ग्वालियर के बड़ागांव हाईवे स्थित कैथोलिक डाइसेसिक सोसाइटी के स्कूल में धर्मांतरण की सूचना मिलने पर पुलिस और प्रशासन की टीम सक्रिय है। बुधवार को टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच की है। इस दौरान प्रबंधकों से सभी आवश्यक दस्तावेज और रिकॉर्ड लिए हैं। अधिकारियों ने सभी छात्रों से एक-एक करके बात की है। दरअसल, सूचना मिली थी कि चर्च के फादर की निगरानी में विशप हाउस के अंदर छात्रों को धर्मगुरु बनने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन छात्रों में ओडिशा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के निवासी शामिल हैं। जिनमें से कई आदिवासी हैं। सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन की टीम सक्रिय हुई और तत्काल विशप हाउस पहुंची। अधिकारियों ने बच्चों से संबंधित सभी रिकॉर्ड की जांच की। चर्च प्रबंधन से फंडिंग, भूमि रिकॉर्ड और अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई और सभी आवश्यक दस्तावेज लिए गए। इस दौरान यह जानकारी सामने आई कि विशप हाउस में कुल 23 छात्र पढ़ रहे हैं। इनमें से 18 छात्र ओडिशा, 3 मध्य प्रदेश (झाबुआ से 2, मोहना से 1) और 2 छत्तीसगढ़ से हैं। बताया जा रहा है कि प्रारंभिक जांच में धर्मांतरण की बात सामने नहीं आई है। फिर भी मामले की बारीकी से जांच की जा रही है कि कही दूर-दूर तक इसका धर्मांतरण से नाता तो नहीं है। छात्र पढ़ाई कर रहे थे, शिक्षक-फादर पूजा पाठ में व्यस्त
मामला सामने आने पर बुधवार को दैनिक भास्कर की टीम विशप हाउस पहुंची। यहां छात्र रूम में पढ़ाई करते मिले। शिक्षक और फादर अपने-अपने कमरों में दोपहर की पूजा कर रहे थे। इस दौरान सीआईडी के अधिकारी भी पूछताछ के लिए पहुंचे। उन्होंने फादर हर्षल ए. एक्स से एक कमरे में बैठकर पूछताछ की थी और उसके बाद चले गए। सभी जरूरी रिकॉर्ड जांच टीम को सौंप दिया
सेंट जोसेफ सेमिनरी में रेक्टर की जिम्मेदारी संभाल रहे फादर हर्षल ए. एक्स ने दैनिक भास्कर को बताया कि धर्मांतरण से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं है। सभी छात्रों के माता-पिता और दादा भी ईसाई धर्म के हैं। हमने सभी जरूरी रिकॉर्ड भी जांच टीम को सौंप दिया है। एग्जाम के बाद ही होता है सिलेक्शन
फादर ने बताया कि जो भी बच्चा बाहर से यहां पढ़ने आता है वहां के फादर से हमारा कोऑर्डिनेशन रहता है। यहां पर आने से पहले सभी बच्चों का एक एग्जाम लिया जाता है। जो बच्चा पढ़ने में अव्वल होता है, उसी का सिलेक्शन करते हैं। बच्चा पूरी लिखा-पढ़ी के बाद यहां आता है। जांच टीम को धर्मांतरण के सबूत नहीं मिले
जांच टीम में शामिल SDOP मनीष यादव ने बताया है कि शुरुआती जांच में धर्मांतरण से जुडे़ कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं। सभी छात्रों ने स्वेच्छा से पढ़ाई करने की जानकारी दी है। सभी ईसाई धर्म से है। किसी भी प्रकार के दबाव की भी पुष्टि नहीं हुई है।


