। एसएसपी के आदेश पर कोतवाली में एलएंडटी फाइनेंस कंपनी ने धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र, के आरोप में मामला दर्ज कराया है।

भारत इंटर प्राइजेज के प्रोपराइटर ने की धोखाधड़ी

एलएंडटी फाइनेंस कंपनी के क्षेत्रीय शाखा प्रबंधक हिमांशु सिंह ने बताया कि कंपनी का मुख्यालय मुंबई में है। उसकी शाखा कार्यालय बरेली के सिविल लाइंस में है। कंपनी हायर परचेज संविदा के तहत किसानों को उचित ब्याज दर पर ट्रैक्टर उपलब्ध कराती है। पीलीभीत में बीसलपुर के भारत इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर शिवराज वर्मा और ब्रजेश कुमार, जो महिंद्रा ट्रैक्टर के अधिकृत डीलर हैं। उन्होंने एलएंडटी कंपनी के साथ अनुबंध कर फाइनेंस के लिए डीलर कोड प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने पांच किसानों के नाम पर ट्रैक्टरों को फाइनेंस करवाया।

इन किसानों के नाम पर हुआ था ट्रैक्टर फाइनेंस:

  1. अमित बाबू (बहेड़ारिया, बरेली) — ₹5,69,597
  2. कौशल (खरदई, बीसलपुर) — ₹6,40,564
  3. मुकेश गंगवार (गजरौला, पीलीभीत) — ₹6,19,172
  4. अनिल कुमार (फरीदपुर, बरेली) — ₹5,21,133
  5. गौरव गंगवार (सुनध्या, बीसलपुर) — ₹6,19,862

धोखाधड़ी का खुलासा ऐसे हुआ

इन सभी ट्रैक्टरों की पहली किश्त समय पर नहीं आने पर कंपनी ने जब जांच शुरू की, तो पता चला कि जिन ग्राहकों के नाम पर फाइनेंस हुआ था, उन्हें ट्रैक्टर कभी दिए ही नहीं गए। जब कंपनी के अधिकारी किसानों के घर पहुंचे, तो उन्होंने बताया कि डीलर ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया था कि “फाइनेंस स्वीकृत नहीं हुआ है। वहीं दूसरी ओर, कंपनी के रिकॉर्ड में फाइनेंस राशि ग्राहकों के नाम पर जारी हो चुकी थी। बाद में पता चला कि डीलर ने ट्रैक्टरों को तीसरे पक्ष को बेच दिया है और रजिस्ट्रेशन भी अन्य नामों पर करा दिया गया है।

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