सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ किया है कि एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाए की दोबारा जांच का आदेश सिर्फ वोडाफोन-आइडिया (VI) पर ही लागू होगा। अन्य टेलीकॉम कंपनियों के लिए आदेश लागू नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर को केंद्र सरकार को VI के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाए पर पुनर्विचार करने की इजाजत दी थी। 3 नवंबर को जारी लिखित आदेश में मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की दो न्यायाधीशों वाली बेंच ने कहा “हमारे 27 अक्टूबर के आदेश में सिर्फ इतना संशोधन किया गया है कि केंद्र सरकार वोडाफोन-आइडिया के 2016-17 तक के पूरे AGR बकाए की दोबारा जांच कर सकेगी। बाकी आदेश जस का तस रहेगा।” वोडाफोन आइडिया दोबारा जांच क्यों चाहती थी? कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि AGR की गणना में कई कम्पोनेंट्स गलत जोड़े गए हैं। Vi ने कहा था कि उसे ब्याज और पेनल्टी में छूट दी जाए और देनदारी को दोबारा रिफॉर्मूलेट (पुनर्गणना) किया जाए। इस याचिका में कंपनी ने ₹9,450 करोड़ की अतिरिक्त मांग को भी चुनौती दी थी। वोडाफोन-आइडिया पर फिलहाल लगभग ₹83,400 करोड़ का AGR बकाया है। AGR क्या है? AGR (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) टेलीकॉम कंपनियों की कमाई का वह हिस्सा है जिस पर सरकार लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (SUC) लगाती है। तीन चैप्टर में समझिए AGR मामला क्या है? चैपटर 1: केस की शुरुआत चैप्टर 2- कोर्ट का फैसला चैप्टर 3- कंपनियों पर असर
सुप्रीम कोर्ट बोला-सिर्फ VI के AGR पर पुनर्विचार की इजाजत:अन्य टेलीकॉम कंपनियों के लिए आदेश लागू नहीं; वोडाफोन-आइडिया पर ₹83,400 करोड़ का AGR बकाया


